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पूरे उत्साह के साथ भविष्य की ओर बढ़ें

श्रीश्री रविशंकर आध्यात्मिक गुरु व आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक नव वर्ष उत्सव का समय है. सच्चे उत्सव के दो पहलू हैं- पहला है, धन्यवाद देने के लिए उत्सव मनाना, जो दिव्यता के प्रति आभार और कृतज्ञता की अभिव्यक्ति है और दूसरा है, भूतकाल को भुलाते हुए आगे बढ़ते रहना; यह समझ लेना कि जीवन […]

श्रीश्री रविशंकर
आध्यात्मिक गुरु व आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक
नव वर्ष उत्सव का समय है. सच्चे उत्सव के दो पहलू हैं- पहला है, धन्यवाद देने के लिए उत्सव मनाना, जो दिव्यता के प्रति आभार और कृतज्ञता की अभिव्यक्ति है और दूसरा है, भूतकाल को भुलाते हुए आगे बढ़ते रहना; यह समझ लेना कि जीवन शाश्वत है. इस नव वर्ष का स्वागत किसी एक या दोनों ही पहलुओं के साथ करें.
हमारे देश ने 2019 में कई उथल-पुथल देखे, फिर भी जीवन क्रिसमस के पेड़ की तरह सदाबहार है. कोई भी तूफान या आंधी उसके पत्तों को उड़ा नहीं पाता. उसी तरह आत्मा शाश्वत है. हालांकि बार-बार अप्रिय घटनाएं आत्मा को ढंकने की कोशिश करती हैं, परंतु आत्मा व्यक्तिगत और सामाजिक दुखों को पार कर लेती है और उसका सर्वशक्तिमान अस्तित्व उजागर हो जाता है.
नव वर्ष के बदलते ही नवीनतम रुझान और फैशन की चर्चा होने लगती है. फैशन हर साल बदल जाता है, परंतु ज्ञान का प्रचलन कभी समाप्त नहीं होता; सच्चाई, गहनता एवं संवेदनशीलता जैसे गुण हमेशा प्रचलन में रहते हैं. अनवरत चलनेवाले समय में कालहीनता को देखना, परिवर्तनशील घटनाओं के बीच अपरिवर्तनशीलता को पा लेना तथा मन के सभी प्रकार के कोलाहल को पहचान लेने वाली अ-मन की स्थिति ही ज्ञान है, प्रज्ञा है. अपने आस-पास सामान्य-सी प्रतीत होने वाली हर घटना को पहचानने की हमारी ये कला हर बात को एक संदर्भ प्रदान करती है. हम समय को घटनाओं से अलग नहीं कर सकते, परंतु अपने मन को घटनाओं एवं समय से पृथक अवश्य कर सकते हैं और ऐसा करना ही ध्यान है.
आत्मा का स्वभाव है उत्सव. संकट व निराशा से निकलने के लिए उत्सव सबसे उत्तम औषधि है. शराब पीने के बजाय नव वर्ष की शुरुआत एक परोपकार के कार्य से, आत्मविचार और आत्मनिरीक्षण के कुछ क्षणों के साथ करें, तभी हम अपने आप को सभ्य कह सकते हैं.
गरीबों की बस्ती या गांव में घूम कर आप समझ पायेंगे कि कैसे कठिन परिस्थितियों में भी उत्सव मनाया जा सकता है. उन लोगों को देखें, वे तब भी उत्सव मनाते हैं. जीवन में उत्सव मनाने के लिए ज्यादा पैसे की आवश्यकता नहीं है. उत्साह और आनंद से उत्सव होता है. उत्सव एक नजरिया है, जिसके लिए किसी विशेष साधन की आवश्यकता नहीं है. जब कभी मायूसी हो तब उत्सव की ज्यादा आवश्यकता होती है. भूतकाल को स्वीकार करते हुए उत्साह के साथ भविष्य की तरफ बढ़ें.
करोंड़ों वर्ष आये और चले गये. असंख्य घटनाएं एवं अगणित लोग आये और गये, इसी प्रकार हम, जो कि अब आये हैं, एक न एक दिन चले जायेंगे. उठो, जागो! जो सोया है, वह उत्सव नहीं मना सकता. उत्सव का उद्देश्य यदि आसपास के लोगों को उठाने के लिए हो, उनके दिलों को जोड़ने के लिए हो, दर्दनाक भूतकाल को भुलाने के लिए हो या भविष्य के लिए आशा की लौ जलाने के लिए हो, या उत्सव का लक्ष्य समाज को उठाना हो, तो वह उत्सव सेवा हो जाता है और वह पवित्र है.
कंजूस मत बनो और आपके पास जो कुछ है, उसको दूसरों के साथ बांटो. आपका उत्सव समाज के लिए एक पवित्र भेंट हो न कि केवल अपने व्यक्तिगत आनंद के लिए हो. जब उत्सव में पवित्रता और प्रार्थना होती है, तो उसमें गहराई और गरिमा आ जाती है. ऐसा उत्सव सिर्फ मनोरंजन या रोमांच के लिए नहीं है, बल्कि उससे आत्मा का पोषण होता है.
वर्ष 2019 ने कई परेशानी भरे दिन देखे, परंतु इस नव वर्ष में समाज में और आपके जीवन में सूर्य का प्रकाश हो. हिंसा मुक्त व तनाव मुक्त समाज का सृजन हो- यह हम सबको दृढ़ संकल्प लेना है. आपका जीवन सदा शांति, आनंद और सच्चे उत्सव से भरा हो. आप सबको नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं!
2020 में आप इन दोनों में से क्या चुनना चाहेंगे
पिछले वर्ष ने हमें कई सबक सिखाये हैं. हमें क्या करना है और क्या नहीं करना है. वर्ष 2019 में हमने जो भी पीड़ा सहन की, उससे कुछ गहराई मिली है और आनंद व उत्तेजना से हमें जीवन के लिए एक नया दृष्टिकोण मिला है और भविष्य के लिए आशा जगी.
आपको एक बात समझनी है कि आपका जीवन और बेहतर होगा. हो सकता है कि राह में कुछ रोड़े आएं, परंतु जीवन सदैव और अधिक उत्तम दिशा की ओर जायेगा. जो भी समस्याएं आपने जीवन में अनुभव की हैं, उन्होंने आपको गहराई दी है. ज्ञानीजन भूतकाल को भाग्य समझते हैं और भविष्य को पुरुषार्थ और वर्तमान में आनंदित रहते हैं. जबकि अज्ञानी भूतकाल का खेद करते हैं, भविष्य को भाग्य मानते हैं और वर्तमान में दुखी रहते हैं. देखें कि 2020 में आप इन दोनों में से क्या चुनना चाहते हैं.

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