33.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

श्रद्धांजलि : बागुन दा के निधन से हर कोई मर्माहत, शोक की लहर, सो गये दास्तां कहते-कहते…

एक शख्स जो ताउम्र हर मुद्दे पर मुखर रहा. कोल्हान के जंगलों से होते हुए पटना-दिल्ली के सियासी गलियारों तक जिसके फक्कड़पन की चर्चा थी. उस बागुन सुंबरुई का दुनिया से चले जाना इन पंक्तियों को चरितार्थ कर रहा है- बड़े शौक से सुन रहा था जमाना, तुम ही सो गये दास्तां कहते-कहते… राजनीति का […]

एक शख्स जो ताउम्र हर मुद्दे पर मुखर रहा. कोल्हान के जंगलों से होते हुए पटना-दिल्ली के सियासी गलियारों तक जिसके फक्कड़पन की चर्चा थी. उस बागुन सुंबरुई का दुनिया से चले जाना इन पंक्तियों को चरितार्थ कर रहा है- बड़े शौक से सुन रहा था जमाना, तुम ही सो गये दास्तां कहते-कहते… राजनीति का वो उन्मुक्त पंछी अपनी लंबी दाढ़ी व सालों भर धोती लपेट कर रहने के लिए विख्यात था.
यूं तो बागुन बाबू का सियासी सफर 1967 से शुरू होता है, जब वह पहली बार विधायक बने. मगर वह इससे पहले ही नामी शख्सियत बन चुके थे. डायन कुप्रथा के खिलाफ अभियान चलाने से लेकर अकाल के दौर में अन्न का भंडारण कराने और आदिवासियों को नौकरी दिलाने के लिए व्यापक आंदोलन चलाकर वह लोगों को दिलों में घर कर चुके थे.
अलग झारखंड की मांग पर आंदोलनरत चाईबासा प्रखंड के भूता गांव के एक सामान्य मुंडा का चार बार विधायक व पांच बार सांसद बनना उनकी लोकप्रियता का बहुत छोटा उदाहरण है. झारखंड पार्टी से राजनीतिक सफर शुरू कर जनता पार्टी, कांग्रेस, भाजपा तथा वापस कांग्रेस में आकर वह अंतिम समय तक सक्रिय रहे. बच्चे से लेकर बूढ़े तक उन्हें ‘बागुन बाबू’ पुकारा करते थे.
महज सातवीं पास, लेकिन दिल्ली तक थी मजबूत राजनीतिक पकड़
1967 में 43 वर्ष की उम्र में पहली बार विधायक बने, कई बार पार्टियां भी बदली, लेकिन क्षेत्र में पकड़ के कारण राजनीतिक प्रतिद्वंदी को आसानी से मात देते रहे
पिता मानकी मुंडा से सीखा नेतृत्व का गुण
बागुन दा ने नेतृत्व करना अपने पिता मानकी सुंबरुई मुखिया (मुंडा) से सीखा था. बचपन से वे पिता को घर पर लोगों से बात करते, काम करते, लोगों को समझाते हुए गौर से देखते थे. पिता की बातों अौर काम करने के तौर तरीकों का अनुसरण उन्होंने हमेशा किया अौर राजनीतिक क्षेत्र में करीब पांच दशक तक सांसद, विधायक, मंत्री, मुखिया बनकर अपनी अलग छाप छोड़ी.
जिला स्कूल चाईबासा में की आरंभिक पढ़ाई
बागुन ने जिला स्कूल चाईबासा में आरंभिक पढ़ाई की. स्कूल जाने के बजाय सामाजिक कार्यों में रुचि के कारण वे सातवीं कक्षा तक ही पढ़ाई कर सके.
जमशेदपुर शहर में उनके नाम से है दो बस्तियां
बागुन सुंबरुई के नाम से जमशेदपुर शहर में दो बस्तियां हैं जो 38 वर्ष पूर्व बसीं. इनमें जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा अंतर्गत बागुनहातु अौर बागुननगर शामिल हैं.
हालांकि बागुन दा नहीं चाहते थे कि उनके नाम से कोई बस्ती बसे. वे कहते थे कि जीवित व्यक्ति के नाम से बस्ती, मुहल्ले का नाम अनुचित है. इसे लेकर कई बार इन बस्ती के लोगों को उन्होंने समझाने का प्रयास भी किया. लेकिन बागुन दा के बस्ती के समर्थकों के आग्रह के बाद वर्ष 1970 से बागुनहातु अौर बाद में बागुननगर बस्ती बसने के साथ उसका विधिवत नामकरण भी हो गया. चूंकि बागुन दा चाईबासा, पटना, दिल्ली हमेशा आते-जाते थे.
