बुखार लगना, वजन कम होना टीबी के प्रमुख लक्षण हैं. अत: इसमें चिक्तिसीय सावधानी के साथ डायट का भी ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि इसमें रोगी को प्रोटीन, ऊर्जा, खनिज लवण, विटामिन आदि की आवश्यकता अधिक होती है, जिसे पूरा करना जरूरी है.
टीबी की अवस्था में रोगी का वजन दिन-प्रतिदिन कम होता जाता है, प्रतिरक्षा तंत्र कमजोर हो जाता है, कोशिकाओं की टूट-फूट अत्यधिक होती है. ऐसे में इसके मरीज को आहार देते समय कई बातों का ध्यान रखना चाहिए.
ऊर्जा : क्षय रोग की अवस्था में रोगी को 50} अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है. बुखार की अवस्था में शरीर का मेटाबॉलिक दर बढ़ जाता है. इसलिए ऊर्जा की मांग 600-1200 किलो कैलोरी तक धीरे-धीरे बढ़ानी चाहिए.
प्रोटीन : अत्यधिक कमजोरी होने से शरीर में कोशिकाओं की हानि अधिक मात्र में होती है जिसकी मरम्मत करने के लिए क्षय रोगी के आहार में प्रोटीन की मात्र 100-120 ग्राम तक धीरे-धीरे बढ़ा देनी चाहिए.
खनिज लवण : क्षय रोग के उपचार के लिए जो आइसोनाइज्ड दवाई दी जाती है वो रागी के शरीर में विटामिन डी के चयापचय में हस्तक्षेप करता है, जिसकी वजह से कैल्शियम तथा फॉस्फोरस के अवशोषण में कमी आती है. कैल्शियम क्षय रोग से हुए घाव को भरने का काम करता है, इसके साथ ही कैल्शियम, आयरन तथा फॉस्फोरस शरीर में कोशिकाओं, रक्त तथा तरल पदार्थ का पुन: निर्मित करने में मदद करता है. अत: आहार में उच्च कैल्शियमयुक्त, आयरनयुक्त आहार रोगी को दिया जाना चाहिए.
विटामिन : क्षय रोग के दौरान रोगी के शरीर में विटामिन ए का चयापचय बहुत प्रभावित होता है, क्योंकि कैरोटिन प्र्याप्त मात्र में विटामिन ए में बदल नहीं पाता है. इसके लिए रोगी को विटामिन ए युक्त आहार देना आवश्यक है. इसके साथ ही विटामिन सी और बी वर्ग की भी जरूरत होती है, क्योंकि विटामिन सी शरीर में सभी पुन: निर्मित कार्यो को करने के लिए आवश्यक है.
तरल पदार्थ : मरीज को तरल पदार्थ पूरे दिन में (2500-5000 मिली) भरपूर मात्र में देना चाहिए.
भूख नहीं लगती टीबी में
क्षय रोग में रोगी को भूख बहुत कम या न के बराबर लगती है, इसलिए रोगी को बीमारी की तीव्रता के आधार पर भोजन की शुरुआत कम मात्र से करें साथ ही रोगी की पसंद व नापसंद का ध्यान रखें. तीव्र अवस्था के दौरान रोगी को उच्च तरल पदार्थ और मुलायम आहार ही दें. थोड़ी-थोड़ी मात्र में रोगी को तरल पदार्थ तीन घंटे मे 2-3 बार दें. बुखार की तीव्रता कम होने पर आहार के अंतराल को बढ़ाएं. जब दवाइयों से रोगी सही हो रहा हो और उसे बुखार व कफ न हो लेकिन उसके उपापचय की क्रिया में कुछ दिक्कत प्रकट हो तब रोगी को उच्च प्रोटीन युक्त व उच्च ऊर्जायुक्त आहार दें. एक दिन में एक लीटर दूध और 3-4 अंडे प्रति दिन दें. जब स्थिति में सुधार होने लगे तब रोगी को सामान्य,भोजन दें और ध्यान दें कि रोगी अपने सामान्य वजन को प्राप्त करें.
नुपूर चतुर्वेदी
न्यूट्रिशनिस्ट
जीविका, गया