।। दक्षा वैदकर ।।
सोमवार को प्रकाशित कॉलम ‘दोस्त बहुत सोच-समझ बनायें’ को पढ़ कर लोग कई तरह के सवाल पूछ रहे हैं. किसी का कहना है, ‘अच्छा दोस्त कौन है और बुरा दोस्त कौन है, यह कैसे पता लगाया जा सकता है? क्या घूमना-फिरना, फिल्में देखना बुरी बात है?’ किसी ने कहा है,‘मेरे आसपास तो कोई भी अच्छा इनसान नहीं है, जिसे दोस्त बनाया जा सके या जो मुझे अच्छी चीजें सिखाये.’ एक ने पूछा है, ‘हम खुद ऐसा इनसान कैसे बनें कि लोग हमें समझदार दोस्त समझें ?’
दोस्तों, मेरा मतलब यह नहीं है कि जिनके साथ आप फिल्म देखते हैं या घूमते-फिरते हैं, वे अच्छे लोग नहीं हैं. क्योंकि एंजॉय करना भी जरूरी है. बुरे दोस्त से मतलब है, ऐसे लोग जो आपको काम या पढ़ाई छोड़ने और फिल्म देखने को कहें. आपको कहें कि ‘यार पढ़-लिख कर क्या करोगे, ऑफिस में इतना काम करने की जरूरत नहीं, चलो क्लास बंक मारते हैं, चलो आज ड्रिंक करते हैं, एक बाइक रेस हो जाये.. आदि.’ बुरे दोस्त आपको नीचे खींचते हैं, आपको कहते हैं कि यार तुझसे ये सब नहीं हो पायेगा. वे लोगों की पीठ पीछे बुराई करते हैं.
दूसरे सवाल का जवाब, अच्छे दोस्त हर जगह मिल सकते हैं. बस पहचानने की जरूरत है. यह जरूरी नहीं कि ऐसे दोस्त आपकी उम्र के ही हों. ये आपसे 10-15 साल बड़े हो सकते हैं और 70 साल के बुजुर्ग भी हो सकते हैं. ये आपके पड़ोस के दादाजी हो सकते हैं, स्कूल की टीचर हो सकती हैं.
तीसरा सवाल कि हम खुद ऐसा कैसे बनें? इसका जवाब सीधा-सा है.
आपको अलग से किसी को दिखाने की जरूरत नहीं है कि आप अच्छे इनसान हो और लोगों को आपसे दोस्ती करनी चाहिए. आप बस अपने काम से मतलब रखें. जो लोग सचमुच अच्छे दोस्त बनाना चाहते होंगे, वे आपके पास खींचे चले आयेंगे. आप बस अपनी ओर से इस बात का ध्यान रखें कि आपको जिस चीज का शौक है, उस चीज के जुड़े लोगों से संपर्क बनाने की कोशिश करें. ऐसी जगहों पर जाएं, जहां वे लोग मिल सकें. उदाहरण के लिए अगर आपको बुक्स का शौक है, तो किसी लाइब्रेरी के मेंबर बनें. साहित्यकारों के कार्यक्रमों में शिरकत करें.
बात पते की..
– अच्छे दोस्तों को पहचानने का सबसे बढ़िया तरीका यही है कि उनके विचारों को देखें. वे जिंदगी में क्या बनना चाहते हैं? उनका लक्ष्य क्या है? ये देखें.
– हम सभी जानते हैं कि किसी की बुराई करना, ड्रिंक करना, सिगरेट पीना, भद्दे जोक सुनाना ठीक नहीं है. हम ऐसे लोग तुरंत पहचान सकते हैं.