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पाटलिपुत्र टू बरौनी – पहला सफर. जितना अंदर, उतना बाहर भी दिखा उत्साह
पटना /मुजफ्फरपुर: पाटलिपुत्र से बुधवार को खुली छह बोगियों व दो ड्राइविंग पावर कार (डीपीसी) की पहली डेमू सवारी गाड़ी यात्रियों से खचाखच भरी थी. इस ट्रेन में सवार यात्रियों का उत्साह देखते ही बन रहा था. पाटलिपुत्र से लेकर सोनपुर तक के सफर में बोगी के अंदर सेल्फी लेने का क्रेज रहा, तो बाहर […]
पटना /मुजफ्फरपुर: पाटलिपुत्र से बुधवार को खुली छह बोगियों व दो ड्राइविंग पावर कार (डीपीसी) की पहली डेमू सवारी गाड़ी यात्रियों से खचाखच भरी थी. इस ट्रेन में सवार यात्रियों का उत्साह देखते ही बन रहा था. पाटलिपुत्र से लेकर सोनपुर तक के सफर में बोगी के अंदर सेल्फी लेने का क्रेज रहा, तो बाहर खड़े लोग हाथ हिला कर यात्रियों का अभिवादन करते दिखे. हर कोई इस ऐतिहासिक अवसर का साक्षी बनने को बेताब रहा. पहलेजा घाट के समीप भरपुरा के ग्रामीणों के हंगामे ने उत्साह में खलल जरूर डाला, मगर ट्रेन को आगे बढ़ने से नहीं रोक सके.
खूब लगे नारे, खूब दिखे नजारे
सफर के दौरान हर-हर गंगे, बाबा बैद्यनाथ की जय, हरिहर नाथ की जय, जय श्रीराम के नारे लगे, तो बाहर खूबसूरत नजारे भी दिखे. ट्रेन खुलते ही लोग बाहर के स्थलों को खुद से जोड़ने लगे. देखो, इ रामजीचक आ गया. अरे, इसके बगल में तो ज्ञान निकेतन स्कूल की बिल्डिंग है. इ पावर सब स्टेशन है और उसके बगल में इ रेलवे का वर्कशॉप था. गंगा नदी की वर्तमान स्थिति पर भी चर्चा हुई. ऐसे ही बातों के बीच करीब 23 मिनट तक हंसी-मजाक का दौर भी चला. इस दौरान कोई पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को तो कोई पीएम नरेंद्र मोदी को इसका श्रेय दे रहा था. रेल मंत्री के तौर पर इसकी आधारशिला रखने वाले नीतीश कुमार की भी लोग चर्चा करते दिखे.
सपना पूरा, कम होगा सफर का समय
70 वर्षीय दीनदयाल के लिए यह ट्रेन किसी सपने से कम नहीं था. उनका परिवार भले ही दीघा में रहता हो, लेकिन उनका मूल घर सोनपुर के नवडीहा में है. 12 साल से उनको इस पुल का बेसब्री से इंतजार था. कहा, अब चार घंटे नहीं, एक घंटे से भी कम समय में अपने घर की दूरी तय होगी. उनकी मांग थी कि दीघा के पास हॉल्ट दिया जाये.
दीनदयाल सिंह, रामजीचक, दीघा
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