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”भविष्य उन्‍हीं देशों का है जहां अनाज है, न कि बंदूक”

वाशिंगटन : भारत के हरित क्रांति के जनक एम एस स्वामिनाथन ने कहा कि भविष्य उन देशों का है जहां अनाज है न कि बंदूक. साथ ही कहा कि भारत को कृषि क्षेत्र को ज्यादा प्राथमिकता देनी चाहिए, यह उसकी अर्थव्यवस्था की रीढ है. स्वामिनाथन ने अमेरिका की एक विचार संस्था सेंटर फॉर स्ट्रेटेजिक एंड […]

वाशिंगटन : भारत के हरित क्रांति के जनक एम एस स्वामिनाथन ने कहा कि भविष्य उन देशों का है जहां अनाज है न कि बंदूक. साथ ही कहा कि भारत को कृषि क्षेत्र को ज्यादा प्राथमिकता देनी चाहिए, यह उसकी अर्थव्यवस्था की रीढ है. स्वामिनाथन ने अमेरिका की एक विचार संस्था सेंटर फॉर स्ट्रेटेजिक एंड इंटरनैशनल स्टडीज में अपनी प्रस्तुति के बद एक सवाल के जवाब में कहा ‘कृषि को और प्राथमिकता देने की जरुरत है. विज्ञान को और प्राथमिकता चाहिए. वैज्ञानिक संस्थाओं को और स्वायत्तता चाहिए. ऐसी स्थिति होनी चाहिए कि लोग समस्याओं को सुलझा सकें.’ अपनी प्रस्तुति के दौरान स्वामिनाथन ने कहा कि किस तरह सरकार की नीति भूख खत्म करने के लक्ष्य को प्राप्त करने में भूमिका निभाती है.

उन्होंने कहा कि भविष्य उन देशों का है जिनके पास अनाज है न कि बंदूक. उन्होंने इस बात की आलोचना की कि कृषि पर भारत में आवश्यक ध्यान नहीं दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंशा अच्छी है लेकिन जमीनी स्तर पर जिस तरह काम होना चाहिए वैसा नहीं हो रहा है. स्वामिनाथन ने कहा ‘प्रधानमंत्री की मंशा अच्छी है. उनकी घोषणाएं अच्छी हैं. लेकिन वास्तविक रूप से जमीनी स्तर पर वैसा कुछ नहीं हो रहा है जो मैं देखना चाहूंगा.’

स्वामिनाथन ने कहा कि सामाजिक सुरक्षा के तरीकों को बरकरार रखना चाहिए और उन्हें मजबूत करना चाहिए. अपने गृहराज्य तमिलनाडु की मिसाल देते हुए उन्होंने कहा कि वहां की मुख्यमंत्री जे जयललिता अपने सामाजिक कल्याण की पहलों के जरिए बिना किसी लागत के जनता की जरुरत पूरी करने में समर्थ हैं. उन्होंने कहा कि खाद्य भंडारण का नुकसान बहुत उच्च स्तर पर है और यह ऐसा मुख्य क्षेत्र है जिस पर ध्यान देने की जरुरत है.

स्वामिनाथन ने अपनी प्रस्तुति में उन्होंने जलवायु परिवर्तन से निपटने और इसके प्रति अनुकूलन और मौसम के प्रति लचीले बीज तथा प्रतिभागी स्थानीय अनुसंधान का भी आह्वान किया. स्वामिनाथन ने कहा कि सतत विकास के लक्ष्य के लिए स्वस्थ समुद्र महत्वपूर्ण हैं. उन्होंने कहा ‘पृथ्वी पर 97 प्रतिशत जल है और हम इसके जरिए बहुत से खाद्य उत्पाद उगा सकते हैं.’

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