इस कारण स्थानीय बागुनहातु के लिए उनके करीबी चतरो को अौर बागुननगर के लिए सुंडी को बस्ती बनाने की जिम्मेवारी सौंपी गयी थी. बागुन दा के जमशेदपुर आने की सूचना मिलने पर बागुनहातु, बागुननगर, बिरसानगर समेत आसपास के हजारों लोग उन्हें सुनने पहुंच जाते थे.
प्रतिदिन करते थे योग
जल्दी सोना अौर सुबह जल्दी उठना उनकी दिनचर्या का अंग था. प्रतिदिन सुबह योग करते थे. खाने में साग, दाल, सब्जी के साथ सादा खाना पसंद करते थे. सुबह या रात में सामान्य दिनों में गरम पानी के अलावा दूध के साथ एक या दो रोटी ही खाते थे.
चश्मा कवर में पैसे रखते थे
बागुन दा नकद रुपये, एटीएम कार्ड या चेक सभी अपने चश्मे के कवर में मोड़कर रखते थे. घर अौर बाहर में खरीदारी करने में किसी को पैसे देने के क्रम में चश्मा कवर से पैसे निकालते थे. हालांकि कई बार चश्मा समेत कवर खो जाने के बाद भी उनकी आदत अंतिम समय तक नहीं बदली. बाद में चश्मा के साथ एक मोबाइल रखने लगे थे.
कई भाषाओं पर थी अच्छी पकड़
बागुन दा की हो, संथाली, बांग्ला, ओड़िया, हिंदी, इंग्लिश भाषा पर अच्छी पकड़ थी.
58 से ज्यादा पत्नियां!
मंत्री रहे बागुन दा ने कई शादियां की थीं. उनके बारे में धारणा थी कि जब सांसद या विधायक का चुनाव जीतते थे, तब एक शादी की. लेकिन उन्हें करीब से जानने वाले ऐसा नहीं मानते. बागुन दा खुले विचार वाले थे तथा हमेशा मदद करने की उनकी सोच थी.
एक परिचय
नाम : बागुन सुंबरुई
पिता : मानकी सुंबरुई
जन्म : 24 फरवरी 1924
उम्र : 94 वर्ष
पता : बरकेला मुफ्फसिल, गांव भूता, टोला बागुनबासा, चाईबासा, पश्चिम सिंहभूम
शैक्षणिक योग्यता : 7वीं कक्षा पास, जिला स्कूल, चाईबासा
राजनीतिक करियर : पांच बार एमपी, चार बार एमएलए, पांच बार मुखिया (मुंडा)
पत्नी : अनिता सुंबरुई
पुत्र : मस्तान (मृत), हिटलर, अविनाश
पुत्री : कृष्णा और डॉ सुजाता.
एक दशक से थी तीन नेताओं की तिकड़ी
पूर्व सांसद बागुन दा के साथ पूर्व सांसद चित्रसेन सिंकू अौर राज्यसभा सांसद दुर्गाप्रसाद जामुदा (परिवार के सदस्य) की तिकड़ी बनी थी. तीनों नेता पिछले एक दशक से ज्यादा समय से एक साथ रहे. दैनिक कार्यों के अलावा सरकारी कार्यों के लिए सरकारी-गैर सरकारी दफ्तर जाते, रांची, दिल्ली साथ में सफर करते दिखे. पिछले चुनाव में चित्रसेन सिंकू को उन्होंने कांग्रेस पार्टी का टिकट दिलवाया, लेकिन वे चुनाव जीत नहीं सके.
बेटा हिटलर को टिकट दिलाया, हार गये
पूर्व सांसद बागुन दा ने बेटे हिटलर को विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी का टिकट दिलाया था, लेकिन पिता की तरह बेटे की जमीनी पकड़ नहीं थी, इस कारण उन्हें चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा.
सर्दी हो या गर्मी, तन हमेशा खाली रहा
मंत्री, सांसद, विधायक या किसी और पद पर रहते हुए बागुन दा हमेशा सादगी की मिसाल बने रहे. शायद किसी ने उन्हें शरीर के ऊपरी हिस्से पर कभी वस्त्र पहने देखा हो. झारखंड-बिहार के अलावा दिल्ली (राष्ट्रीय स्तर पर) तक बागुन दा की पहचान लंबे बाल-दाढ़ी व धोती पहने खाली बदन वाले नेता की थी. कड़ाके की सर्दी हो या तपती गर्मी, शांत व मृदुभाषी बागुन दा का तन हमेशा खाली रहा. घर में रहें या बाहर अधिकांश समय उनके शरीर का ऊपरी हिस्सा खाली व नीचे धोती पहनते थे.
