काराकस. वेनेजुएला सरकार ने अपने नोटबंदी के फैसले को वापस ले लिया है. महज एक सप्ताह पहले, 11 दिसंबर की रात को वेनेजुएला में वहां की सबसे बड़ी करेंसी 100 बोलिवर को प्रतिबंधित कर दिया था और इसके बदले 500, 2000 और 20,000 बोलिवर की नयी करेंसी जारी की गयी थी, लेकिन देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए वहां की सरकार द्वारा उठाया यह कदम पूरी तरह सफल नहीं हो सका. करेंसी के लिए देश में हाहाकार मच गया, हजारों दुकानें बंद हो गयीं, लोगों के पास खाने के भी पैसे नहीं रह गये, हालात बेकाबू हो गये और जगह-जगह लूटपाट की घटनाएं होने लगी. पुलिस से संघर्ष में तीन लोगों की मौत हो गयी. लिहाजा, वहां की सरकार ने नोटबंदी के अपने फैसले को वापस ले लिया. राष्ट्रपति निकोलस ने शनिवार, 18 दिसंबर को डिनॉमिनेशन बिल को सस्पेंड कर दिया. इसके साथ ही नोटबंदी के फैसले को फिलहाल दो जनवरी तक के लिए टाल दिया गया है. यानी दो जनवरी तक पुरानी करेंसी बाजार में बनी रहेगी. वेनेजुएला की कुल करंसी का 77% हिस्सा 100 बोलिवर के नोट में था.
वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादूरो ने 11 दिसंबर की रात को देश में तत्काल प्रभाव से अर्थव्यवस्था की सबसे बड़ी करेंसी 100 बोलिवर को प्रतिबंधित कर दिया था. इसके बदले वेनेजुएला सरकार ने 500, 2000 और 20,000 बोलिवर की नयी करेंसी जारी की थी. लोगों को नोट बदलने के लिए केवल 72 घंटे का समय दिया गया, लेकिन इस अनुपात में नयी करेंसी की सप्लाई नहीं की जा सकी. वेनेजुएला की आधी आबादी के पास बैंक खाते नहीं हैं और सरकार ने इस पर कोई होमवर्क नहीं किया था. निकोलस ने ऐसे समय में नोटबंदी की घोषणा की, जब देश क्रिसमस त्योहार की तैयारी कर रहा था. नोटबंदी से हर स्तर पर हालात बेकाबू हो गये थे.
क्याें लेना पड़ा था नाेटबंदी का फैसला
दरअसल, वेनेजुएला की पूरी अर्थव्यवस्था चरमरा गयी है. सीमापार कोलंबिया में माफिया द्वारा वेनेजुएला की राष्ट्रीय करेंसी बोलिवर की होर्डिंग कर दी गयी. इससे देश में महंगाई बेकाबू हो गयी. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बाजार में वेनेजुएला की करेंसी बेहद कमजोर हो गयी. उस देश की सबसे बड़ी करेंसी 100 बोलिवर है, जो डॉलर के मुकाबले महज 2 से 3 सेंट पर थी.
क्यों बनी यह स्थिति
– दरअसल, पूरी अर्थव्यवस्था तेल के अंतरराष्ट्रीय कारोबार पर निर्भर है. वह ऑयल रिच कंट्री है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट से देश में आर्थिक संकट उत्पन्न हुआ.
– दूसरी अोर, माफिया और बड़े कारोबारियों ने बड़ी मात्रा में कालाधन जमा कर लिया. ऐसे तबके ने 100 बोलिवर के अरबों नोट छिपा लिये. ये नोट कोलंबिया और ब्राजील के शहरों में भी छिपाये गये.
– इससे अर्थव्यवस्था में कालाधन बड़ी मात्रा में घुल गया.
100 बोलिवर का अंतरराष्ट्रीय मूल्य
100 बोलिवर का मूल्य भारतीय मुद्रा में 6.8 रुपये के बराबर है और अमेरिकी करेंसी में तीन सेंट के बराबर.
