प्रशिक्षण :वीमेन वेलफेयर सोसायटी के सार्थक हो रहे प्रयास
घर बैठे मिल रहा सरकारी योजनाओं का लाभ
कोर्स के बाद संस्था की ओर से दिया जाता है प्रमाणपत्र
पटना : सिटी की रहने वाली शगुफ्ता यासमीन ने सोचा भी नहीं था कि वो कभी अपने पांव पर खड़ी हो पायेगी. मैट्रिक की डिग्री लेने के बाद उसकी पढ़ाई बंद करवा दी गयी. लेकिन शगुफ्ता ने उर्दू भाषा का डिप्लोमा कोर्स किया और आज हैदराबाद स्थित एक कॉलेज में टीचर के रूप में काम कर रही है. कुछ ऐसा ही हाल रोशनी सिन्हा है. रोशनी को बचपन से ही पढ़ाई में मन नहीं लग रहा था. लेकिन उसने ब्यूटीशियन का कोर्स किया और आज वो अपना ब्यूटी पार्लर चला कर खुद अपने सपने पूरे कर रही है. सपना को पूरा करने की इच्छा तो हर किसी की होती है, लेकिन इसे वहीं आगे बढ़ा सकती है जिन्हें मौका मिलता है. जहां चाह वहां राह के कहावत को चरितार्थ कर रहा वीमेन वेलफेयर सोसायटी ऑफ पटना के तहत चल रहे इस सेंटर पर लड़कियों को ट्रेनिंग दी जायेगी.
आगे बढ़ने की मिलती है प्रेरणा
कोई ड्रेस डिजाइनिंग की ट्रेनिंग लेकर आगे बढ़ रही है तो कोई कंप्यूटर में अपना नाम आगे कर रही है. घरों में बंद इन लड़कियों को आगे बढ़ने की प्रेरणा मिल रही है. ग्लास पेंटिंग की छह महीने की ट्रेनिंग ले रही प्रियंका ने बताया कि इन दिनों ग्लास पेंटिंग का काफी चलन है. यहां से ट्रेनिंग लेते हुए उसने अपने घर में ही बिजनेस की शुरुआत कर ली है. इससे वो अपने बच्चों को अच्छे स्कूल में एजुकेशन दे रही है. वहीं सलमा आलम ने बताया कि उसके पिता की नौकरी अचानक से चली गयी. इससे घर का इकोनॉमिकली कंडीशन बहुत ही खराब हो गया. लेकिन उसने ज्वेलरी मेकिंग की ट्रेनिंग ले रखी थी, जिससे उसे किसी तरह की दिक्कतें नहीं हुई.
500 से ज्यादा लड़कियां हो चुकी हैं आत्मनिर्भर
माइनॉरिटी गल्र्स की मदद के लिए इस सेंटर की शुरुआत 2006 में किया गया. 2009 में इस सेंटर को एचआरडी डिपार्टमेंट से रजिस्ट्रेशन भी कर दिया गया. यहां पर मुसलिम के अलावा नॉन मुसलिम लड़कियों को भी ट्रेनिंग दी जाती है. यहां पर चलने वाले तमाम कोर्स को नेशनल इंस्टीच्युट ऑफ ओपेन स्कूलिंग और नेशनल काउंसिल ऑफ प्रमोशन ऑफ उर्दू लैंग्वेज से मान्यता प्राप्त है. ट्रेनिंग के बाद संस्था से सर्टिफिकेट भी निर्गत किये गये है. अभी तक 500 के ऊपर लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाया जा चुका है.