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अरविंद दास

वरिष्ठ पत्रकार

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कुमार शहानी : एक अवांगार्द फिल्मकार का जाना

अवांगार्द फिल्मकार और कला विचारक के रूप में कुमार शहानी (1940-2024) की दुनियाभर में एक विशिष्ट पहचान थी. वे हिंदी समांतर सिनेमा के पुरोधा थे.

मणि कौल की ‘दुविधा’

‘दुविधा’ के केंद्र में एक नवविवाहिता स्त्री है, जिसका पति शादी के दूसरे दिन ही घर छोड़ कर ‘दिसावर’ (व्यापार के लिए) निकल जाता है. इस बीच एक भूत पति का रूप धर घर वापस आता है और उस स्त्री के संग रहने लगता है.

श्याम बेनेगल के ‘मुजीब’

यह फिल्म उनके जीवनवृत्त को संपूर्णता में भले समेटती है, लेकिन यहां उनके व्यक्तित्व की आलोचना का अभाव दिखायी देता है.

वहीदा रहमानः सिनेमा के सौंदर्य का सम्मान

वैसे तो अपने फिल्मी करियर में उन्होंने सबसे ज्यादा फिल्में देवानंद के साथ कीं, जिनकी जन्मशती मनाई जा रही है, पर शुरुआत दौर की फिल्मों की सफलता का श्रेय वे फिल्म निर्माता-निर्देशक गुरुदत्त को देती हैं.

संकट की अधूरी तस्वीर

टीवी समाचार उद्योग की कार्यशैली पर भी यह डॉक्यूमेंट्री एक तीखी टिप्पणी है. सत्ता चाहे राजनीतिक हो या धर्म की, कभी सवालों को पसंद नहीं करती. लोकतांत्रिक व्यवस्था में मीडियाकर्मी जनता के प्रतिनिधि के रूप में सत्ता से सवाल करते हैं.

‘गाइड’ फिल्म का मोहक सौंदर्य

‘आज फिर जीने की तमन्ना है, आज फिर मरने का इरादा है’ महज एक गाना नहीं, बल्कि इस फिल्म का सूत्र वाक्य है, जो स्त्री मन के अनेक भावों को अभिव्यक्त करता है.