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फिर से दौड़ेगी जिंदगी

आधुनिक जीवनशैली के कारण विभिन्न आयु वर्ग के लोगों को नी रिप्लेसमेंट की जरूरत पड़ रही है. आर्थराइटिस इसका मुख्य कारण है. डॉक्टरों के अनुसार, विभिन्न प्रकार के नियमित व्यायाम को अपना कर इस समस्या से बचा जा सकता है. लेकिन जिन लोगों को यह जकड़ चुका है उसका अंतिम विकल्प नी रिप्लेसमेंट ही है. […]

आधुनिक जीवनशैली के कारण विभिन्न आयु वर्ग के लोगों को नी रिप्लेसमेंट की जरूरत पड़ रही है. आर्थराइटिस इसका मुख्य कारण है. डॉक्टरों के अनुसार, विभिन्न प्रकार के नियमित व्यायाम को अपना कर इस समस्या से बचा जा सकता है. लेकिन जिन लोगों को यह जकड़ चुका है उसका अंतिम विकल्प नी रिप्लेसमेंट ही है. प्रस्तुत है नी रिप्लेसमेंट सजर्री पर विशेष जानकारी.

घुटनों को मोड़ कर बैठने से बचें
नी रिप्लेसमेंट मुख्यत: ऑस्टियोआर्थराइटिस के कारण होता है. सजर्री अब पहले की तुलना में आसान हो गई है. समय भी अब कम लगता है. सजर्री होने के बाद धीरे-धीरे करके दर्द दूर हो जाता है. नी रिप्लेसमेंट के बाद कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिये जैसे – जमीन पर बैठने से परहेज करना चाहिये, वेस्टर्न टाइप के शौचालय (कमोड) का प्रयोग करना चाहिए, घुटनों को मोड़कर बैठने से बचना चाहिए. नी रिप्लेसमेंट से बचने का अच्छा उपाय नियमित व्यायाम करना है. यदि शुरुआती अवस्था में ऑस्टियोआर्थराइटिस का पता चल जाता है तो कुछ विशेष दवाइयों से इसे कंट्रोल किया जा सकता है.

कब जरूरत पड़ती है नी रिप्लेसमेंट की
जब घुटने के ज्वाइंट कार्टिलेज खराब या क्षतिग्रस्त हो जाते हैं तो इनमें दर्द होना आम बात होती है. घुटने के मुड़ने में भी परेशानी का सामना करना पड़ता है. इस सर्जरी में घुटने के क्षतिग्रस्त हिस्से को मेटल या प्लास्टिक के आर्टिफीशियल हिस्से से बदला जाता है. अब नी रिप्लेसमेंट सर्जरी से पूरे घुटने को भी बदला जा सकता है. नी रिप्लेसमेंट सर्जरी के बाद मरीज को दर्द से राहत मिलती है और घुटना फिर से काम करना शुरू कर देता है. नी रिप्लेसमेंट सर्जरी 55 साल से ऊपर के व्यक्ति अधिक कराते हैं, लेकिन आज यह समस्या युवाओं में भी देखने को मिल रही है.

दो तरह की नी रिप्लेसमेंट सजर्री

टोटल नी रिप्लेसमेंट : इस सर्जरी में घुटने के दोनों साइड के ज्वाइंट को बदला जाता है. यह सबसे आम सर्जरी है. यह सर्जरी करने में चिकित्सक को एक से तीन घंटे तक का समय लगता है. इस प्रकार की सर्जरी कराने से 15 से 20 साल तक घुटने सही प्रकार से काम करते रहते हैं.

पार्शियल नी रिप्लेसमेंट : इस प्रकार की सर्जरी में घुटने के एक साइड का ज्वाइंट रिप्लेस किया जाता है. अत: बोन के छोटे हिस्से को ही निकाला जाता है. इस सर्जरी में क्षतिग्रस्त हिस्से को निकाल लिया जाता है. इसमेंं कम ब्लड निकलने के कारण इंफेक्शन और खून के थक्कों का खतरा कम होता है. इस प्रकार के रिप्लेसमेंट में नी में अधिक नेचुरल मूवमेंट होती है और मरीज को रिकवर होने में भी कम समय लगता है.

कुछ कॉमन साइड इफेक्ट

हड्डियों में एलर्जिक रिएक्शन त्नसर्जरी के बाद भी अधिक समय तक दर्द त्नसर्जरी के दौरान या बाद में अर्टिफिशियल ज्वाइंट के आसपास की हड्डी में फ्रैर

इंफेक्शन त्नअत्याधिक खून बहना आदि.

डॉ एमएम अग्रवाल

हड्डी रोग विशेषज्ञ

मैक्स अस्पताल, दिल्ली

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