52 साल पुरानी साइकिल आज भी सरपट दौड़ रही
वर्ष 1965 के आसपास बागुन साइकिल से चला करते थे. उनकी साइकिल आज भी सड़कों पर सरपट दौड़ती है. विधायक बनने के बाद उन्होंने साइकिल चलानी छोड़ दी. खस्ताहाल में साइकिल उनके पैतृक आवास भूता में पड़ी हुई थी. ब्रेक तार व ढांचा ही शेष रह गया था. काफी दिनों तक घर में पड़ी साइकिल को उनके भतीजे रघुनाथ मुंडा रिपेयरिंग कर चला रहे हैं. रघुनाथ मुंडा बताते हैं कि बागुन की निशानी के तौर पर वह इस साइकिल की देखभाल कर चला रहे हैं.
बागुन दा के निधन से हर कोई मर्माहत, शोक की लहर
राज्य में गांधीवाद का झंडा बुलंद करनेवाले वरीय कांग्रेस नेता व पूर्व सांसद बागुन सुंबरुई के निधन पर कांग्रेस ही नहीं झामुमो, झाविमो, आजसू सहित सभी दलों के नेता-कार्यकर्ता मर्माहत हैं.
पश्चिमी सिंहभूम से पांच बार सांसद, चार बार विधायक, बिहार सरकार में मंत्री, झारखंड विधानसभा में प्रथम डिप्टी स्पीकर रहे बागुन दा की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सभी राजनीतिक पार्टियों ने उनके निधन पर शोक प्रकट करते हुए कहा है कि झारखंड ने ऐसी शख्सियत को खो दिया है, जिसकी भरपाई सूबे की राजनीति में मुश्किल है़ झारखंड की राजनीति के भीष्म पितामह कहे जानेवाले स्व़ बागुन दा की पहचान बिहार-झारखंड से लेकर दिल्ली तक थी़
पूर्व सांसद बागुन सुंबरुई के निधन पर कांग्रेस मर्माहत, शोक व्यक्त
रांची : पूर्व सांसद बागुन सुंबरुई के आकस्मिक
निधन पर कांग्रेस कार्यकर्ता मर्माहत हैं. झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डॉ अजय कुमार ने पूर्व सांसद बागुन सुंबरुई के निधन पर गहरी शोक संवेदना व्यक्त की है. कहा कि उनके निधन से कांग्रेस को अपूरणीय क्षति हुई है, जिसकी भरपाई निकट भविष्य में संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि बागुन दा झारखंड आंदोलन के अग्रणी नेता थे. पश्चिमी सिंहभूम से पांच बार सांसद, चार बार विधायक, बिहार सरकार में मंत्री, झारखंड विधानसभा में प्रथम डिप्टी स्पीकर रहे थे. यह उनकी लोकप्रियता को दर्शाती है. डॉ कुमार ने ईश्वर से प्रार्थना की है कि शोक संतृप्त परिवार को इस दु:ख को सहने की शक्ति दे.
शोक व्यक्त करनेवालों में केशव महतो कमलेश, अनादि ब्रह्म, प्रदीप तुलस्यान, राजेश ठाकुर, राजीव रंजन प्रसाद, प्रो विनोद सिंह, लाल किशोरनाथ शाहदेव, रवींद्र सिंह, आलोक कुमार दूबे, शमशेर आलम, डॉ राजेश गुप्ता छोटू, आभा सिन्हा, विनय सिन्हा दीपू, संजय पाण्डेय, सुरेंद्र सिंह, सुरेश बैठा, कुमार राजा, राकेश किरण महतो, निरंजन पासवान, जगदीश साहू, सलीम खान, मदन मोहन शर्मा, सतीश पॉल मुंजनी, अमूल नीरज खलखो, फिरोज रिजवी मुन्ना, एम तौसिफ, चंद्रदेव शुक्ला, रामानंद केसरी, भूषण पाण्डेय आदि शामिल हैं.
उधर प्रदेश प्रवक्ता लाल किशोरनाथ शाहदेव ने बताया कि झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष ने बागुन सुंबरुई के निधन पर सभी जिलाध्यक्षों को अपने-अपने जिला में 23 जून को शोक सभा आयोजित करने का निर्देश दिया है. 23 जून को प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय कांग्रेस भवन, रांची में दिन के 11.45 बजे शोक सभा आयोजित की जायेगी.
कोल्हान के दिग्गज नेता का पार्थिव शरीर 23 जून को अंतिम दर्शन के लिए सुबह नाै बजे तिलक पुस्तकालय कांग्रेस भवन, बिष्टुपुर में रखा जायेगा. वहां से हाता राजनगर होते हुए पश्चिमी सिंहभूम जिला कांग्रेस कार्यालय में पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए रखा जायेगा. स्व. सुमरई का अंतिम संस्कार चाईबासा में होगा.
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने जताया शोक
रांची : वरिष्ठ कांग्रेस नेता सह पूर्व सांसद बागुन सुंबरुई के निधन पर मुख्यमंत्री रघुवर दास ने शोक जताया है. श्री दास ने कहा कि बागुन सुंबरुई ने झारखंड में गांधीवाद का झंडा बुलंद किया. उनके निधन से राज्य की राजनीति में खाली हुई जगह की भरपाई नहीं हो सकती है. मैं उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करता हूं. ईश्वर स्व. सुंबरुई के परिजनों को दु:ख सहने की शक्ति प्रदान करे.