क्यों फेल हुई नोटबंदी
वेनेजुएला में नोटबंदी के फेल होने के पीछे वहां के राष्ट्रपति विदेशी ताकतों का हाथ मानते हैं, लेकिन बारीकी से देखने पर नोटबंदी को लेकर सरकार की समझ, नीति और तैयारी में कमी साफ दिखती है.
– वेनेजुएला सरकार ने नोटबंदी का फैसला रविवार के दिन देर रात में लिया और सोमवार सुबह से देश में 100 बोलिवर की इस करेंसी को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया.
– जनता को करेंसी बदलने के लिए केवल 72 घंटे की मोहलत मिली.
– वेनेजुएला की आधी जनसंख्या बैंकिंग सेवाओं से बाहर है. लिहाजा मुल्क की आधी आबादी कैशलेस ट्रांजैक्शन करने में सक्षम नहीं है.
– नजीता हुआ कि वेनेजुएला की जनता खाने-पीने की चीजें से लेकर ईंधन तब खरीदने में असमर्थ हो गयी.
– नोटबंदी के फैसले का समय गलत था. यह फैसला ऐसे समय में लिया गया, क्रिसमस का त्योर सामने है और लोग क्रिसमस की तैयारी में जुटे थे. नोटबंदी से उनके हाथ से एक झटके में पुरानी करेंसी बेकार हो गयी और उनके पास कोई विकल्प नहीं बचा.
– नागरिकों को करेंसी बदलने के लिए महज 72 घंटे का समय तो दिया गया, लेकिन उस अनुपात में नयी करेंसी की सप्लाई सुनिश्चित नहीं की गयी.
– नयी करेंसी की सप्लाई सुस्त रही, तो करेंसी बदलने का समय बढ़ा दिया गया, लेकिन इसके बाद भी पर्याप्त मात्रा में करेंसी उपलब्ध नहीं करायी जा सकी.
– सरकार ने खुद माना कि नयी करेंसी से भरे तीन हवाई जहाज वेनेजुएला नहीं पहुंच सके.
– नतीजा यह हुआ कि स्थिति बेकाबू हो गयी. बैंकों के आगे लंबी-लंबी कतारें लग गयीं और जगह-जगह दुकानों में लूट-पाट होने लगी. इससे जनता का गुस्सा सरकार के खिलाफ फूट पड़ा.
नोटबंदी का राजनीति असर
नोटबंदी के एलान और उसकी वापसी का असर वहां की राष्ट्रीय राजनीति पर भी पड़ेगा. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बाजार में वेनेजुएला की करेंसी के बेहद कमजोर होने, महंगाई के बेकाबू होने और देश की अर्थव्यवस्था में भारी गिरावट के लिए वहां की विपक्षी पार्टियां पहले से राष्ट्रपति निकोलस मदूरो की आर्थिक नीतियों को जिम्मेदार मान रहे थे. निकोलस के विरोधियों का आरोप है कि 18 साल से सोशलिस्ट नीतियां देश चला रही हैं और उन्हीं नीतियों के कारण देश की अर्थव्यवस्था चौपट हो गयी. वेनेजुएला में अगले ही साल, 2018 में राष्ट्रपति चुनाव होने वाला है. इस चुनाव में नोटबंदी को लेकर सरकार द्वारा उठाये गये कदम और फैसले की वापसी का बड़ा प्रभाव पड़ेगा.
अॉस्ट्रेलिया में भी नोटबंदी
वेनेजुएला के बाद ऑस्ट्रेलिया ने भी भारत की तर्ज पर अपने देश में नोटबंदी का एलान किया है. वहां की सरकार ने कालेधन को रोकने के लिए अपनी सबसे बड़ी करेंसी 100 डॉलर को बंद करने का फैसला किया है. ऑस्ट्रेलिया में 100 डॉलर की 300 मिलियन करेंसी चलन में है. वहां की करेंसी का 92 फीसदी हिस्सा 50 और 100 डॉलर के रूप में चलता है, जबकि उनकी जीडीपी में 1.5 कालाधन है.