इस्लामाबाद : अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवादी छवि में सुधार करने के लिए पाकिस्तान ने बुधवार को तबाही मचाने वाले तालिबान के चार खुंखार आतंकवादियों को फांसी पर लटका दिया है. बताया जा रहा है कि उसने विवादित सैन्य अदालतों से आतंकवाद से जुड़े जघन्य अपराधों में दोषी करार चार और दुर्दांत तालिबान आतंकवादियों को फांसी दी है. 2014 में पेशावर आतंकवादी हमले के बाद से अब तक पकिस्तान में करीब 160 लोगों को फांसी की सजा दी गयी है.
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सेना ने एक बयान में कहा कि निर्दोष नागरिकों की हत्या और सशस्त्र बलों पर हमले में शामिल आतंकवादियों को बुधवार की सुबह फांसी दी गयी. सेना के बयान में यह भी कहा गया है कि सैन्य अदालतों से दोषी करार दिये गये चार अन्य दुर्दांत आतंकवादियों को फांसी दी गयी. ये आतंकवादी आतंकवाद से संबंधित जघन्य अपराधों में शामिल थे, जिनमें निर्दोष नागरिकों की हत्या, मस्जिद पर हमला करना, संचार इंफ्रास्ट्रक्चर का विध्वंस, कानूनी प्रवर्तन एजेंसियों और सशस्त्र बलों पर हमला करना शामिल है.
बुधवार को पाकिस्तान में आतंकवादी के तौर पर जिन दोषियों को मौत की सजा दी गयी, उनकी पहचान कैसर खान, मुहम्मद उमर, करी जुबैर मुहम्मद और अजीज खान के रूप में की गयी है. सेना ने कहा कि ये सभी प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के सक्रिय आतंकवादी थे.
सैन्य अदालत में कब चला मुकदमा, किसी को पता नहीं
हालांकि, अभी तक यह नहीं पता चल सका है कि किस जेल में इन्हें फांसी दी गयी है. साथ ही, यह भी नहीं बताया गया है कि इन पर कब मुकदमा चला और उन्हें कब मौत की सजा दी गयी, क्योंकि सैन्य अदालतें आतंकवादियों के हमले के डर के कारण गोपनीयता से काम करती हैं. बताया जा रहा है कि सैन्य अदालतों की पहली दो साल की अवधि जनवरी में समाप्त हो गयी थी. इसके बाद मार्च में अन्य दो वर्ष की अवधि के लिए अदालतों को बहाल किया गया.
पेशावर हमले के बाद सैन्य अदालतों का किया गया गठन
गौरतलब है कि दिसंबर, 2014 में पेशावर में सेना के एक स्कूल पर हमले के बाद संविधान में संशोधन करके इन अदालतों का गठन किया गया था. इस हमले में 150 से ज्यादा लोग मारे गये थे, जिनमें ज्यादातर स्कूली बच्चे थे. मानवाधिकार समूह जस्टिस प्रोजेक्ट पाकिस्तान का कहना है कि पेशावर हमले के बाद से 441 लोगों को फांसी दी गयी है. पाकिस्तान पिछले एक दशक से ज्यादा समय से विभिन्न चरमपंथी समूहों से लड़ रहा है. आतंकवादी हमलों में हजारों लोगों की जान गयी है. सैन्य अदालतों ने 160 से ज्यादा आतंकवादियों को मौत की सजा दी है.