वॉशिंगटन. ट्रंप प्रशासन में अमेरिका ने भारत को एक बार फिर अपना रक्षा सहयोगी बनाया है. अमेरिका ने इसकी अहमियत को कबूल करते हुए डिफेंस सेक्टर में अपने एक्सपोर्ट कानून में बदलाव किया है. इस बदलाव से भारत और रक्षा सेक्टर में काम करने वाली भारतीय कंपनियों को बड़ा फायदा होगा. इससे दोनों देशों के बीच रक्षा तकनीक और हथियारों का आदान-प्रदान काफी आसान हो जायेगा.
इसमें अमेरिकी वाणिज्य विभाग के नियंत्रण वाले सैन्य सामानों का आयात करने वाली भारतीय कंपनियों को कई तरह की सुविधाएं प्रदान की गयी हैं. विशेषज्ञों की राय है कि एक्सपोर्ट कानून में बदलाव के लिए जो नये नियम बनाये गये हैं, वे एक प्रकार से इन भारतीय कंपनियों को रक्षा सामग्रियों और तकनीकों के आयात की पूर्व स्वीकृति जैसे हैं. इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि भारत को सैन्य उपकरणों, तकनीकों और हथियारों का आयात करने के लिए लाइसेंस मिलना पक्का हो गया है.
क्या होगा नया
जो कंपनियां ‘वैलिडेटेड एंड यूजर’ का दर्जा हासिल कर लेंगी, उन्हें हथियारों के आयात के लिए अब लाइसेंस की जरूरत नहीं पड़ेगी. अब भारत में काम कर रहीं भारतीय और अमेरिकी कंपनियां नागरिक और सैन्य निर्माण के लिए वैलिडेटेड एंड यूजर का दर्जा हासिल कर सकेंगी और उन्हें यह दर्जा मिल जायेगा, तो उन्हें अलग से लाइसेंस लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी.