वाशिंगटन : अमेरिका के एक शीर्ष विशेषज्ञ ने खुलासा किया है कि 2008 में मुंबई पर लश्कर ए तय्यबा द्वारा किए गए हमले का मकसद ‘‘नाटकीय’’ रुप से दक्षिण एशिया के भविष्य को बदलना था और संभवत: यह भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु अथवा सशस्त्र युद्ध को भी भड़का सकता था.
ब्रुकिंग इंस्टीट्यूट में इंटेलीजेंस प्रोजेक्ट के निदेशक ब्रुस रिडेल ने एक अमेरिकी दैनिक में प्रकाशित लेख में लिखा है , ‘‘ लश्कर ए तय्यबा ने बड़ी सावधानी से लक्ष्यों का चुनाव किया था और कई सालों तक उन पर बारीकी से शोध किया था. उन्हें ऐसा करने में दो स्नेतों से बड़ी सहायता मिली,एक पाकिस्तानी खुफिया सेवा यानी आईएसआई से और दूसरी अल कायदा से.’’रिडेल ने लिखा है, ‘‘ हमले का मकसद नाटकीय रुप से दक्षिण एशिया के भविष्य को बदलना था, शायद ऐसा उपमहाद्वीप की दो उभरती परमाणु शक्तियों के बीच युद्ध को भड़का कर किया जाना था.’’ द डेली बीस्ट में पूर्व सीआईए अधिकारी ने लिखा है, ‘‘ हर किसी का इस अभियान में अपना एजेंडा था.’’ रिडेल ने 9/11 के हमले के बाद मुंबई हमले को सबसे बड़ा आतंकवादी हमला बताया था.
उन्होंने लिखा है, ‘‘ निशाने वही थे.भारतीय,अमेरिकी, यहूदी,जिन्हें अल कायदा ने 1990 के दशक में अपनी वैश्विक जिहाद के समय से ही निशाने पर ले रखा था. मैंने राष्ट्रपति निर्वाचित बराक ओबामा तथा उनकी टीम को भी कई बार इस बारे में बताया था.’’ रिडेल ने कहा कि मुंबई हमले में सर्वाधिक हैरत में डालने वाली घटना,इसमें डेविड हेडली द्वारा निभायी गयी भूमिका थी जो पाकिस्तानी मूल का अमेरिकी नागरिक है.