वाशिंगटन : भारत की मांग पर कोई सकारात्मक संकेत न देते हुए अमेरिका ने आज कहा कि संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई मिशन में देवयानी खोबरागडे के तबादले से उन्हें बीते समय के मामलों के लिए राजनयिक छूट नहीं मिलेगी और उनके खिलाफ वीजा फर्जीवाड़े का मामला बरकरार रहेगा.
अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता जेन प्साकी ने कल कहा, ‘‘जब छूट दी जाती है तो यह पीछे से प्रभावी नहीं होती, यह पूरी तरह राजनयिक की मौजूदा दज्रे के लिए लागू होती है.’’
प्साकी ने कहा, ‘‘इसलिए, मेरा मानना है कि यहां कुछ भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो रही है, यदि दज्रे में कोई बदलाव किया जाता है तो इसका मतलब यह नहीं है कि पूर्व के आरोपों से पूरी मुक्ति मिल गई.’’उन्होंने कहा, ‘‘किसी के लिए भी यह उस समयकाल के लिए लागू होगी जिस दौरान उनके पास राजनयिक दर्जा है. ’’
जेन प्साकी ने कहा, ‘‘राजनयिक छूट मिलने से पूर्व के आपराधिक आरोप रद्द नहीं हो जाते. वे रिकॉर्ड में रहते हैं. राजनयिक छूट मिलने का यह मतलब भी नहीं है कि इससे राजनयिक को अनिश्चितकाल के लिए अभियोजन से छूट मिल जाएगी. यह राजनयिक के वर्तमान स्तर से संबंधित है, उस समय के लिए जब उसके पास दर्जा रहता है.’’
उन्होंने कहा कि राजनयिक छूट का मतलब यह है कि अन्य चीजों के साथ ही कोई विदेशी राजनयिक उस समय के लिए अमेरिका में आपराधिक न्याय कार्रवाई के दायरे में नहीं आता जब तक वे राजनयिक हैं और जब तक उन्हें छूट प्राप्त है.
न्यूयॉर्क में पिछले हफ्ते वीजा फर्जीवाड़े के आरोपों में गिरफ्तार 39 वर्षीय देवयानी खोबरागडे का तबादला भारत ने इस हफ्ते भारतीय वाणिज्य दूतावास से संयुक्त राष्ट्र में अपने स्थाई मिशन में कर दिया था.
प्साकी ने यह भी कहा कि अमेरिका को अभी ‘‘मान्यता के लिए उचित माध्यमों से’’ आधिकारिक आग्रह मिलना बाकी है. उन्होंने संकेत दिया कि देवयानी को तब तक पूर्ण राजनयिक छूट हासिल रहेगी जब तक वह संयुक्त राष्ट्र में तैनात हैं.
देवयानी 1999 बैच की आईएफएस अधिकारी हैं. उन्हें गिरफ्तार करने के बाद यूएस मार्शल्स सर्विस :यूएसएमएस: को सौंप दिया गया था.
देवयानी के साथ हुए र्दुव्यवहार को लेकर भारत ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी और अमेरिकी राजनयिकों तथा उनके परिवारों को दिए गए विशेष अधिकारों को कम करने के लिए कई कदम उठाए थे.
भारत ने अमेरिका से माफी मांगने और देवयानी के खिलाफ सभी आरोप वापस लेने की मांग की थी.