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भारत-चीन ने किया सीमा समझौता

बीजिंग : भारत और चीन के बीच आज हस्ताक्षरित सीमा रक्षा सहयोग समझौते ( बीडीसीए ) से दोनों देशों के सैन्य मुख्यालयों में हॉटलाइन की स्थापना होगी और इसके साथ ही सभी सेक्टरों में सीमा अधिकारियों की बैठक स्थलों की व्यवस्था की जाएगी. समझौते में विवादास्पद सीमाओं पर एक दूसरे के गश्ती दलों का पीछा […]

बीजिंग : भारत और चीन के बीच आज हस्ताक्षरित सीमा रक्षा सहयोग समझौते ( बीडीसीए ) से दोनों देशों के सैन्य मुख्यालयों में हॉटलाइन की स्थापना होगी और इसके साथ ही सभी सेक्टरों में सीमा अधिकारियों की बैठक स्थलों की व्यवस्था की जाएगी.

समझौते में विवादास्पद सीमाओं पर एक दूसरे के गश्ती दलों का पीछा नहीं करने के व्यापक निर्देशों का भी प्रावधान किया गया है. इस वर्ष अप्रैल में लद्दाख की देपसांग वैली में चीनी सैनिकों द्वारा खेमेबंदी किए जाने से उपजे राजयनिक तनाव के बाद हुए वार्ताओं के कई दौर के परिणाम के रुप में बीडीसीए सामने आया है.

बीडीसीए कहता है कि संकट के समय दोनों देशों की सेनाएं उच्चतम स्तर पर संवाद स्थापित करने के लिए अपने अपने सैन्य मुख्यालयों में हॉटलाइन संपर्क स्थापित करने पर विचार कर सकती हैं. दोनों देशों के प्रधानमंत्री कार्यालयों में पहले से ही हॉटलाइन स्थापित है.

अपने चीनी समकक्ष ली क्विंग के साथ प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की वार्ता के बाद हस्ताक्षरित बीडीसीए यह भी कहता है कि दोनों पक्ष उन क्षेत्रों में एक दूसरे के गश्ती दलों का पीछा नहीं करने पर भी सहमत हो गए हैं जिन क्षेत्रों में वास्तविक नियंत्रण रेखा ( एलएसी ) को लेकर कोई आम समझ नहीं है. आक्रामक गश्त का नतीजा अक्सर तनाव के रुप में सामने आया है. समझौता यह भी कहता है कि सीमा पर किसी भी पक्ष की ओर से किसी संदेह की स्थिति उत्पन्न होने पर दूसरे पक्ष को स्पष्टीकरण मांगने का अधिकार है.

यह भी बताया गया है कि दोनों देश इस बात पर भी सहमत हुए कि यदि दोनों पक्षों के रक्षा बल आम समझ के अभाव वाले सीमाई क्षेत्रों में एक दूसरे के आमने सामने आ जाते हैं तो दोनों पक्ष अधिकतम संयम बरतेंगे , भड़काउ कार्रवाई से बचेंगे और कोई भी पक्ष एक दूसरे के खिलाफ बल प्रयोग या बल प्रयोग की धमकी नहीं देगा , दोनों पक्ष शिष्टाचार का पालन करेंगे और गोलीबारी या सशस्त्र संघर्ष से बचेंगे.

विवाद का हल लंबित रहने तक चार हजार किलोमीटर लंबी सीमा के बारे में दोनों पक्षों द्वारा अपनाई जाने वाली प्रक्रिया की रुपरेखा बीडीसीए में दी गयी है. इसमें कहा गया है कि दोनों पक्ष सैन्य अभ्यासों, विमानों , विध्वंसक अभियानों और गैर चिन्हित बारुदी सुरंगों के बारे में सूचनाओं को साझा करेंगे और एलएसी पर शांति , स्थिरता तथा समरसता बनाए रखने के लिए अनुकूल कदम उठाएंगे. दोनों पक्षों ने संयुक्त रुप से हथियारों , वन्य जीवों , वन्य जीव उत्पादों और अन्य प्रतिबंधित उत्पादों की तस्करी से निपटने पर भी सहमति जतायी.

बीडीसीए में यह भी व्यवस्था की गयी है कि दोनों पक्ष प्राकृतिक आपदाओं , संक्रामक बीमारियों का मुकाबला करने की दिशा में काम करेंगे. समझौते को सीमा कर्मियों की फ्लैग बैठकों और आवधिक बैठकों के जरिए लागू किया जाएगा.

बीडीसीए की मुख्य विशेषताओं का ब्यौरा देते हुए चीन में भारत के राजदूत एस जयशंकर ने मीडिया को बताया कि समझौते से भारतीय सीमा के भीतर ढांचागत विकास बाधित नहीं होगा.

भारत ने सीमा पर कई क्षेत्रों में ढांचागत विकास परियोजनाएं शुरु की हैं जिनमें सड़कों का निर्माण और हवाई अड्डों का निर्माण शामिल है. भारत ने यह कदम एलएसी पर कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में चीन द्वारा पहले ही अंजाम दिए जा चुके ढांचागत विकास से बराबरी करने के लिए उठाया है.

समझौता कहता है कि दोनों पक्ष एक दूसरे के रक्षा बलों के बीच आपसी समझ और सहयोग बढ़ाने पर भी सहमत हुए जिसके तहत वे संयुक्त समारोहों , राष्ट्रीय और सैन्य दिवसों तथा त्यौहारों पर एक दूसरे को आमंत्रित करेंगे. दोनों पक्ष नियमित आधार पर सैन्य स्तर पर एक दूसरे के देश में संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण अभ्यासों का भी संचालन कर सकते हैं.

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