निधन पर सुदेश ने जताया शोक
रांची. बागुन सुंबरुई के निधन पर आजसू पार्टी ने शोक व्यक्त किया है. पार्टी के अध्यक्ष सुदेश कुमार महतो ने कहा कि इस विकट समय में राज्य ने एक ऐसा जन नेता खोया है, जिसकी भरपाई असंभव है. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे और उनके परिवार को दु:ख की इस घड़ी में शक्ति दे.
अर्जुन मुंडा ने दु:ख जताया
रांची. वरिष्ठ कांग्रेस नेता सह पूर्व सांसद बागुन सुंबरुई के निधन पर पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने दुख जताया है. श्री मुंडा ने कहा है कि स्वर्गीय सुंबरुई कोल्हान के बड़े नेता थे. उन्होंने अपने जीवन काल में जनता की सेवा की. दु:ख की घड़ी में भगवान उनके परिजनों को इसे बर्दाश्त करने की शक्ति दे.
बहादुर उरांव ने जताया शोक
रांची. बागुन सुंबरुई के निधन पर पूर्व विधायक बहादुर उरांव ने शोक जताया है. उन्होंने कहा कि झारखंड आंदोलन से जुड़ा रहा एक महान नेता अब हमारे बीच नहीं है. उनके निधन से जो रिक्तता पैदा हुई है, उसे कभी भरा नहीं जा सकेगा.
रांची के प्रथम मेयर ने शोक प्रकट किया
रांची : रांची नगर निगम के प्रथम मेयर शिव नारायण जायसवाल एवं झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व सचिव आदित्य विक्रम जायसवाल ने पूर्व सांसद बागुन सुंबरुई के निधन पर गहरी शोक संवेदना व्यक्त की है.
श्री जायसवाल ने कहा कि बागुन दा के निधन से कांग्रेस पार्टी ही नहीं, बल्कि पूरे राज्य को काफी क्षति हुई है. वो बहुत ही मिलनसार एवं सरल स्वभाव वाले व्यक्ति थे. बागुन झारखंड राज्य अलग आंदोलन के अग्रणी नेता थे. राज्य की सभी पार्टी के नेता एवं कार्यकर्ताओं के चहेते एवं मार्गदर्शक थे. बागुन दा पांच बार सांसद, चार बार विधायक, मंत्री, झारखंड विधानसभा में प्रथम डिप्टी स्पीकर रहे. ये उनकी लोकप्रियता को दर्शाती है.
झारखंड आंदोलन के पितामह थे बागुन दा
रांची : झाविमो सुप्रीमो व पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने कहा कि झारखंड आंदोलन के पितामह और कांग्रेस के पूर्व सांसद बागुन सुंबरुई के निधन की खबर से काफी आहत हूं. स्व बागुन ने झारखंड की राजनीति को एक अलग पहचान दी और उनका इस तरह से हम सब को छोड़ कर जाना काफी दु:खदायी है. जिसकी भरपाई कभी नहीं की जा सकती है.
भगवान उनकी आत्मा को शांति दे और उनके परिवार को दुःख सहने की ताकत. झारखंड और देश की राजनीति लिए यह एक बहुत बड़ी क्षति है. इस दुःख की घड़ी में पूरा झाविमो परिवार उनके परिवार के साथ है.
महान विभूति थे बागुन दा : चंद्रप्रकाश
रांची. जल संसाधन सह पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री चंद्रप्रकाश चौधरी ने पूर्व सांसद बागुन सुंबरुई के निधन पर गहरा दु:ख जताया है. श्री चौधरी ने कहा है कि बागुन दा महान विभूति थे. उन्होंने अपना पूरा जीवन महात्मा गांधी के आदर्शों पर जिया. नि:स्वार्थ भाव से लोगों की सेवा में लगे रहे. अपने अंतिम दिनों में भी वह लोगों की सहायता के लिए हमेशा तत्पर रहते थे. उनके निधन से राज्य को अपूरणीय क्षति हुई है.
बागुन के निधन पर हेमंत-शिबू ने शोक जताया
रांची. झारखंड आंदोलनकारी और कांग्रेस नेता बागुन सुंबरुई के निधन पर झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन और प्रतिपक्ष के नेता हेमंत सोरेन ने शोक जताया है. झामुमो नेताओं ने कहा कि स्व सुंबरुई आदिवासियों के लिए आधार स्तंभ थे़ उन्होंने अपना सारा जीवन आम लोगों की सेवा में लगा दिया़ जीवन भर राष्ट्र की सेवा की.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें