वाशिंगटन: भारतीय मूल के दो अमेरिकी अर्थशास्त्रियों ने कहा है कि बाजार आधारित नीतियों के साथ आर्थिक वृद्धि में तेजी लाने और गरीबी उन्मूलन की भारत की रणनीति से अन्य विकासशील देशों को सीख लेनी चाहिए.
काउंसिल आन फॉरेन रिलेशंस (सीएफआर) के सीनियर फेलो जगदीश भगवती और कोलंबिया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अरविंद पनगड़िया ने एक नई पुस्तक में यह बताया है कि भारत में गरीबी उन्मूलन के लिए कैसे वृद्धि दर की रणनीति अपनाई गई.
‘‘व्हाय ग्रोथ मैटर्स : हाउ इकोनामिक ग्रोथ इन इंडिया रिड्यूस्ड पावर्टी एंड दि लेसन फार अदर डेवलपिंग कंटरीज’’ शीर्षक से जारी पुस्तक में हालांकि श्रम और भूमि बाजारों में और सुधार की वकालत की गई है ताकि आर्थिक वृद्धि को रोजगार सृजन में तब्दील किया जा सके.
योजना आयोग द्वारा गरीबी के संबंध में जारी अनुमान के मुताबिक, भारत में गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों की आबादी दो दशक में 17 प्रतिशत घटकर 2004.05 में 27.5 प्रतिशत पर आ गई जो 1983 में 44.5 प्रतिशत थी.अर्थशास्त्रियों के अनुसार पिछले दशक में भारत की मजबूत 8.2 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि को देश के गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम में अहम् योगदान के तौर पर माना जा सकता है.