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15 जनवरी, राष्ट्रीय सेना दिवस : सेना में भी महिलाएं पीछे नहीं

नेशनल आर्मी डे के खास अवसर पर देश भारतीय सेना का तहेदिल से शुक्रिया अदा करता है. साथ ही उन महिलाओं की विशेष सराहना करता है, जिन्होंने पुरुषों के वर्चस्ववाले इस क्षेत्र में अपनी उपस्थिति को मजबूती से दर्ज कराया. प्रेरणास्रोत के रूप में उभरी इन महिलाओं से प्रभावित होकर आज अनेक छात्राएं व युवतियां […]

नेशनल आर्मी डे के खास अवसर पर देश भारतीय सेना का तहेदिल से शुक्रिया अदा करता है. साथ ही उन महिलाओं की विशेष सराहना करता है, जिन्होंने पुरुषों के वर्चस्ववाले इस क्षेत्र में अपनी उपस्थिति को मजबूती से दर्ज कराया. प्रेरणास्रोत के रूप में उभरी इन महिलाओं से प्रभावित होकर आज अनेक छात्राएं व युवतियां सेना से जुड़ने के लिए प्रेरित हो रही हैं. डालते हैं एक नजर भारतीय सेना में महिलाओं के सफर एवं इस क्षेत्र में खास मुकाम हासिल करनेवाली महिलाओं पर…
देश सेवा की जिम्मेदारी उठानेवाली भारतीय सेना में लंबे समय तक पुरुषों का वर्चस्व रहा है. लेकिन मजबूत इरादों और हौसलों के दम पर महिलाओं ने न सिर्फ इस क्षेत्र में दस्तक दी, बल्कि अपनी खास जगह बनाने में भी सफलता हासिल की है. पहले जहां इस क्षेत्र में महिलाओं का दायरा डॉक्टर व नर्स के रूप में मेडिकल प्रोफेशन तक ही सीमित था, वहीं 1992 में एविएशन, लॉजिस्टिक्स, लॉ, इंजीनियरिंग और एग्जीक्यूटिव कैडर में उनके लिए प्रवेश के द्वारा खाेले गये.
यह भारतीय सेना द्वारा समानता की दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम था, जिसके बाद महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए सरकार एवं सेना द्वारा कई सकारात्मक फैसले लिये गये. हाल में रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सेना की सभी 10 शाखाओं में महिला अधिकारियों को परमानेंट कमीशन देने की बात कही है. खुशी की बात है कि देश की तीनों सेनाओं में महिला अफसरों की संख्या लगातार बढ़ रही है. इनमें सबसे आगे भारतीय वायुसेना है, जहां 13 प्रतिशत से ज्यादा महिला अफसर हैं.
प्रिया झिंगन : स्नातक के दिनाें में अखबार पढ़ते हुए प्रिया झिंगन ने भारतीय सेना की तरफ से जारी एक इश्तहार देखा, जिसमें सिर्फ पुरुषों की भर्ती की बात लिखी थी. इससे आहत होकर उन्होंने सेना प्रमुख को पत्र लिखा और महिलाओं को सेना में शामिल करने का सुझाव दिया.
उन्हें जवाब मिला कि जल्द ही भारतीय सेना में महिलाओं की नियुक्ति भी शुरू की जायेगी.
इस जवाब के एक साल बाद ही सेना में महिलाओं की भर्ती का विज्ञापन आया. अपनी काबीलियत पर भरोसा कर प्रिया ने परीक्षा में शामिल होने के लिए आवेदन कर दिया. चयनित महिलाओं की लिस्ट में उनका नाम शीर्ष पर रहा. वह ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी, चेन्नई में कैडेट 001 के रूप में दाखिल होनेवाली पहली महिला बनीं.
दिव्या अजीत कुमार : कैप्टन दिव्या अजीत कुमार भारतीय सेना की ऐसी पहली महिला कैडेट हैं, जिन्हें स्वार्ड ऑफ ऑनर से नवाजा गया है. उन्होंने गणतंत्र दिवस (26 जनवरी, 2015) के अवसर पर सेना की एक ऑल विमेन कंटीजेंट का परेड में नेतृत्व किया. चेन्नई की रहनेवाली दिव्या कुमार एक तमिल परिवार से हैं.
