नेपीतॉ: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जापान यात्रा से पहले भारत ने अपने रणनीतिक साझेदार को आज इस बात से अवगत कराया कि वह द्विपक्षीय असैन्य परमाणु करार पर बातचीत को इसके तार्किक निष्कर्ष तक यथाशीघ्र पहुंचाना चाहता है.विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने एक बैठक में अपने जापानी समकक्ष फुमियो किशिदा के साथ कई मुख्य मुद्दों पर भी चर्चा की ताकि मोदी की जापान यात्रा का बहुत ठोस नतीजा निकल सके.
पूर्वी एशिया शिखर बैठक ( ईएएस) के विदेश मंत्री स्तरीय सम्मेलन से इतर हुई बैठक में जापानी विदेश मंत्री ने सुषमा को इस बात से अवगत कराया कि असैन्य परमाणु करार से जुडे लंबित मुद्दांे पर चर्चा के लिए एक विशेष दूत नई दिल्ली भेजा जाएगा.विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने बताया, ‘‘विदेश मंत्री इस बारे में बहुत स्पष्ट हैं कि भारत और जापान के लिए यह माकूल समय है कि वे असैन्य परमाणु सहयोग पर हमारी चर्चाओं को तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचाएं.’’ दोनों देश इस करार के लिए पिछले चार साल से बातचीत कर रहे हैं.
अकबरुद्दीन ने बताया कि जापानी विदेश मंत्री ने संकेत दिया है कि उनका देश भारत के विचारों को काफी अहमियत देता है और इसलिए उन्होंने सुषमा के विचारों पर गौर किया है.उन्होंने बताया, ‘‘समझा जा रहा है कि इस विषय पर चर्चा के लिए वे एक दूत भेजेंगे. जैसा कि आपको मालूम है कि अभी से लेकर प्रधानमंत्री की वहां की यात्रा के बीच कुछ वक्त है.’’अकबरुद्दीन ने कहा कि दोनों देश प्रधानमंत्री की वहां की यात्रा के बहुत ठोस नतीजे के लिए काम कर रहे हैं.
हालांकि, मोदी की यात्रा की तारीख के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने ब्योरा देने से इनकार कर दिया.प्रवक्ता ने बताया कि कई मुद्दों पर चर्चा हुई. दरअसल, प्रधानमंत्री मोदी की जुलाई में जापान की यात्रा पर जाने का कार्यक्रम था लेकिन संसद के बजट सत्र के चलते इसे टाल दिया गया.मोदी की प्रस्तावित यात्रा पर जापान के विदेश मंत्री ने सुषमा को बताया कि उनका देश इस बारे में आशावादी है कि प्रधानमंत्री की यात्रा बेहद सफल और ठोस होगी.
असैन्य परमाणु उर्जा पर एक समझौता जापानी कंपनियों के लिए भारतीय बाजार खोलेगा.एक ओर जापान ने जहां भारत-अमेरिका परमाणु करार और अंतरराष्ट्रीय प्रौद्योगिकी प्रतिबंधों से मिली छूट का समर्थन किया है, वहीं दूसरी ओर तोक्यो की परवर्ती सरकारों को वहां की परमाणु प्रसार रोधी लॉबी से विरोध के चलते इसके लिए राजनीतिक समर्थन जुटाने में परेशानी पेश आई.
हालांकि, मार्च 2011 में फुकुशिमा परमाणु आपदा आने के बाद असैन्य परमाणु सहयोग समझौते के लिए वार्ता रुक गई थी.जापानी विदेश मंत्री ने सुषमा के साथ अपनी बैठक में कहा कि उनका देश 6 अगस्त को हिरोशिमा बरसी पर भारतीय संसद द्वारा अर्पित की गई श्रद्धांजलि से बहुत प्रभावित हुआ है.
उन्होंने बताया कि वह खुद हिरोशिमा से जुडे हुए हैं.किशिदा ने सुषमा को संकेत दिया कि दोनों देशों के विदेश मंत्रियों को मोदी की यात्रा के बाद सालाना वार्ता के लिए बैठक करना चाहिए.उन्होंने जी4 समूह में सहयोग पर भी चर्चा की. दोनों मंत्रियों ने 2015 में शुरु होने वाले संयुक्त राष्ट्र के 70 वें स्थापना वर्ष के दौरान साथ काम करने की जरुरत को रेखांकित किया.
आतंकवाद को एक नजरिये से देखा जाए, सख्त कार्रवाई हो
ने पी तॉ: आतंकवाद को एशिया प्रशान्त क्षेत्र के देशों के लिए एक बडा अभिशाप बताते हुये भारत ने इससे निपटने के लिए ठोस कार्रवाई पर बल दिया. भारत ने कहा है कि आतंकवाद के खतरे को बिल्कुल एक ही पैमाने से नापा जाना चाहिए.
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने आसियान क्षेत्रीय मंच (एआरएफ) की 21वीं बैठक को संबोधित करते हुये आज यहां कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अफगानिस्तान की मदद करनी चाहिए क्योंकि यह देश नाजुक दौर से गुजर रहा है.सुषमा ने कहा, ‘‘हमें इस :आतंकवाद के: अभिशाप को एक ही नजरिये से देखना चाहिए. हमें अपनी प्रतिबद्धता के आधार पर आतंकवाद में लिप्त व्यक्तियों और समूहों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करनी चाहिए. आतंकवादियों को एआरएफ के किसी सदस्य देश के यहां कोई पनाह या किसी तरह की मदद नहीं मिलनी चाहिए.’’