नयी दिल्ली/इस्लामाबाद : पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत की ओर से पूर्व भारतीय सैन्य अधिकारी कुलभूषण जाधव की फांसी का फैसला कहीं नेपाल में भारतीय सीमा से गायब अपनी सेना के अधिकारी के मसले को दबाने के लिए तो नहीं दिया गया है. मीडिया में आ रही खबरों में इस बात का भी जिक्र किया जा रहा है कि कुलभूषण जाधव को फांसी की सजा सुनाये जाने के कुछ दिन पहले ही नेपाल में भारत की सीमा से पाकिस्तानी सेना के अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल (रिटायर्ड) मुहम्मद हबीब जहीर गायब हो गया था. इस घटना के सामने आने के बाद भारत और पाकिस्तान दोनों ही देशों के मीडिया ने जाधव की फांसी का लिंक गायब अफसर से जोडकर आशंका जाहिर की थी.
इतना ही नहीं, इस बात को लेकर सोशल मीडिया पर भी चर्चा जोरों पर है कि गायब सेना के अधिकारी की वजह से दबाव में आकर पाकिस्तान ने वैश्विक समुदाय के सामने अपना दामन बचाये रखने के लिए तो नहीं कुलभूषण जाधव को फांसी देने की सजा सुनाया है. अंग्रेजी के अखबार इंडियन एक्स्प्रेस ने अपनी एक खबर में इस बात का जिक्र करते हुए आशंका जाहिर की है कि हबीब पाकिस्तान की उस विशेष टीम का हिस्सा थे, जिसने मार्च, 2016 में भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव को अगवा किया था.
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सूत्रों का कहना है कि भारतीय खुफिया एजेंसियां लंबे समय से हबीब की ताक में थीं. हबीब को आखिरी बार नेपाल से सटी भारतीय सीमा के पास लुंबिनी में देखा गया था. अब दोनों देशों की मीडिया में कयास लगाये जा रहे हैं कि हबीब की गुमशुदगी और जाधव को फांसी की सजा सुनाये जाने का आपस में ताल्लुक हो सकता है.
कहा जा रहा है कि जब पाकिस्तान को यह पता चला कि हबीब भारतीय एजेंसियों की हिरासत में हैं, तो उसके बाद ही जल्दबाजी में जाधव को फांसी की सजा देने का ऐलान किया गया. इससे पहले, एक समाचार एजेंसी के लिए पाकिस्तान में रिपोर्टिंग कर चुके रिजाउल हसन लश्कर ने कहा था कि भारत ने नौसेना के पूर्व अधिकारी जाधव पर लगे जासूसी के आरोपों को खारिज कर दिया था. क्या जाधव को सुनाई गयी मौत की सजा और पाकिस्तानी सेना के अधिकारी की नेपाल में हुए अगवा के मामले आपस में जुड़े हुए हैं? अगर ऐसा है, तो यह फैसला अदूरदर्शी दिखता है.
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मीडिया में आ रही खबरों की मानें, तो भारत को लगता है कि पाकिस्तान ने जाधव को जल्दबाजी में सजा इसलिए सुनायी है, ताकि भारत दबाव में प्रतिक्रिया करते हुए हबीब को लेकर अपनी कार्रवाई का सार्वजनिक ऐलान कर दे. उधर, पाकिस्तान का मानना है कि भारत ने जाधव को सुनायी जाने वाली सजा का पहले ही अनुमान लगा लिया था और इसीलिए उसने पाकिस्तान के एक अधिकारी को पकड़ा, ताकि हबीब के बदले जाधव को रिहा किये जाने को लेकर वह ‘सौदेबाजी’ कर सके. इससे पहले, कई पाकिस्तानी मीडिया समूह और सोशल मीडिया खातों से दावा किया गया कि पाक अधिकारी के गायब होने में भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ का हाथ है.
सूत्रों के हवाले से पाकिस्तानी मीडिया का कहना है कि हबीब साल 2014 में पाक सेना से रिटायर हुए. सूत्रों के मुताबिक, सेना से रिटायर होने के बाद वह पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए काम करने लगे. हबीब आईएसआई के खुफिया अभियान को अंजाम देते थे. पाकिस्तानी मीडिया की खबरों के मुताबिक, हबीब के बारे में छह अप्रैल से ही कोई जानकारी नहीं मिल पा रही थी. हबीब ने गुरुवार दोपहर को आखिरी बार अपने परिवार से संपर्क किया था. उसके बाद से ही उनका फोन नहीं मिल रहा है.
हबीब के परिवार का दावा है कि वह पांच अप्रैल को एक नौकरी का इंटरव्यू देने के लिए नेपाल गये थे और छह अप्रैल को हबीब लुंबिनी में भारतीय सीमा से करीब छह किलोमीटर की दूरी पर गायब हो गये. जब हबीब के गायब होने की खबर पाकिस्तानी मीडिया को मिली, तो उन्होंने इसके पीछे भारतीय खुफिया एजेंसियों का हाथ बताया. पाकिस्तानी अखबार ‘द डॉन’ ने अपनी एक खबर में आशंका जतायी है कि हबीब के गायब होने के पीछे रॉ का हाथ हो सकता है.