उन्होंने बचपन में राजपथ पर परेड देखकर आर्मी में जाने का सपना संजोया. अपने सपने को साकार करने के लिए स्कूल में एनसीसी ज्वाॅइन की और बाद में ऑफिसर ट्रेनिंग अकादमी ज्वाॅइन की. खुद की एक अलग जगह बनानेवाली दिव्या महिलाओं की प्रेरणास्रोत हैं. उन्हें जब भी मौका मिलता है अपने आस-पास के स्कूलों में जाकर अन्य छात्राओं को सेना में शामिल होने के लिए प्रेरित करती हैं.
सशस्त्र बलों (एएमसी, एडीसी और एमएनएस को छोड़कर) की तीन सेवाओं में महिला अधिकारियों का प्रतिशत (2019 के अनुसार)3.89% भारतीय सेना में
13.28% वायु सेना में
6.7% नौसेना में
मिताली मधुमिता : मेजर मिताली मधुमिता भारतीय सेना में अपनी बहादुरी और विशिष्ट सेवा के लिए गैलेंट्री अवाॅर्ड जीतनेवाली पहली महिला हैं. काबुल में नूर गेस्टहाउस में उन्होंने तालिबानी आतंकियों के हमले के बावजूद अपने घायल साथी अधिकारियों को बचाया. दक्षिण पश्चिमी कमान द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में मेजर मिताली को सैन्य स्टेशन पर उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिये वीरता पुरस्कार दिया गया. मधुमिता पहली ऐसी महिला अधिकारी हैं, जिन्हें भारतीय सेना ने सेना मेडल से सम्मानित किया है.
सोफिया कुरैशी : लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी एक मल्टी नेशनल मिलिट्री एक्सरसाइज में भारत का नेतृत्व करनेवाली पहली महिला अधिकारी हैं. एक्सरसाइज फोर्स-18, भारत द्वारा आयोजिस सबसे बड़ा युद्धाभ्यास है. इसमें हिस्सा लेनेवाले 18 दलों में वह नेतृत्व करनेवाली एकमात्र महिला अधिकारी हैं. गुजरात की रहनेवाली सोफिया बायोकेमिस्ट्री से पोस्टग्रेजुएट हैं. वर्तमान में देश की सेवा कर रही सोफिया भारतीय सेना में शॉर्ट सर्विस कमीशन के अंतर्गत 1999 में शामिल हुई थीं. इस दौरान उनकी उम्र महज 17 साल की थी. सोफिया सेना के सिग्नल कॉर्प्स में ऑफिसर हैं.
भावना कंठ : भावना कंठ पहली महिला फाइटर पायलट हैं, जिन्होंने भारतीय फाइटर प्लेन मिग-21 को सफलता पूर्वक उड़ाकर यह योग्यता हासिल की. उनके साथ अन्य दो महिला फाइटर पायलट अवनी चतुर्वेदी और मोहना सिंह को 2016 में फ्लाइंग ऑफिसर के रूप में चुना गया.
पहले वायु सेना में फाइटर पायलट के तौर पर महिला पायलटों के उड़ान की अनुमति नहीं थी. 2016 में तत्कालीन रक्षा मंत्री ने इस नियम को हटाते हुए महिला पायलटों को भी बतौर फाइटर पायलेट वायु सेना में शामिल करने की अनुमति दी थी.
भारतीय सेना में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करानेवाली महिलाओं में भारत की पहली महिला लेफ्टिनेंट जनरल और वाइस एडमिरल बननेवाली पुनिता अरोरा, पहली भारतीय खुफिया अधिकारी लेफ्टिनेंट गेनेवी लालजी, कारगिल युद्ध के दौरान लड़ाकू क्षेत्र में उड़ान भरनेवाली पहली महिला फ्लाइट ऑफिसर गुंजन सक्सेना व अन्य कई नाम शामिल हैं.
