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दक्षिण चीन सागर में सैन्य ताकत बढ़ाएगा चीन, भारत के लिए बन सकता है खतरा

बीजिंग: विवादास्पद साउथ चाइना सी पर अमेरिका के साथ बढते तनाव के बीच चीन ने आज पहली बार अपनी नौसैन्य पहुंच में इजाफा करते हुए आक्रामक सैन्य रणनीति पेश की जो भारत के लिए विशेष रुप से हिंद महासागर में एक चुनौती पैदा कर सकती है. आक्रामक रुख अख्तियार करते हुए चीन ने साउथ चाइना […]

बीजिंग: विवादास्पद साउथ चाइना सी पर अमेरिका के साथ बढते तनाव के बीच चीन ने आज पहली बार अपनी नौसैन्य पहुंच में इजाफा करते हुए आक्रामक सैन्य रणनीति पेश की जो भारत के लिए विशेष रुप से हिंद महासागर में एक चुनौती पैदा कर सकती है. आक्रामक रुख अख्तियार करते हुए चीन ने साउथ चाइना सी (एससीएस) में विवादित द्वीपों पर दो लाइटहाउसों के निर्माण की योजना का खाका पेश किया जो पडोसी देशों वियतनाम ,फिलीपींस , मलेशिया और ब्रुनेई के साथ तनाव के बीच आग में घी डालने का काम कर सकता है.

इसमें दिलचस्प बात यह है कि पूरे एससीएस पर स्वायत्तता के चीन के दावे का इन देशों द्वारा विरोध किए जाने को अमेरिका का समर्थन हासिल है. 23 लाख सैनिकों वाली विश्व की सबसे बडी सेना के साथ चीन का इस वर्ष का वार्षिक बजट 145 अरब डालर से अधिक रहा है जो भारत के 40 अरब डालर के बजट से कहीं अधिक है. सक्रिय रक्षा पर विशेष जोर देने की रक्षा रणनीति पर पहला श्वेतपत्र पेश करते हुए चीनी परिवहन मंत्रालय ने एससीएस में स्प्राटैली आयलैं के नाम से जाने जाने वाले नैन्शा द्वीपों में दो बहुउपयोगी लाइटहाउसों के निर्माण की आधारशिला रखने के लिए एक समारोह की मेजबानी की.
एससीएस में ताजा तनाव पैदा करने वाले लाइटहाउसों के निर्माण का बचाव करते हुए चीनी विदेश मंत्रालय क प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि इनका मकसद जहाजरानी खोज और बचाव एवं आपदा राहत समेत विभिन्न अंतरराष्ट्रीय दायित्वों और जिम्मेदारियों को पूरा करना है.
विदेश मंत्रालय क प्रवक्ता हुआ ने इन आरोपों को लेकर फिलीपींस की भी आलोचना की कि चीन अपने छोटे पडोसी देशों पर धौंस जमा रहा है. उन्होंने कहा, फिलीपींस के लिए एक सलाह है. चीन कभी छोटे देशों पर धौंस नहीं जमाएगा लेकिन छोटे देशों को भी यह ध्यान में रखना चाहिए कि वे बिना बात जानबूझकर उकसावे की कार्रवाई नहीं करें. हम तार्किक दृष्टिकोण अपनाएंगे. हम उम्मीद करते हैं कि फिलीपींस उकसाएगा नहीं और सुलह समझौते के सही रास्ते पर लौटेगा.चीनी परिक्षेत्र में अवैध सैन्य मौजूदगी और एससीएस मामलों में बाहरी पक्षों की संलिप्तता समेत विभिन्न मुद्दों पर अपने पडोसी देशों की उकसावे वाली कार्रवाइयों का जिक्र करते हुए नौ हजार शब्दों वाले श्वेतपत्र में चीन के जहाजरानी अधिकारों एवं हितों के प्रति उत्पन्न होने वाले खतरों पर चेतावनी भी दी गयी है.
भारत के नजरिए से , श्वेतपत्र में चार प्रमुख सुरक्षा क्षेत्रों पर विशेष तव्वजो दी गयी है जिसमें समुद्र, बाहरी अंतरिक्ष , साइबरस्पेस और परमाणु हथियार शामिल हैं. इनमें नौसेना का आधुनिकीकरण शामिल है जो भारतीय नौसेना के लिए एक प्रमुख चुनौती पेश कर सकता है. चीन के पास इस समय एक विमानवाहक पोत है और दो अन्य का वह निर्माण कर रहा है. शिन्हवा संवाद समिति के अनुसार, पीएलए नौसेना धीरे धीरे अपना ध्यान समुद्रतटीय जल रक्षा रणनीति से आगे खुले समुद्र की रक्षा पर केंद्रित करेगी.श्वेतपत्र और दो लाइटहाउसों के निर्माण की योजना का खुलासा अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा विवादित एससीएस क्षेत्र में चीनी गतिविधियों की आलोचना की पृष्ठभूमि में आया है.
चीनी नौसेना ने पिछले सप्ताह ही एक अमेरिकी निगरानी विमान को रेडियो चेतावनी के साथ भगा दिया था, जिसमें सवार सीएनएन सदस्य विवादित एससीएस में बीजिंग द्वारा निर्मित कृत्रिम द्वीपों के उपर से उडान भर रहे थे. चीन ने इस उडान को बेहद गैर जिम्मेदाराना और खतरनाक करार दिया था और अमेरिका को चेतावनी दी थी कि ऐसी कार्रवाई अवांछित घटनाओं का कारण बन सकती है.
ऐसा पहली बार हो रहा है कि चीनी नौसेना 1950 से लेकर 1970 के बीच अपनायी गयी अपने सैनिकों को जमीन के करीब रखने की नीति में बदलाव करेगी.श्वेतपत्र में कहा गया है, यह पारंपरिक मानसिकता कि समुद्र पर नियंत्रण के मुकाबले जमीन पर नियंत्रण अधिक महत्वपूर्ण है , इसे छोडा जाना चाहिए और समुद्रों तथा महासागरों के प्रबंधन , जहाजरानी अधिकारों के संरक्षण तथा हितों पर अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए.पीएलए नौसेना रणनीतिक प्रतिरोध तथा प्रति आक्रमण, समुद्र में संयुक्त आपरेशन , समग्र रक्षा और व्यापक समर्थन की अपनी क्षमताओं में इजाफा करेगी.
श्वेतपत्र में कहा गया है, चीन तब तक हमला नहीं करेगा जब तक कि हम पर हमला नहीं किया जाए लेकिन निश्चित रुप से यदि हम पर हमला किया गया तो हम जवाबी हमला करेंगे.अकेडमी आफ मिलिटरी साइंस के शोधकर्ता झाओ देक्सी ने कहा, खुला समुद्र संरक्षण का मतलब है कि नौसेना को खुले समुद्र में अन्य देशों के बलों के साथ सहयोग करना चाहिए ताकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय की साझा सुरक्षा के लक्ष्य को हासिल किया जा सके.
दो चीनी पनडुब्बियों के पिछले वर्ष श्रीलंका में कोलंबो बंदरगाह पर लंगर डालने से भारत में गंभीर चिंताएं पैदा हो गयी थीं. 1998 के बाद से चीन द्वारा जारी यह नौंवा रक्षा श्वेतपत्र है, लेकिन पहली बार इसमें व्यापक तथ्यों और देश की सेना के आंकडों से अलग हटकर रणनीति पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया है.

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