नयी दिल्ली : रूस के राष्ट्रपति पुतिन और अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रंप के बीच नजदीकियां बढ़ रही है. आज पुतिन ने कहा कि चुनाव के वक्त किसी को भी इस बात का भरोसा नहीं था कि ट्रंप अमेरिका के अगले राष्ट्रपति होंगे. पुतिन और ट्रंप के बीच नजदीकी की कहानी कोई नयी नही है. चुनाव प्रचार के दौरान ट्रंप ने कई बार पुतिन को सराहा है. ट्रंप ने हिलेरी की विदेश नीति की आलोचना की थी. ट्रंप का आरोप था कि बतौर विदेश मंत्री हिलेरी ने रूस के खिलाफ नफरत फैलाने वाली नीति अपनायी. हिलेरी के इस पॉलिसी से इस्लामिक स्टेट मजबूत हुआ.
उधर अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने विदेश मंत्री के तौर पर एक्सॉनमोबिल के सीईओ रेक्स टिलरसन को चुना. टिलरसन रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ करीबी संबंधों के लिए जाने जाते हैं. यही नहीं ट्रंप ने कई बार अपने रूस के साथ मिलकर इस्लामिक स्टेट के खिलाफ लड़ाई का इच्छा जतायी है.
चीन के साथ अमेरिका की बढ़ सकती है तल्खी
पिछले दिनों अमेरिका ने चीन के पनडुब्बी को जब्त कर लिया था.चीन का अारोप है कि अमेरिकी पनडुब्बी चीन का जासूसी कर रहा था. उधर अमेरिका ने इन खबरों का खंडन किया. यही नहीं चुनाव जीतने के साथ ही डोनॉल्ड ट्रंप ने ताइवान के राष्ट्राध्यक्ष को फोन किया. चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है, ऐसे में ट्रंप का यह फैसला स्वभाविक रूप से शी जिंग पी के गुस्सा बढ़ाने वाला कदम था. स्पष्ट तौर पर ट्रंप ने चुनाव जीतने के बाद कई ऐसे कदम उठाये जो चीन को भड़काने का काम किया.
ट्रंप अपनी टीम में जिन लोगों का चयन कर रहे हैं उनकी छवि चीन के कट्टर आलोचक के रूप में रही है. ट्रंप ने कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर पीटर नवारों को अमेरिका की व्यापार और औद्योगिक नीति के निदेशक बनाया है. उन्होंने अपनी किताबों ‘द कमिंग चाइना वार्स’ और ‘डेथ बाय चाइना: हाउ अमेरिका लॉस्ट इट्स मैन्युफैक्चरिंग बेस’ में चीन की व्यापार नीतियों की तीखी आलोचना की है. नवारो की पहचान चीन के कट्टर आलोचक के रूप में रही है.