पिछले तीन वर्षों के दौरान रक्षा बलों (एएमसी, एडीसी और एमएनएस को छोड़कर) में महिला अधिकारियों की संख्या
वर्ष आर्मी नेवी एयरफोर्स
2016 69 44 108
2017 66 42 59
2018 75 29 59
टेक्नो सखी
सुरक्षा के साथी
दुर्भाग्य से महिलाओं के लिए अपनी सुरक्षा आज भी चिंता का विषय है. इसे देखते हुए कई मोबाइल एप तैयार किये गये हैं जिनकी मदद से आप मुसीबत में फंसे होने पर अपनों तक संदेश पहुंचा सकती हैं और अनहोनी को टाल सकती हैं.
रक्षा
जैसा कि नाम से स्पष्ट है रक्षा एप महिलाओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए डिजाइन किया गया है. इस एप में एक बटन लगा है, जो संकट की स्थिति में आपके स्मार्टफोन की जीपीएस सेंसिंग के जरिये आपके अपनों के पास अलर्ट भेजता है कि आप किस स्थान पर फंसी हुई हैं.
समय पर अलर्ट भेजने के कारण बहुत कम समय में घरवाले आपका पता लगा सकते हैं और सुरक्षित आपको बाहर निकाल सकते हैं. इसके लिए यूजर को उन संपर्कों का चयन करना होता है जिसे असुरक्षा की स्थिति में एप अलर्ट भेजेगा. इस एप के स्विच ऑफ होने पर भी केवल तीन सेकंड के लिए वॉल्यूम की दबाकर अलर्ट भेजा जा सकता है. यह एप्लिकेशन एसओएस फंक्शनलिटी से लैस है और इंटरनेट न होने पर भी इसके जरिये एसएमएस भेजा जा सकता है.
फैमिली लोकेटर
फैमिली लोकेटर सर्वश्रेष्ठ महिला सुरक्षा एप है. जरूरत पड़ने पर यह आपको परिवार के सदस्यों के साथ जोड़ता है. इस एप के जरिये एक बार डेटा सिंक करने के बाद उसमें शामिल परिवार के सभी सदस्यों के साथ एक ही मैसेज साझा किया जा सकता है. इससे प्रत्येक व्यक्ति को अलग-अलग मैसेज भेजने की आवश्यकता नहीं पड़ती है. इसकी खासियत है कि आपकी संपर्क सूची यानी कॉन्टेक्ट लिस्ट में मौजूद सभी लोग आपकी लोकेशन नहीं देख पाते हैं.
इसे डाउनलोड करने के बाद एक ग्रुप बनाना होता है जिसे सर्कल नाम से जाना जाता है. एक एप में अनेक सर्कल बनाये जा सकते हैं. सर्कल में मौजूद हर एक सदस्य एक-दूसरे की लोकेशन देख सकता है. सर्कल में यूजर को शामिल करने की कोई सीमा नहीं है. यह एप आपकी डिवाइस के इन-बिल्ट जीपीएस सेंसर का उपयोग कर आपके परिवार के सदस्यों को नोटिफिकेशन भेजता है, जिसे कोई भी, कभी भी देख सकता है.
रेसक्यूअर
संकट की स्थिति में फंसने पर रेसक्यूअर एप यूजर को इमरजेंसी मैसेज भेजने की अनुमति देता है. इसके लिए यूजर को एप ओपन कर इमरजेंसी टैब दबाना होगा. इसके बाद एप यूजर कॉन्टेक्ट लिस्ट और फेसबुक फ्रेंड लिस्ट में शामिल पांच लोगों को यूजर के लोकेशन के गूगल मैप के साथ टेक्स्ट मैसेज भेजेगा. यह एप दो लोगों को फोन कॉल भी करेगा.
ताकि वे खुद जाकर संकट में फंसी उस महिला को बचा सकें या किसी अधिकारी या किसी दूसरे व्यक्ति को सतर्क कर महिला का बचाव कर सकें. यह फीचर उन यूजर को असीमित मैसेज भेजने की भी अनुमति देता है जिन्होंने पहले से नि:शुल्क रेसक्यूअर एप इंस्टॉल कर रखा है.
छू लो आसमां
एम्स, पटना में नर्सिंग ऑफिसर की बड़ी वैकेंसी
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), पटना ने नर्सिंग ऑफिसर (स्टाफ नर्स ग्रेड-2) के 206 पदों पर आवेदन आमंत्रित किये हैं. योग्य उम्मीदवार 12 फरवरी, 2020 तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं.
