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कभी शहबाज कंलदर दरगाह के सम्मान में तैयार किया गया था ..”दमादम मस्त कलंदर” गाना

कल पाकिस्तान के सिंध प्रांत में आत्मघाती हमले में 70 लोगों की मौत हो गयी वहीं 150 लोग घायल हो गये. पाकिस्तान के सिंध प्रांत सहवान में लाल शाहबाज कलंदर दरगाह पर यह हमला हुआ. सूफी परंपरा का प्रतीक बन चुके इस दरगाह का निर्माण 1356 में कराया गया था. बाद में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री […]

कल पाकिस्तान के सिंध प्रांत में आत्मघाती हमले में 70 लोगों की मौत हो गयी वहीं 150 लोग घायल हो गये. पाकिस्तान के सिंध प्रांत सहवान में लाल शाहबाज कलंदर दरगाह पर यह हमला हुआ. सूफी परंपरा का प्रतीक बन चुके इस दरगाह का निर्माण 1356 में कराया गया था. बाद में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जुल्फीकार अली भुट्टो ने इस दरगाह का सौंदर्यीकरण कराया.

लाल शाहबाज कलंदर, पीर सैयद हसन खैबरूद्दीन के बेटे थे. मशहूर गाना ‘दमादम मस्त कलंदर’ सिंध के सूफी संत शाहबाज कलंदर के सम्मान में तैयार किया गया था. इस गाने को कंपोज करने में पाकिस्तानकी प्रख्यात गायिकानूरजहां, उस्ताद नुसरत फतेह अली खान, आबिदा परवीन जैसे चोटी के गायकों नेअहम भूमिका निभायी. सिंध प्रांत में रहने वाले हिंदू भी शहबाज कलंदर के मजार जाते हैं. ऐसा माना जाता है कि शहबाज कलंदर सिंध प्रांत के हिंदुओं के लोकप्रिय नेता झूलेलाल के पुनर्जन्म है. दमादम मस्त कलंदर गाने में भी झूलेलाल का जिक्र किया गया है.
रूमी के समकालीन रह चुके शहबाज लाल कलंदर दुनियाभर में मुसलिम देशों की यात्रा की और सहवान में आकर बस गये. सन 1196 से लेकर 1251 तक लाल कलंदर के प्रमाण सिंध प्रांत में मिलते हैं. शहबाज कई भाषाओं जैसे पश्तो, पर्सियन, तुर्किश, अरबिक, सिंधी और संस्कृत के जानकार थे. हर साल शहबाज कलंदर के याद में तीन दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. एक अनुमान के मुताबिक पूरे पाकिस्तान से हर साल आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम में पांच लाख लोग जुटते हैं. इस दौरान सूफी संगीत का आयोजन किया जाता है.

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