मिथिलेश झा
चुनाव आयोग और प्रशासन की तमाम कोशिशों के बावजूद आधे से अधिक युवा वोटर इस बार अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं करेंगे. चुनाव आयोग ने जो आंकड़े जारी किये हैं, उसके मुताबिक, 18 से 19 वर्ष की आयु वर्ग के 2.31 करोड़ लोगों ने खुद को वोटर के रूप में पंजीकृत कराया है. लेकिन, वर्ष 2011 की जनगणना कहती है कि इस आयु वर्ग की आबादी पांच करोड़ से अधिक है. यानी करीब 2.73 करोड़ (55 फीसदी) वोटर अब भी मतदाता सूची में दर्ज नहीं हैं और वे इस बार वोट नहीं डालेंगे. औसतन देखा जाये, तो हर संसदीय क्षेत्र से 18-19 वर्ष आयु वर्ग के कम से कम 50,000 युवा मतदान नहीं करने जा रहे हैं.
आंकड़े बताते हैं कि मतदाता सूची में नाम दर्ज नहीं करानेवाले 2.73 करोड़ वोटरों में करीब 62 लाख सिर्फ उत्तर प्रदेश से हैं. बिहार, राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा और पंजाब में यह संख्या क्रमस: 27 लाख, 11 लाख, चार लाख, 7.5 लाख और छह लाख है. राजस्थान को छोड़ कर सभी राज्यों में पंजीकरण से दूर रहनेवाले युवा की संख्या पंजीकृत युवा से अधिक है. सिर्फ राजस्थान में 20.41 लाख युवाओं ने पंजीकरण कराया है और 11 लाख ने मतदाता सूची में नाम दर्ज नहीं कराया. हालांकि, मतदाता सूची में संशोधन का काम जारी है, लेकिन अब नये वोटरों के नाम सूची में शामिल नहीं किये जायेंगे.
दूसरी तरफ, आयोग मानता है कि 18-19 वर्ष की आयु वर्ग का युवा पहली बार वोटर बनता है. इस वर्ग के वोटर की वृद्धि को शून्य (0) से जोड़ा जाता है. इस बार 45 फीसदी वोटर जुड़े हैं. यह बहुत अच्छी बात है. पिछले चुनाव में तो यह वृद्धि आठ से 10 फीसदी ही थी.
खूब चले अभियान
चुनाव आयोग ने लोगों को जागरूक करने के लिए सरकारी विभागों, एनजीओ, मीडिया, सार्वजनिक उपक्रमों और निजी क्षेत्र की मदद से कई मतदाता जागरूकता अभियान चलाये. स्कूल के सिलेबस में भी इसे शामिल किया गया है. दूसरी तरफ, विभिन्न संगठनों ने भी वोटर जागरूकता अभियान चलाये. आरएसएस ने लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए वोटर बनने और वोट करने की लोगों से अपील की है.
हर संसदीय सीट पर औसतन 50 हजार यूथ ने मतदाता सूची में नहीं कराया पंजीकरण