शैक्षणिक योग्यता : इंडियन नर्सिंग काउंसिल से मान्यताप्राप्त संस्थान या विश्वविद्यालय से नर्सिंग में बीएससी के साथ इंडियन नर्सिंग काउंसिल में नर्स और मिडवाइफ के रूप में पंजीकृत उम्मीदवार आवेदन कर सकते हैं.
आयु सीमा : 21 से 30 वर्ष.
वेतनमान : 9300-34,800 व ग्रेड पे 4600 रुपये प्रतिमाह दिये जायेंगे.आवेदन शुल्क : सामान्य व अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 1500 रुपये, आरक्षित वर्ग के लिए 1200 रुपये आवेदन शुल्क है. भूतपूर्व सैनिक एवं दिव्यांग उम्मीदवारों के लिए कोई शुल्क नहीं है.
206 पद
संख्या
कंप्यूटर आधारित ऑनलाइन (सीबीटी) टेस्ट और स्किल टेस्ट के आधार पर चयन किया जायेगा. विवरण देखें :
https://aiimspatna.org/
प्रेरणा
देश की पहली महिला फोटो जर्नलिस्ट
भारत की पहली महिला पेशेवर फोटोग्राफर के तौर पर होमी व्यारावाला का जीवन और उनके खींचे गये चित्र एक मिसाल के तौर पर मौजूद हैं.
आज होमी व्यारावाला की पुण्यतिथि है. वर्ष 2012 में उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया. गुजरात के नवसारी में एक पारसी परिवार में 9 दिसंबर, 1913 को जन्मी होमी ने उस दौर में फोटो कैमरा थामा, जब महिलाओं के लिए घर के बाहर काम करना एक बड़ी जंग जीतने सरीखा था. पेशेवर फोटोग्राफी की शुरुआत होमी ने 1930 में की थी. इसके बाद अगले चार दशक तक उन्होंने जो काम किया, उसे देश और दुनिया में बहुत पसंद किया गया. उन्होंने 1970 में पेशेवर फोटोग्राफी छोड़ दी. वर्ष 2011 में उन्हें पद्म विभूषण से नवाजा गया.
होमी के पिता दोसाभाई थियेटर आर्टिस्ट थे, जिनके साथ होमी ने बचपन में बहुत यात्राएं की. इसके बाद उनका परिवार मुंबई में बस गया. उन्होंने मुंबई के जेजे स्कूल ऑफ आर्ट्स और अपने दोस्त एवं जीवनसाथी मानेकशॉ जमशेदजी व्यारावाला से फोटोग्राफी की कला सीखी.
होमी ने जिस दौर में फोटो जर्नलिज्म में कदम रखा, इस क्षेत्र में सिर्फ पुरुषों का दबदबा था. तब रील का जमाना था, कैमरे बहुत भारी होते थे.
श्वेत-श्याम तसवीरों के इस दौर में होमी की खींची तस्वीरें पहली बार बॉम्बे क्रॉनिकल में प्रकाशित हुईं, जिसके लिए उन्हें प्रति तस्वीर एक रुपया मिला. वर्ष 1942 में होमी दिल्ली आ गयीं और ब्रिटिश इन्फॉर्मेशन सर्विस के लिए बतौर फोटोग्राफर काम करना शुरू किया. होमी की तस्वीरें टाइम व लाइफ मैगजीन में फोटो-स्टोरी के रूप में प्रकाशित हुईं.
उन्होंने भारतीय राजनीति की कई घटनाओं समेत महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, दलाई लामा जैसी हस्तियों की कई महत्वपूर्ण तस्वीरें खींची.
एक साक्षात्कार में होमी ने ‘आपकी सबसे फेवरेट फोटो कौन सी है?’ के जवाब में कहा था-‘आप तस्वीरों को ग्रेड के हिसाब से नहीं बांट सकते. हर फोटो की अपनी एक अलग कहानी है.’ फोटो पत्रकारिता के इतिहास में उनकी खींची हर तस्वीर एक अलग कहानी कहती हुई कई पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनकर मौजूद रहेगी.

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