वाशिंगटन : माले की सरकार द्वारा वाशिंगटन के साथ रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर न करने के फैसले की खबरों के बीच ही अमेरिका ने मालदीव में स्थायी सैन्य शिविर होने की बात को खारिज किया है.
पेंटागन के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल जेफरी पूल ने प्रेस ट्रस्ट को बताया, ‘‘अमेरिका ने मालदीव में स्थायी सैन्य उपस्थिति नहीं बनाई है और न ही वह ऐसा करने के बारे में सोच रहा है. हम अपने साङो हितों के क्षेत्रों में करीबी द्विपक्षीय संबंध पर काम करना जारी रखते हैं.’’वे राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के उस फैसले के बारे में उठे सवालों के जवाब दे रहे थे, जिसके अनुसार, मालदीव ने अमेरिका द्वारा प्रस्तावित ‘स्टेट्स ऑफ द फोर्सेज अग्रीमेंट’ :एसओएफए: नामक समझौते पर हस्ताक्षर न करने का फैसला लिया है.
पूल ने कहा, ‘‘मैं चाहता हूं कि अमेरिका के साथ एसओएफए को न स्वीकार करने के राष्ट्रपति यामीन के फैसले की वजह के बारे में आप मालदीव की सरकार से पूछें.’’इस सप्ताह की शुरुआत में यामीन ने श्रीलंका में संवाददाताओं को बताया था कि एसओएफए अमेरिका को मुख्य पूर्व–पश्चिम समुद्री मार्ग के पार स्थित उनके द्वीपसमूह पर अधिकार दे देता है.
अपनी कोलंबो यात्र के दौरान उन्होंने कहा, ‘‘वे इसपर पहले भी चर्चा करते रहे हैं. हम इसे नहीं अपनाने वाले.’’मालदीव के अधिकारियों ने कहा है कि प्रस्तावित संधि के जरिए अमेरिकी सेना की पहुंच हिंद महासागर में 1,192 छोटे–छोटे प्रवाल द्वीपों के रुप में फैले इस देश के दो प्रवालद्वीपों तक हो जाएगी.अमेरिका सेना पहले ही दीगो गार्शिया नामक ब्रितानी क्षेत्र में पर्याप्त संख्या में मौजूद है. यह मालदीव द्वीपसमूह के दक्षिण में 700 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.