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Thursday, March 28, 2024

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ऐसे बनाएं स्मार्टफोन को तीसरी आंख

अगर आपके पास पुराना एंड्रॉयड स्मार्टफोन है और आप उसे बेचने की सोच रहे हैं तो थोड़ा रूकिये. थोड़ा-बहुत बदलाव करके आप अपने इस पुराने एंड्रॉयड स्मार्टफोन को होम सिक्योरिटी कैमरा यानी तीसरी आंख में तब्दील कर सकते हैं. बीते कुछ वर्षों से स्मार्टफोन अच्छी गुणवत्ता वाले कैमरे, मेमोरी कैपेसिटी और बैटरी लाइफ से लैस […]

अगर आपके पास पुराना एंड्रॉयड स्मार्टफोन है और आप उसे बेचने की सोच रहे हैं तो थोड़ा रूकिये. थोड़ा-बहुत बदलाव करके आप अपने इस पुराने एंड्रॉयड स्मार्टफोन को होम सिक्योरिटी कैमरा यानी तीसरी आंख में तब्दील कर सकते हैं. बीते कुछ वर्षों से स्मार्टफोन अच्छी गुणवत्ता वाले कैमरे, मेमोरी कैपेसिटी और बैटरी लाइफ से लैस आ रहे हैं. ऐसे में हिडन कैमरे के तौर पर इसका बेहतर इस्तेमाल किया जा सकता है.
एक एंड्रॉयड स्मार्टफोन सीसीटीवी कैमरे से ज्यादा कॉम्पैक्ट होता है और इसे घर के भीतर कहीं भी आसानी से छुपाया जा सकता है. इस स्मार्टफोन को सिक्योरिटी कैमरा में बदलने के लिए सिर्फ एक एप की जरूरत होती है. वैसे तो कई तरह के निगरानी एप (सर्विलान्स एप) मौजूद हैं, लेकिन उनमें से सभी मन-मुताबिक परिणाम देने में सक्षम नहीं हैं.
लेकिन अल्फ्रेड कैमरा नामक सर्विलान्स एप ऐसा करने में सक्षम है और इसीलिए यह सबसे ज्यादा लोकप्रिय भी है. गूगल प्ले प्रोटेक्ट द्वारा समर्थित यह कैमरा एप मिनटों में पुराने स्मार्टफोन को सिक्योरिटी कैमरा में बदल देता है.
ये हैं महत्वपूर्ण उपकरण
स्मार्टफोन को सिक्योरिटी कैमरा में बदलने के लिए वाइ-फाइ नेटवर्क या पुराने फोन के लिए 4जी कनेक्शन, एक पावर बैंक या पावर साेर्स ताकि फोन की बैटरी चार्ज रहे, एक अतिरिक्त गूगल अकाउंट और फैक्ट्री रिसेट के बाद एक पुराने एंड्रायड फोन की जरूरत होती है. अतिरिक्त गूगल अकाउंट इसलिए जरूरी है, ताकि इस एप के इस्तेमाल के दौरान हमारा मुख्य अकाउंट सुरक्षित बना रहे.
ऐसे बदलें अपने फोन को हिडन कैमरे में
हिडन कैमरा बनाने के लिए सभी जरूरी उपकरणों को जुटाने के बाद अपने पुराने एंड्रॉयड फोन में अल्फ्रेड कैमरा एप डाउनलोड करें. इसके बाद एप द्वारा यह पूछे जाने पर कि आप इस डिवाइस का इस्तेमाल किस रूप में करना चाहते हैं, ‘व्यूअर’ या ‘कैमरा’ के रूप में, आपको ‘कैमरा’ ऑप्शन का चुनाव करना होगा. इसके बाद आपको अपने अतिरिक्त गूगल अकाउंट में साइन-इन करना होगा. इसके बाद आपका पुराना फोन हिडन कैमरे में बदल जायेगा. अब आपके घर की लाइव चीजें इस कैमरे में कैद हो सकती हैं.
इस पुराने फोन की फीड देखने के लिए आपको दूसरे फोन पर भी अल्फ्रेड एप डाउनलोड करना होगा और उसी अतिरिक्त गूगल अकाउंट से लॉन-इन करना होगा. यहां आपको यह पूछ जाने पर कि आप इस डिवाइस का इस्तेमाल किस रूप में करना चाहते हैं, ‘व्यूअर’ ऑप्शन का चुनाव करना होगा.
