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सिरीसेना ने राजपक्षे को शिकस्त दी, राष्ट्रपति पद की शपथ ली
कोलंबो : चौंका देने वाले नतीजे में श्रीलंका के मतदाताओं ने राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के 10 साल के शासन का अंत कर दिया और कभी उनके सहयोगी रहे मैत्रीपाला सिरिसेना को नया राष्ट्रपति चुना जिन्होंने अपने वादे के अनुसार, देश में बदलाव लाने का संकल्प जताया है. चुनाव परिणामों की घोषणा के घंटों बाद 63 […]
कोलंबो : चौंका देने वाले नतीजे में श्रीलंका के मतदाताओं ने राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के 10 साल के शासन का अंत कर दिया और कभी उनके सहयोगी रहे मैत्रीपाला सिरिसेना को नया राष्ट्रपति चुना जिन्होंने अपने वादे के अनुसार, देश में बदलाव लाने का संकल्प जताया है.
चुनाव परिणामों की घोषणा के घंटों बाद 63 वर्षीय सिरिसेना ने नये राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली. सत्ता के इस शांतिपूर्ण तरीके से हस्तांतरण में नए प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने भी शपथ ली जो अब तक विपक्ष के नेता थे. परिणामों की घोषणा के साथ ही राजपक्षे का 10 साल से चला आ रहा शासन खत्म हो गया. उन पर परिवारवाद, भ्रष्टाचार और अधिनायकवाद को बढावा देने के आरोप लगे थे.
सिरिसेना कभी राजपक्षे के मंत्रिमंडल में मंत्री थे. सिरिसेना और विक्रमनायके दोनों ने ही इंडिपेन्डेन्स स्क्वायर में पद एवं गोपनीयता की शपथ ली. सिरीसेना को सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति के श्रीपावन ने शपथ दिलाई. नये राष्ट्रपति ने कहा ‘मैं सुनिश्चित करुंगा कि जिस बदलाव का मैनें वादा किया है वह बदलाव लाउं. मैं श्रीलंका के दूसरे देशों के साथ संबंध मजबूत करुंगा ताकि सभी देशों के साथ दोस्ताना रिश्ते रहें.
उन्होंने कहा हमारे पास एक विदेश नीति होगी जो अंतरराष्ट्रीय समुदाय और सभी अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ हमारे संबंधों को मजबूत करेगी ताकि हम हमारे लोगों को अधिकतम लाभ दिला सकें. श्रीलंका में सरकार बदलने के बावजूद पोप फ्रांसिस का अगले सप्ताह दौरे का कार्यक्रम यथावत रहेगा. श्रीलंका की रोमन कैथोलिक चर्च ने आज कहा कि पोप फ्रांसिस अगले सप्ताह श्रीलंका आएंगे.
कार्डिनल मैलकम रंजीत ने पोप की 13 जनवरी से 15 जनवरी तक श्रीलंका यात्रा के दौरान शांति और संयंम बनाये रखने की अपील की है. अपने बयान में उन्होंने यह भी कहा है कि सिरीसेना ने उनसे पोप की यात्रा की सफलता के लिए पूरा सहयोग देने का वादा किया है.
सिरीसेना ने स्पष्ट कहा कि वह दूसरा कार्यकाल नहीं मांगेंगे. चुनाव के नतीजों के साथ ही, एक सप्ताह पहले तक असंभव नजर आ रही उनकी जीत संभव हो गई. मतदाताओं ने 69 वर्षीय राजपक्षे को दरवाजा दिखा दिया जो वैसे तो उदार हैं लेकिन कुख्यात लिट्टे के सफाये के दौरान उन्होंने पूरी निर्ममता बरती थी.
देश में पिछले 10 साल से चले आ रहे उनके शासन पर परिवार का प्रभाव रखने और भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे थे. राजपक्षे के कार्यकाल में स्वास्थ्य मंत्री रहे सत्तारुढ श्रीलंका फ्रीडम पार्टी को छोडने से पहले तक उसके महासचिव रहे सिरीसेना को 6,217,162 वोट (51.2 फीसदी) मिले, जबकि राजपक्षे को 5,768,090 वोट (47.6 फीसदी) मिले.
चुनाव आयुक्त महिंदा देशप्रिया ने चुनाव के नतीजे घोषित करते हुए कहा, मैं घोषणा करता हूं कि मैत्रीपाला सिरीसेना श्रीलंका के राष्ट्रपति निर्वाचित हुए हैं. राजपक्षे ने तीसरी बार निर्वाचित होने की इच्छा रखते हुए संविधान में संशोधन कर तय समय से दो साल पहले चुनाव कराए. चुनाव नतीजों की घोषणा से काफी पहले राजपक्षे (69) ने सुबह में ही हार स्वीकार कर ली और राष्ट्रपति भवन (टेम्पल टरी) खाली कर गए.
सिरीसेना ने चुनाव में जीत मिलने पर निष्पक्ष चुनाव के लिए राजपक्षे का शुक्रिया अदा किया. ऐसा लगता है कि काफी संख्या में अल्पसंख्यक तमिलों और मुसलमानों ने राजपक्षे के खिलाफ वोट डाला. वर्ष 2009 में लिट्टे के खिलाफ युद्ध के आखिरी चरण में हुए मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों को लेकर और सत्ता के विकेंद्रीकरण के वादे के अनुसार संविधान संशोधन नहीं करने पर तमिल उनसे नाराज हो गए थे.
रानिल विक्रमसिंघे ने आज सुबह जब राजपक्षे से मुलाकात की तो उन्होंने विक्रमसिंघे से सत्ता के सुगम हस्तांतरण का वादा किया. विपक्ष के नेता ने कहा कि लिट्टे के खिलाफ युद्ध खत्म करने के लिए राजपक्षे ने जो कुछ किया, उसके लिए उनका सम्मान करना चाहिए.
