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Banke Bihari Mandir: पांच एकड़ में बनेगा बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर, इतिहास बन जाएंगी वृंदावन की कुंज गलियां

वृंदावन में बांके बिहारी मंदिर के साथ ही सैकड़ों प्राचीन मंदिर स्थित हैं. इसके साथ ही तमाम कुंज गलियां मौजूद हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि वृंदावन की कुंज गलियों में श्रीकृष्णा अपने सखाओं के साथ खेलकूद किया करते थे. ये कुंज गलियां श्रीकृष्ण की अठखेलियों का प्रतीक बनी हुई हैं.

Mathura News: मथुरा में बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को कॉरिडोर की मंजूरी दे दी है. राज्य सरकार कानूनी प्रक्रिया के तहत दर्शन प्रभावित किए बगैर अपने धन से इसका निर्माण कराएगी. कॉरिडोर के निर्माण में मंदिर के बैंक खाते में जमा करोड़ों रुपए का प्रयोग करने पर पाबंदी लगा दी गई है. इस बीच बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर के पक्ष में हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद से स्थानीय लोग और व्यापारियों की चिंता बढ़ी हुई है. सरकार के अगले कदम पर नजर रखे हुए हैं. कॉरिडोर बनने से जहां श्रद्धालुओं को दर्शन में आने वाली परेशानी से निजात मिलेगी, वहीं व्यापारियों और स्थानीय लोगों का कहना है कि वर्षों पुरानी वृंदावन की कुंज गलियों का स्वरूप खत्म हो जाएगा. वृंदावन की कुंज गलियां इतिहास में तब्दील हो जाएंगी. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर बीते वर्ष मंगला आरती के दौरान भीड़ की वजह से हादसा हो गया था, जिसमें दो श्रद्धालुओं की दम घुटने की वजह से मौत हो गई थी. इस हादसे के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए बांके बिहारी मंदिर क्षेत्र में कॉरिडोर बनाने की पेशकश की. साथ ही कॉरिडोर के लिए सरकार ने 5 एकड़ जमीन चिह्नित की. लेकिन, स्थानीय लोगों ने सरकार के इस प्रस्ताव का विरोध किया काफी प्रदर्शन भी हुए. इसके बाद यह मामला हाई कोर्ट में पहुंच गया. जिसकी वजह से कॉरिडोर निर्माण का कार्य अटक गया.

स्थानीय लोगों को कॉरिडोर बनने से इस बात का डर

मथुरा के प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर को लेकर शुरुआत से स्थानीय लोगों और व्यापारियों में विरोध देखने को मिला है. स्थानीय लोगों के मुताबिक कॉरिडोर बनने की वजह से वृंदावन की पहचान कुंज गलियां समाप्त हो जाएंगी. वहीं व्यापारियों का कहना है कि जो सैकड़ों व्यापारी वृंदावन में आने वाले भक्तजनों की मदद से अपना परिवार चलाते हैं. उनका व्यापार पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगा और परिवार के सामने आर्थिक संकट आ जाएगा. इसे लेकर स्थानीय लोगों और व्यापारियों ने काफी विरोध प्रदर्शन भी किया. कई दिनों तक इसे लेकर माहौल गरम रहा. व्यापारियों ने क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों व उत्तर प्रदेश के आला अधिकारियों को ज्ञापन भी दिए. जगह जगह पोस्टर लगाए गए, जिसमें वृंदावन की कुंज गलियों को बचाने के लिए स्लोगन लिखे गए.

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कुंज गलियों का है पौराणिक महत्व

वृंदावन में बांके बिहारी मंदिर के साथ ही सैकड़ों प्राचीन मंदिर स्थित हैं. इसके साथ ही तमाम कुंज गलियां मौजूद हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि वृंदावन की कुंज गलियों में श्रीकृष्णा अपने सखाओं के साथ खेलकूद किया करते थे. ये कुंज गलियां श्रीकृष्ण की अठखेलियों का प्रतीक बनी हुई हैं. देश-विदेश से तमाम श्रद्धालु और पर्यटक इन कुंज गलियों के दर्शन करने व इनका अनुभव करने के लिए वृंदावन में आते हैं. अगर बांके बिहारी कॉरिडोर बनता है तो सरकार पांच एकड़ में इसे तैयार करेगी, जिससे बांके बिहारी मंदिर के आसपास मौजूद तमाम कुंज गलियां पूरी तरह से समाप्त हो जाएंगी और वृंदावन की कुंज गलियां इतिहास बन जाएंगी.

कॉरिडोर निर्माण के दौरान दर्शन नहीं होंगे प्रभावित

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बांके बिहारी कॉरिडोर बनाए जाने की राज्य सरकार की योजना को मंजूरी दे दी. इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया कि मंदिर के खाते में जमा 262.50 करोड़ रुपए की धनराशि पर राज्य सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा. कोर्ट ने कहा कि सरकार के कॉरिडोर के निर्माण के दौरान श्रद्धालुओं को दर्शन प्रभावित नहीं होने चाहिए और सभी सुविधाओं का ख्याल रखा जाए. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि राज्य सरकार मंदिर प्रबंधन में कोई भी दखलंदाजी नहीं की जाए. हाई कोर्ट ने इस मामले में 8 नवंबर को सुनवाई पूरी कर ली थी और ऑर्डर रिजर्व कर दिया था.

पीएम मोदी 23 नवंबर को आएंगे मथुरा

बांके बिहारी का गलियारा बनाए जाने का निर्णय उस समय आया है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 23 नवंबर को मथुरा में चल रहे ब्रज रज उत्सव में शामिल होने के लिए आ रहे हैं. प्रधानमंत्री भरतपुर जिले में हाल ही चुनावी सभा में ब्रज के विकास की बात कर चुके हैं. मथुरा वृंदावन दौरे के दौरान प्रधानमंत्री बांके बिहारीजी के दर्शन के लिए भी जाएंगे. कहा जा रहा है कि ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बांके बिहारी मंदिर के कॉरिडोर के निर्माण के लिए कोई बड़ी घोषणा भी कर सकते हैं. क्योंकि काशी और अयोध्या के बाद अब मथुरा की ही बारी है.

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