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तैयारी क्लैट की: हर विषय के साथ संतुलन है जरूरी

क्लैट में सफलता के लिए जरूरी है तैयारी के दौरान हर विषय को बराबर समय देना और मॉडल प्रश्नपत्रों का लगातार अभ्यास करना. बेहतर रणनीति के साथ तैयारी करने से इस परीक्षा में अपना अच्छा परिणाम प्राप्त किया जा सकता है.. सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल एक जनहित याचिका में कहा गया था कि क्यों न […]

क्लैट में सफलता के लिए जरूरी है तैयारी के दौरान हर विषय को बराबर समय देना और मॉडल प्रश्नपत्रों का लगातार अभ्यास करना. बेहतर रणनीति के साथ तैयारी करने से इस परीक्षा में अपना अच्छा परिणाम प्राप्त किया जा सकता है..

सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल एक जनहित याचिका में कहा गया था कि क्यों न ऐसी एकीकृत प्रवेश परीक्षा शुरू की जाये, जो भविष्य के वकीलों को बेहतर कानूनी दृष्टिकोण तो प्रदान करे, साथ ही न्यायपालिका को भी मजबूती दे. इसके बाद कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट सामने आया. 12वीं के बाद छात्र लॉ के डिग्री प्रोग्राम में प्रवेश ले सकते हैं. क्लैट का आयोजन देश के नेशनल लॉ स्कूल/ यूनिवर्सिटीज अपने अंडर ग्रेजुएट (एलएलबी) और पोस्ट ग्रेजुएट (एलएलएम) प्रोग्रामों में प्रवेश के लिए करते हैं.

परीक्षा पैटर्न को जानें
प्रश्नों का स्तर 12वीं स्तर का होता है. इसलिए 12वीं के सभी विषयों के कांसेप्ट पूरी तरह क्लियर होने चाहिए.
क्लैट अंडरग्रेजुएट परीक्षा में 40 अंक की अंगरेजी पूछी जाती है. इसमें कॉम्प्रीहेंशन, वर्ड मीनिंग, करेक्ट, इनकरेक्ट, फिल इन द ब्लैंक्स, चूजिंग द राइट वर्ड जैसी चीजें प्रमुख हैं. मैथ्स प्रश्नपत्र में मात्र 20 अंकों की मैथ्स आती है. प्रश्न हाइस्कूल स्तर के होते हैं. 50 प्रश्नों वाले जीके सेक्शन की अच्छी तैयारी के लिए साल भर के राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम, पुरस्कार, विज्ञान आदि की उपलब्धियों आदि से संबधित प्रश्नों का अध्ययन करें. 40 प्रश्नों वाले लॉजिकल रीजिनिंग के सेक्शन का प्रावधान उम्मीदवारों की तार्किक योग्यता परखने के ल्एि किया गया है. इसमें एनालॉजी, लॉजिकल सीक्वेंस, सिलोगिज्म जैसी चीजों पर ज्यादा फोकस रहता है. 50 अंकों वाला लीगल एप्टीट्यूड इस प्रश्नपत्र का सबसे खास भाग है. इसके जरिये सही मायने में एक वकील के मूलभूत गुणों की परख की जाती है.

तैयारी के लिए बनाएं रणनीति
क्लैट में सफलता के लिए परीक्षा की प्रकृति के मुताबिक तैयारी का खाका खींचना होगा. इसमें सफलता का एक ही मंत्र है- कड़ी तैयारी. यहां कुछ ऐसे ही फामरूले दिये जा रहे हैं, जो क्लैट की पहेली का हल बन सकते हैं.

प्वॉइंट 1 : सबसे पहले अपनी परीक्षा को जानें. इसके लिए क्लैट के प्रारूप को पूरी तरह समझना होगा. उसके आधार पर खुद की क्षमता का आकलन करें. इसके लिए पुराने प्रश्नपत्रों को हल करें, यानी एनएलएलएसआइयू, क्लैट, एनएएलएसएआर, एनएलयू-जे, एनएलयू-डी जैसी परीक्षाओं के प्रश्नपत्र.

प्वॉइंट 2 : इसके बाद खुद को जानें. परीक्षा कोई भी हो, अपनी क्षमताओं की परख सबसे जरूरी है. परीक्षा से पहले खुद की अभिरुचियों, स्ट्रांग प्वांइट को जानना आवश्यक है. वकालत एक ऐसा पेशा है, जिसमें तर्कशील मस्तिष्क, पारखी दृष्टि, अध्ययनशील मनोवृत्ति व लाजवाब कम्युनिकेशन की सख्त दरकार होती है.

प्वॉइंट 3 : ऊपर के दोनों प्वॉइंट अगर क्लियर हो गये, तो अब क्लैट की तैयारी में कोई परेशानी नहीं होगी.

हर विषय की करें तैयारी
वस्तुनिष्ठ परीक्षा की तैयारी के लिए स्पीड और एक्यूरेसी दो की वर्डस हैं. आप प्रैक्टिस के साथ रीडिंग स्पीड बढ़ायेंगे, तो कम समय में बेहतर तैयारी कर सकेंगे.

जीके है खास : करेंट पर पकड़ आपको काफी सहायता पहुंचा सकती है. यह देखें कि जीके के किस सेक्शन में आप कमजोर पड़ रहे हैं. यह ऐसा सब्जेक्ट है, जिसमें कम समय में बेहतर तैयारी से अच्छे अंक आ सकते हैं.

अंगरेजी में बढ़ाएं रीडिंग स्पीड : अंगरेजी की औसत समझवाले विद्यार्थी 25 से 30 प्रश्न आसानी से हल कर सकते हैं. पर अच्छे अंक लाने के लिए आपको केवल 20 कठिन प्रश्नों की तैयारी पर फोकस करना होगा. संबंधित वोकेबलरी पर विशेष ध्यान दें.

लीगल एप्टीट्यूड को बनाएं बोनस मार्क्‍स : इसमें पढ़ाई से अधिक एनालिटिकल थिंकिंग महत्वपूर्ण है. एक अच्छा वकील सबसे पहले किसी केस को एनालाइज करता है और सॉल्यूशन ढूंढ़ता है. यहां आपसे विभिन्न कमीशंस, भारतीय संविधान, न्यायिक व्यवस्था आदि से संबंधित प्रश्न पूछे जा सकते हैं. इस सेक्शन में पकड़ बनाने के लिए किस मामले में कौन सी धारा लगी है, केस को ध्यान में रखते हुए याद करें, तो बेहतर होगा.

मैथ्स में करें अभ्यास : इस सेक्शन में जिसका बेसिक्स अच्छा है, उसे अधिक परेशानी नहीं होती है. पुराने प्रश्नपत्रों को आधार बना कर यह तय कर लें कि आप किस सेक्शन में कमजोर हैं और उससे कितने प्रश्न पूछे गये हैं. साथ ही समय सीमा का विशेष ध्यान रखें.

लॉजिकल रीजनिंग : अगर आप लॉजिकल सोचते हैं, तो इसमें प्रैक्टिस से कम समय में अच्छे मार्क्‍स ला सकते हैं. इसमें समय महत्वपूर्ण होता है. आप जितने अलग प्रकार के प्रश्नों को हल करेंगे, सोचने की क्षमता उतनी ही बढ़ेगी. अलग-अलग पैटर्न पर आधारित प्रॉब्लम को एनालिटिकल तरीके से हल करने की कोशिश करें.

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