इसके बाद आप अपने मोबाइल पर लाइव फीड देख सकते हैं. अगर आप लाइव फीड को कंप्यूटर पर देखना चाहते हैं तो गूगल ब्राउजर ओपन कर, वेबसाइट ‘अल्फ्रेंड डॉट कंप्यूटर’ ओपन करें. अब इस वेबसाइट पर उसी अतिरिक्त गूगल अकाउंट से साइन-इन करें और लाइव फीड देखें. आप केवल एक डिवाइस या कंप्यूटर पर लाइव फीड देख सकते हैं.
जहां तक इमेज क्वालिटी का प्रश्न है, तो इस एप के फ्री वर्जन की क्वालिटी अच्छी नहीं होती है. बाकि के सिक्योरिटी कैमरा एप्स की तरह ही आपको यहां भी सब्सक्रिप्शन की जरूरत पड़ेगी. 12 महीने के पैक के लिए आप 178 रुपये महीने के साथ अल्फ्रेड कैमरा एप का सब्सक्रिप्शन ले सकते हैं. 285 रुपये के साथ इसका मंथली पैक भी उपलब्ध है.
गूगल का नया शेयरिंग बटन
स्मार्टफोन यूजर्स के लिए अब गूगल पर वेबसाइट या किसी आर्टिकल को सर्च या शेयर करना पहले से आसान हो गया है. इन चीजों को शेयर करने के लिए गूगल ने अब अपने एड्रेस बार पर शेयरिंग बटन को देना शुरू किया है. यूजर द्वारा किसी वेबसाइट को सर्च करने और किसी लिंक पर टैप करने से गूगल के एड्रेस बार पर शेयरिंग बटन दिखायी देता है.
वहीं गूगल एप के डिस्कवर सेक्शन पर किसी आर्टिकल के सर्च करने पर भी यह बटन काम करता है. यह शेयरिंग बटन एड्रेस बार के ऊपर दायीं ओर तीन डॉट-मेन्यू बटन और बुकमार्क आइकॉन के साथ स्थित है. एंडॉयड यूजर्स के लिए यह बटन एक सुखद एहसास की तरह होगा, क्योंकि अब उन्हें हर बार क्रोम ब्राउजर को खोलने की जरूरत नहीं होगी. शेयर आइकन को सीधे टैप करने से नीचे से शेयर शीट खुल जाती है, जहां से आप एप्लिकेशन चुन सकते हैं और इसके लिंक भी शेयर कर सकते हैं.
राउटर नेटवर्क के हैकिंग का खतरा
आजकल बाजार में जितने भी राउटर मिल रहे हैं, उनमें से अधिकतर उपभोक्ताओं को दो या दो से अधिक नेटवर्क की सुविधा दे रहे हैं. पहला परिवार के लिए, जिसे होस्ट नेटवर्क कहा जाता है. इस नेटवर्क से आप अपने सभी संवेदनशील स्मार्ट डिवाइस व कंप्यूटर को जोड़ सकते हैं.
और दूसरा आगंतुकों या कम संवेदनशील डेटा (कम संवेदनशील डेटा में मल्टीमीडिया स्ट्रीम या एनवॉयरमेंटल सेंसर रीडिंग शामिल होते हैं) के लिए. इसे गेस्ट नेटवर्क कहा जाता है. लेकिन कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि ये गेस्ट राउटर सुरक्षित नहीं हैं और हैक किये जा सकते हैं. इस बारे में इस्राइल स्थित बेन-गुरिओन यूनिवर्सिटी ने एक शोध किया है.
इस शोध की मानें तो ये गेस्ट राउटर सुरक्षा की दृष्टि से बहुत अच्छे नहीं कहे जा सकते हैं. आप चाहे जाने-माने निर्माता से राउटर लें या किसी स्थानीय निर्माता से, इस बात की कोई गारंटी नहीं दी जा सकती है कि इस राउटर से डाटा लीक नहीं हो सकता है. शोध कहती है कि दो अलग-अलग नेटवर्क में से किसी एक पर मैलवेयर अटैक होने की स्थिति में क्रॉस-राउटर से डाटा लीक होने का खतरा हमेशा बना रहता है.
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