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विश्वास कायम करने से जल्दी मिलती है मंजिल

विश्वसनीयता वह ठोस चीज है, जो उसे हमेशा अपना सर सूर्य की ओर आसमान की तरफ और अपना कदम आगे की और प्रगति की तरफ अग्रसर होने का अवसर प्रदान करती है. यदि हमने अपने काम या जिम्मेदारी में वह विश्वसनीयता कायम कर ली, तो हम जहां भी रहेंगे, अग्रणी ही रहेंगे, यह तय है. […]

विश्वसनीयता वह ठोस चीज है, जो उसे हमेशा अपना सर सूर्य की ओर आसमान की तरफ और अपना कदम आगे की और प्रगति की तरफ अग्रसर होने का अवसर प्रदान करती है. यदि हमने अपने काम या जिम्मेदारी में वह विश्वसनीयता कायम कर ली, तो हम जहां भी रहेंगे, अग्रणी ही रहेंगे, यह तय है.

हमारे कैरियर की सफलता दो बातों पर निर्भर करती है. पहला, किसी काम को हम कितनी दक्षतापूर्ण तरीके से कर सकते हैं और दूसरा, क्या हम विश्वसनीय हैं. चाहे वह हमारे कैरियर का मामला हो या हमारे जॉब का. हमारा व्यक्तित्व हमारी एक छवि बनाता है, जो हमारी मंजिल का रास्ता साफ करती है. हम अकसर देखते हैं कि किसी कंपनी में उस इंप्लॉई को ज्यादा तरजीह दी जाती है, जो विश्वसनीय होता है. ऐसे इंप्लॉई को कंपनी द्वारा महत्वपूर्ण काम सौंपे जाते हैं, क्योंकि ऐसे लोग समय के अनुसार रिजल्ट भी देते हैं. एक बहुत प्यारी कहानी मुङो याद आ रही है.

तीन दोस्त थे. ज्ञान, दौलत और विश्वास. तीनों में बड़ी गहरी दोस्ती थी और वे अकसर आपस में अपने सुख-दुख की बातें बांटा करते. एक बार ऐसा समय आया, जब तीनों अलग-अलग होने लगे. इस घड़ी में उन्होंने एक-दूसरे से जानना चाहा कि अब वे कहां जा रहे हैं. ज्ञान बोला, मैं तो विद्यालयों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और पढ़े लिखे लोगों के पास जाऊंगा. जब तुमको मिलना हो तो वहीं आ जाना. फिर दौलत की बारी आयी. दौलत ने कहा, मैं तो अमीरों, राजाओं, बादशाहों और सेठों के यहां जाऊंगा और वहीं से तुम लोगों से मिलने आऊंगा. इसके बाद दोनों ने विश्वास की और देखा. विश्वास चुप था. उन दोनों ने अपना प्रश्न दोहराया. विश्वास ने लंबी सांस भर कर कहा, एक बार मैं चला गया तो फिर कभी लौट कर नहीं आऊंगा.

विश्वसनीयता केवल ऑफिस और हमारे कैरियर तक नहीं, बल्कि हमारे निजी रिश्तों में भी गहराई तक खाद डाल सकती है. इस बात को और गंभीरता से समझने के लिए मैं एक और छोटी कहानी आपसे बांटना चाहूंगा.

एक व्यक्ति अपनी आठ साल की बेटी के साथ कहीं जा रहा था. दोनों एक पतले से पुल से गुजरने लगे, तो उस व्यक्ति ने अपनी बेटी से कहा, बेटी, तुम मेरा हाथ जोर से पकड़ लो. लड़की बोली, नहीं पापा, मैं आपका हाथ नहीं पकडूंगी, बल्कि आप मेरा हाथ पकड़ लें. पिता ने पूछा, दोनों में क्या फर्क है बेटी, बात तो एक ही है न? लड़की ने कहा, नहीं पापा, दोनों में बड़ा फर्क है. पिता के कुछ समझ में नहीं आया. बेटी ने सपष्ट किया, हो सकता है कि कोई ऐसी परिस्थिति आ जाये, जब मैं आपका हाथ छोड़ दूं, लेकिन मैं जानती हूं कि चाहे कोई भी परिस्थिति आये, आप मेरा हाथ कतई नहीं छोड़ेंगे. बेटी की बात सुन कर पिता दंग रह गया.

दक्षिण अफ्रीका के दिवंगत नेता नेल्सन मंडेला ने कहा था, किसी व्यक्ति में विश्वसनीयता वह ठोस चीज है, जो उसे हमेशा अपना सिर सूर्य की ओर यानी आसमान की तरफ और अपना कदम आगे की ओर यानी प्रगति की तरफ अग्रसर होने का अवसर प्रदान करती है. यदि हमने अपने काम या जिम्मेदारी में वह विश्वसनीयता कायम कर ली, तो हम जहां भी रहेंगे, अग्रणी ही रहेंगे, यह तय है.

आशीष आदर्श

कैरियर काउंसेलर

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