हजारीबाग: हजारीबाग में उम्मीदवारों के नाम की घोषणा के बाद समीकरण तेजी से बदला है. कांग्रेस नेता मनोज यादव को भाजपा से टिकट नहीं मिलने के बाद पूरा चुनावी गणित बदल गया है. भाजपा ने एकदम नया कार्ड चला है. वरिष्ठ पार्टी नेता यशवंत सिन्हा के पुत्र जयंत सिन्हा को उम्मीदवार बनाया है.
भाजपा के जयंत सिन्हा, कांग्रेस के सौरभ नारायण सिंह, झाविमो के अरुण कुमार मिश्र, आजसू के लोकनाथ महतो और सीपीआइ के भुवनेश्वर प्रसाद मेहता समेत कई उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं. लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत पांच विधानसभा क्षेत्र बरही, मांडू, रामगढ़, बड़कागांव और हजारीबाग सदर में जो चुनावी प्लॉट तैयार हुआ है, उसके अनुसार तिलेश्वर साहू के सामाजिक व जातीय आधार को आजसू पार्टी जोड़ने में लग गयी है. मनोज यादव को भाजपा से टिकट नहीं मिलने के कारण कांग्रेस को जहां राहत मिली है, वहीं भाजपा को जयंत सिन्हा की उम्मीदवारी के बाद नये रास्ते पर चलना है. भाजपा में नफा-नुकसान का आकलन शुरू हो गया है. सभी दल नये मुद्दों को तलाशने में भी जुटे हैं. हजारीबाग में संघर्ष तीखा होगा. पार्टियां अपने वोट बैंक समेटने में लगी हैं.
जानिये, कौन हैं भाजपा प्रत्याशी जयंत सिन्हा
जयंत सिन्हा पेशे से इंजीनियर हैं. राजनीति में आने से पहले उन्होंने ओमिडयार नेटवर्क के इंडिया हेड का पद छोड़ा है. आइआइटी दिल्ली से इंजीनियरिंग में स्नातक की, फिर यूनिवर्सिटी ऑफ पेनसिलवानिया से एमएस की डिग्री ली. हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एमबीए भी किया. मेकेंजी एंड कंपनी के पार्टनर और करेज कैपिटल मैनेजमेंट जैसे इनवेस्टमेंट फर्म के एमडी भी रहे. 2010 से लेकर हाल तक वे डी लाइट डिजाइन के निदेशक रहे. ट्री हाउस एजुकेशन एंड एसेसरीज लिमिटेड में गैर कार्यपालक निदेशक भी रहे. एस्पायरिंग माइंड्स मैनेजमेंट के निदेशक का कार्यभार भी निभाया. 2009 के लोकसभा चुनाव में अपने पिता यशवंत सिन्हा के लिए चुनाव प्रबंधन भी किया.
सभी दल कुनबा बचाने में जुटे
भाजपा, झाविमो और कांग्रेस अपना कुनबा बचाने में जुटे हैं. भाजपा से पूर्व मंत्री देवदयाल कुशवाहा, पूर्व विधायक लोकनाथ महतो, झाविमो से मनीष जायसवाल, बालेश्वर कुमार समेत दूसरी लाइन के छोटे नेता काफी संख्या में दूसरे दल में चले गये हैं. अब 12 मार्च को बरही में आजसू पार्टी के मंच पर भाजपा नेता अजरुन साव की उपस्थिति से क्षेत्र में राजनीतिक हलचल बढ़ गयी है. लोकसभा क्षेत्र में हर दूसरे दिन चर्चा आम है कि भाजपा के कई नेता दूसरे दलों के उम्मीदवारों के संपर्क में हैं. इसी तरह की परेशानी का सामना कांग्रेस उम्मीदवार सौरभ नारायण सिंह को भी करना पड़ रहा है. विशेष कर बरही विधानसभा क्षेत्र में मनोज यादव को लेकर भी कांग्रेस में ऊहापोह की स्थिति है. हजारीबाग में कांग्रेसियों के भितरघात के इतिहास को लोग भूल नहीं पा रहे हैं. सभी दल अपना-अपना कुनबा मतदान के दिन तक बचाने में लगे हैं.