सिरीसेना कुछ ही समय पहले विपक्षी खेमे में शामिल हुए थे. उन्हें मुख्य विपक्षी यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) और बौद्ध राष्ट्रवादी जेएचयू (हेरीटेज पार्टी) तथा अन्य तमिल एवं मुस्लिम पार्टियों का समर्थन मिला था. वह चुनाव की घोषणा की पूर्व संध्या पर दल बदल करने से पहले तक राजपक्षे नीत सरकार में स्वास्थ्य मंत्री एवं सत्तारुढ श्रीलंका फ्रीडम पार्टी के महासचिव थे. सत्तारुढ गठबंधन के 26 सांसद चुनाव प्रचार के दौरान राजपक्षे का साथ छोड गए थे.
लिट्टे के खिलाफ युद्ध के नायक रहे राजपक्षे ने अपनी छवि परिवारवाद को बढावा देने वाली बना ली थी. उन्होंने अपने कई सगे संबंधियों को शीर्ष पदों पर बिठा दिया और पार्टी के पुराने नेताओं को किनारे कर दिया, जिससे असंतोष बढा.
अपने पराजित प्रतिद्वंद्वी की तरह सिरीसेना भी कट्टर बौद्ध हैं. उनकी एक ग्रामीण पृष्ठभूमि है. वह अंग्रेजी नहीं बोलते और सार्वजनिक रुप से हमेशा ही श्रीलंका के राष्ट्रीय परिधान में नजर आते हैं. व्यापक समर्थन मिलने के बावजूद नव निर्वाचित राष्ट्रपति निर्वतमान राष्ट्रपति की नीतियों को शायद दरकिनार न करें.
राजपक्षे पर परिवार का प्रभाव रखने और भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं. उनके भाई गोटभाया और बासिल क्रमश: रक्षा मंत्री और वित्त मंत्री थे. उनके परिवार के कई सदस्य महत्वपूर्ण पदों पर थे. चुनाव के दौरान सिरीसेना ने निर्वाचित होने के 100 दिन के अंदर एग्जीक्यूटिव प्रेसीडेन्सी को समाप्त करने, विवादित 18 वां संशोधन निरस्त करने :जिसके तहत राष्ट्रपति जितने बार चाहें दोबारा चुनाव लड सकते हैं: और 17 वें संशोधन को बहाल करने का संकल्प जताया था.
इस बीच लंदन की एक खबर के अनुसार, मानवाधिकार समूह एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा है कि श्रीलंका की नई सरकार को मानवाधिकार संबंधी मुद्दों का समाधान करना चाहिए और तीन दशक के गृह युद्ध के दौरान हुए कथित युद्ध अपराधों की जांच में संयुक्त राष्ट्र के साथ पूरा सहयोग करना चाहिए.
एमनेस्टी इंटरनेशनल के एशिया प्रशांत क्षेत्र के सहायक निदेशक डेविड ग्रिफिथ्स ने कहा श्रीलंका ने बरसों तक संघर्ष के दौर की जांच करने के सभी अंतरराष्ट्रीय प्रयासों का विरोध किया और घरेलू जांच निकायों पर भरोसा जताया जो सरकार के इशारों पर चलीं। अब नई सरकार को यह सिलसिला खत्म कर संयुक्त राष्ट्र की जांच में पूरी तरह सहयोग करना चाहिए.
तमिल इलाकों में चुनाव प्रचार के दौरान सिरीसेना ने स्पष्ट कर दिया था वह राष्ट्रपति चुनाव में समर्थन मिलने के बदले तमिल कट्टरपंथियों के प्रति नरमी नहीं बरतेंगे और ना ही उत्तरी क्षेत्र से सेना वापस बुलाएंगे. सिरीसेना ने कहा था, मेरा इरादा उत्तरी क्षेत्र से सेना वापस बुलाने का नहीं है. राष्ट्रपति के नाते राष्ट्रीय सुरक्षा मेरी जिम्मेदारी होगी. उन्होंने कहा था कि वह देश को विभाजित नहीं होने देंगे और ना ही श्रीलंका में लिट्टे को फिर से सिर उठाने देंगे.
उन्होंने कहा था, हमने शक्तियां विकेंद्रित करने का या देश को बांटने का तमिल नेशनल अलायंस के साथ या श्रीलंका मुस्लिम कांग्रेस के साथ कोई समझौता नहीं किया है. चुनाव में करीब 75 फीसदी मतदाताओं ने वोट डाला था. सिरीसेना ने तमिल बहुल और मुस्लिम बहुल इलाकों में मजबूत बढत हासिल की. आबादी में तमिलों का हिस्सा 13 फीसदी है. वे लिट्टे को कुचलने वाले राजपक्षे के सफल सैन्य अभियान से नाराज थे. इसलिए उन्होंने विपक्षी उम्मीदवार सिरीसेना के पक्ष में वोट डाला.
सिरीसेना की कोलंबो के अभिजात्य वर्ग और सोशलाइट से मेलजोल रखने की कोई पृष्ठभूमि नहीं है. ना ही वह कोलंबो के किसी प्रतिष्ठित स्कूल से पढे हैं. चुनाव मैदान में 19 उम्मीदवार थे. लेकिन मुख्य मुकाबला दो बार राष्ट्रपति रहे राजपक्षे और सिरीसेना के बीच था. बहरहाल, परिवारवाद को बढावा देने और देश में तानाशाही शासन चलाने के आरोपी राजपक्षे को तय समय से दो साल पहले मध्यावधि चुनाव कराने को लेकर जरुर अफसोस होगा.
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