यरुशलम: सात साल पहले अलग हुए एक भारतीय जोडे का इस्राइल में भावनात्मक पुनर्मिलन हुआ. अपनी सगाई के समय से ही अलग हुए इस युगल का मिलन मणिपुर के ब्नेई मेनाशी यहूदी समूह द्वारा एडना को यहां भेजे जाने से संभव हुआ.
एडना नाम की युवती का मंगेतर गैमलिएल 2007 में इस्राइल चला गया था. उससे दुबारा मिलने के लिए एडना को सात वर्ष इंतजार करना पडा. इसके पीछे वजह गैमलिएल के आने के तुरंत बाद उस समय के प्रधानमंत्री एहुद ओल्मर्ट की सरकार द्वारा उसके समुदाय के इस्राइल आने पर पाबंदी लगा देना थी.वह अपने मंगेतर से कल तब मिली जब मणिपुर से मेनाशी कबीले के 40 यहूदियों का एक जत्था इस्राइल पहुंचा. यह उन 250 अप्रवासियों की पहली खेप है जो कई अन्य लुप्त कबीलों से संबंध रखते हैं और आने वाले महीने में इस्राइल पहुंचेंगे.
शावेई इस्राइल के अध्यक्ष माइकल फ्रेउंड ने बेन गूरियन हवाई अड्डे पर पत्रकारों से कहा, ‘‘हम गैमलिएल को 2007 में ही ले आए थे और अगली खेप में एडना को भी आना था लेकिन उसी समय ओल्मर्ट सरकार ने एडना के समुदाय के आव्रजन को बंद कर दिया और 2012 में यह पुन: प्रारंभ हुआ.’’ शावेई इस्राइल लुप्त हुए इस्राइली कबीलों की यहूदी देश वापसी के लिए आगे रहकर काम करने वाला एक प्रमुख समूह है.
मेनाशियों को मनास्सीह कबीले का वंशज माना जाता है. यह 2,700 साल पहले किंग सोलोमन की मृत्यु के बाद असीरिया साम्राज्य द्वारा निष्कासित की गए दस लुप्त कबीलों में से एक है.