लंदन : इनसानों का झूठ पकड़ने के लिए फेमस लाइ डिटेक्टर जल्द ही सोशल मीडिया पर भी होगा, जो ट्विटर और फेसबुक पर किये गये दावों और पोस्ट की गयी जानकारियों की सचाई बतायेगा. यूरोपीय यूनियन शैफील्ड यूनिवर्सिटी के नेतृत्व में बनी एक इंटरनेशनल रिसर्चर्स की टीम को फंडिंग कर रही है.
तीन साल की यह परियोजना पांच यूनिवर्सिटीज का एक साझा कार्यक्रम है. इनमें शैफील्ड, वारविक, किंग्स कॉलेज लंदन, जर्मनी की सारलैंड और वियना की मोडल यूनिवर्सिटी शामिल हैं. इसके विकासक का दावा है कि यह सिस्टम ऑटोमेटिक रूप से ऑनलाइन अफवाहों की जांच करेगा और तुरंत ही ऑनलाइन जानकारी का विश्लेषण करेगा.
इस विश्लेषण के परिणाम यूजर्स को एक विजुअल डिस्प्ले के जरिये प्रदर्शित किये जायेंगे, ताकि वह जान पायें कि कोई अफवाह तो नहीं फैलायी जा रही है. इसकी मदद से सरकारों, आपातकालीन सेवाओं और दोस्तों के लिए ऐसे दावों के प्रति ज्यादा प्रभावशाली ढंग से प्रतिक्रिया देना संभव हो पायेगा.