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”चीन विरोधी खेमे से जुडने के बारे में भारत को सतर्क रहना चाहिए”

बीजिंग : चीनी मीडिया ने चीन भारत संबंधों को बेहतर स्थिति में बताते हुए आज भारत से उसे चीन विरोधी खेमे में खींचे जाने वाले प्रयासों को लेकर सतर्क रहने को कहा. चीन की यह टिप्पणी मालाबार नौसैन्य अभ्यास से जापान के जुडने की पृष्ठभूमि में आई है. सरकारी अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स’ में आज प्रकाशित […]

बीजिंग : चीनी मीडिया ने चीन भारत संबंधों को बेहतर स्थिति में बताते हुए आज भारत से उसे चीन विरोधी खेमे में खींचे जाने वाले प्रयासों को लेकर सतर्क रहने को कहा. चीन की यह टिप्पणी मालाबार नौसैन्य अभ्यास से जापान के जुडने की पृष्ठभूमि में आई है. सरकारी अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स’ में आज प्रकाशित एक लेख में कहा गया है ‘चीन भारत संबंध बेहतर स्थिति में हैं और स्वस्थ रिश्ते दोनों देशों के लिए लाभकारी हैं. भारत को उसे चीन विरोधी खेमे में खींचे जाने के इरादों को लेकर सतर्क रहना चाहिए.’ अखबार में भारत चीन संयुक्त अभ्यास और मालाबार अभ्यास का जिक्र किया गया है. मालाबार अभ्यास में भारत, अमेरिका और जापान की नौसेनाएं हिस्सा ले रही हैं.

रविवार को चीन के युन्नान प्रांत के कुनमिंग शहर में 10 दिवसीय भारत-चीन आतंकवाद निरोधक संयुक्त सैन्य अभ्यास शुरू हुआ. ‘हैंड इन हैंड 2015′ इस अभ्यास का ‘कोड नेम’ है. ‘कनकरेंट इंडिया ड्रिल्स स्पार्क नेसेसरी स्पैक्युलेशन’ शीर्षक वाले लेख में कहा गया है कि अगले दिन बंगाल की खाडी में भारत, अमेरिका और जापान ने त्रिपक्षीय अभ्यास शुरू किया.’ लेख में आगे कहा गया है ‘मालाबार एक द्विपक्षीय नौसैन्य अभ्यास है जिसमें अमेरिका और भारत के साथ साथ इस साल जापान भी शामिल हुआ. यह अटकलें हैं कि वॉशिंगटन और नयी दिल्ली जापान को स्थायी भागीदार बनाने पर विचार कर रहे हैं.’

लेख में कहा गया है ‘लोगों का यह भी कहना है कि जापान को मालाबार अभ्यास में शामिल कर भारत ने चीन पर नजर रखी है और त्रिपक्षीय अभ्यास का लक्ष्य चीन है.’ मालाबार अभ्यास पर प्रतिक्रिया में चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनिंग ने दो दिन पहले संवाददाता सम्मेलन में कहा था ‘दुनिया में हर दिन कई गतिविधियां हो रही हैं. हम हर गतिविधि को चीन से नहीं जोड सकते.’ ग्लोबल टाइम्स के लेख में कहा गया है कि भारतीय अधिकारियों ने जोर दे कर कहा कि नयी दिल्ली बहुपक्षीय कूटनीति अपना रही है.

इसमें कहा गया है ‘भारत की नीतियां और रणनीतियां उसके राष्ट्रीय हितों पर आधारित हैं. यह साबित हो गया है कि पिछले दशकों में भारत स्वतंत्र विदेश नीतियों पर कायम रहा है और उसने चीन का सामना करने के लिए किसी गठजोड का हिस्सा बनना नहीं चाहा.’ लेख में कहा गया है ‘चीन और भारत के करीब आने के प्रयासों पर पश्चिम की ओर से रोक लगायी जाती है जिसकी कोशिश दोनों पक्षों के बीच विवाद को तूल देने की होती है. चीन और भारत के बीच सीमा विवाद और उनके बीच भू-राजनीतिक प्रतिद्वन्द्विता तथा परस्पर अविश्वास के दूर होने की गति बहुत धीमी है और चीन के उभार को लेकर भारत सतर्क है. इससे अन्य देशों के लिए बीजिंग और नयी दिल्ली के साथ चलने का अवसर मिल जाता है.’

इसमें कहा गया है ‘लेकिन चीन और भारत इस ठोस सहमति पर पहुंच चुके हैं कि द्विपक्षीय संबंधों में सतत विकास मतभेदों के कारण बाधित नहीं होना चाहिए.’ लेख में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मई में संपन्न चीन यात्रा के दौरान बनी इस सहमति का जिक्र है कि दोनों देशों के पास मतभेदों से निपटने और उन्हें नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त राजनीतिक बुद्धिमत्ता है. आगे लेख में कहा गया है ‘चीन और भारत दोनों ही उभरते देश हैं और असहमतियों की तुलना में उनके समान हित अधिक हैं. दोनों देशों के सामने विकास बडा कार्य है और ऐसे में कोई भी पक्ष भू-राजनीतिक स्पर्धा को प्राथमिकता नहीं देगा.’

Prabhat Khabar Digital Desk
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