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चीनी थिंक-टैंक ने और गंभीर घटनाएं होने की चेतावनी दी

बीजिंग: भविष्य में देपसांग घाटी में पैदा हुए गतिरोध से कहीं ज्यादा गंभीर गतिरोध की घटनाएं होने की चेतावनी देते हुए चीन की सरकार के थिंक-टैंक ने आज कहा कि भारत में मीडिया और विपक्षी दलों के दबाव के कारण भविष्य में ऐसी समस्याओं को सुलझाना और मुश्किल हो जाएगा. चीनी मीडिया ने लद्दाख क्षेत्र […]

बीजिंग: भविष्य में देपसांग घाटी में पैदा हुए गतिरोध से कहीं ज्यादा गंभीर गतिरोध की घटनाएं होने की चेतावनी देते हुए चीन की सरकार के थिंक-टैंक ने आज कहा कि भारत में मीडिया और विपक्षी दलों के दबाव के कारण भविष्य में ऐसी समस्याओं को सुलझाना और मुश्किल हो जाएगा.

चीनी मीडिया ने लद्दाख क्षेत्र के दौलत बेग ओल्डी में पैदा हुए गतिरोध पर पहले विस्तृत लेख में लिखा है, ‘‘:सीमा मुद्दे की: दीर्घावधिक समाधान के आसन्न असमंजस को देखते हुए, हम यह नहीं कह सकते हैं कि इस जैसी घटनाओं की पुनरावृति नहीं होगी, वे घटनाएं इससे ज्यादा गंभीर प्रवृत्ति की भी हो सकती हैं.’’ चीनी भाषा में प्रकाशित ‘ग्लोबल टाइम्स’ में प्रकाशित सरकारी थिंक-टैंक ‘चाइनीज सोसायटी ऑफ साउथ एशिया’ के कार्यकारी निदेशक क्वी फेंग ने अपने लेख में लिखा है, ‘‘इसलिए इस मुद्दे के जल्द समाधान के लिए चीन और भारत के पास बेहतर बुद्धिमत्ता, संकल्प और साहस होना चाहिए.’’

विभिन्न तत्थों को रेखांकित करते हुए उसमें कहा गया है, ‘‘भारत के कुछ राजनीतिक दलों ने इस घटना का उपयोग कांग्रेस पार्टी की आलोचना करने और चीन पर दबाव बनाने की मांग के तौर पर किया है.’’उन्होंने लिखा है, ‘‘हम देख सकते हैं कि ये पार्टियों सिर्फ विपक्षी दल होने के लिए ही विपक्षी हैं. उनकी बातों और कार्यों को गंभीरता से नहीं लिया जाना चाहिए.’’

फेंग ने लिखा है, ‘‘लेकिन दूसरी ओर, राजनीतिक दलों की संख्या बढ़ना, स्थानीय पार्टियों में वृद्धि, और राजनीतिक हलकों में बहुआयामी नियंत्रण विदेश नीति बना रही केंद्र सरकार के लिए और ज्यादा अवरोध उत्पन्न करेगी.’’ उन्होंने लिखा है यह ‘भविष्य का रुख’ हो सकता है.
घुसपैठ थिंकटैंक दो अंतिम

इस लेख में घुसपैठ की भारतीय मीडिया में हुई कवरेज पर भी निशाना साधा गया है. घुसपैठ के इस मामले को सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर हुई गहन वार्ताओं और प्रयासों के बाद सुलझाया जा सका है. सरकारी थिंक-टैंक ‘चाइनीज सोसायटी ऑफ साउथ एशिया’ के कार्यकारी निदेशक क्वी फेंग ने अपने लेख में लिखा है, ‘‘भारतीय मीडिया कई बार जानबूझ कर भारत और चीन के बीच तनाव पैदा करता है और इसके
भविष्य में भी जारी रहने की आशंका है. और यही चीन के असंतोष और भारत के सिरदर्द के लिए जिम्मेदार होगा.

भारत को इस घटना का उपयोग यह सोचने के लिए करना चाहिए कि इसके नुकसान पहुंचाने वाले प्रभाव को कैसे कम किया जा सकता है.’’ लेख में कहा गया है कि दोनों पक्षों के बीच मतभेद का मूल कारण दोनों देशों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर सहमति नहीं होना है.

फेंग ने लिखा है, ‘‘चूंकि चीन-भारत की सीमा अभी भी औपचारिक रुप से निर्धारित नहीं हुई है इसलिए दोनों पक्ष यह जानते हैं और मानते हैं कि इस इलाके में सेना की मौजूदगी और मजबूती वैध और मुनासिब है.’’उन्होंने लिखा है, ‘‘इस संकट से निकलना दोनों पक्षों के अधिकारियों की बुद्धिमत्ता, संकल्प और निश्चय की बड़ी परीक्षा है.’’

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