रांचीः झारखंड में विकास कार्यो पर इंजीनियरों का कब्जा है. इंजीनियरों का यह तबका इतना मजबूत है कि सरकार भी बेबस है. इंजीनियर सरकार का आदेश नहीं मानते. तबादले के बावजूद अपनी मनपसंद पद पर जमे रहते हैं. राज्य सरकार के जल संसाधन विभाग ने ऐसे इंजीनियरों की सूची बनायी है. 45 इंजीनियरों की इस सूची में सात कार्यपालक अभियंता हैं. सूची में शामिल 38 सहायक अभियंता में से 16 ने तबादला आदेश निकलने के लगभग एक वर्ष बाद भी नयी जगह पर योगदान नहीं दिया है. शेष 22 इंजीनियर तबादला आदेश निकलने के तीन माह बाद भी पूर्व की जगह पर जमे हैं. ये इंजीनियर ग्रामीण विकास विभाग, आरइओ, नगर विकास, पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन, एनआरइपी जैसे विभागों में महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत हैं.इनमें से कुछ जिला अभियंता के रूप में भी काम कर रहे हैं.
अरबों रुपये खर्च करने की है जिम्मेवारी : इन इंजीनियरों पर राज्य के विकास के लिए अरबों रुपये खर्च करने की जिम्मेवारी है. इन पर चेक डैम निर्माण से लेकर बराज बनाने तक का जिम्मा होता है. कुआं, नाली, सड़क, स्कूल, अस्पताल निर्माण तक का महत्वपूर्ण काम भी इन इंजीनियरों के ही जिम्मे है. ये इंजीनियर काम का टेंडर कराते हैं. मनोनयन के आधार पर ठेकेदारों को काम बांटते हैं. अंत में इन इंजीनियरों के आदेश और हस्ताक्षर से ही ठेकेदारों को पेमेंट होता है.
सेवा लेन-देन का खेल : मनपसंद जगह पर तबादला कराने के लिए कुछ इंजीनियर सेवा लेन-देन का खेल खेलते हैं. अभियंता कार्य विभागों (वर्क्स डिपार्टमेंट) के क्रीम पोस्ट पर काबिज होने के लिए पैरवी और पैसे के बल पर सरकार के एक से दूसरे विभाग में सेवा स्थानांतरित कराते हैं. मनपसंद पद पर रहने के लिए रुपये पानी की तरह बहाते हैं. पैतृक विभाग द्वारा सेवा वापस लेने या अन्यत्र पदस्थापित किये जाने का आदेश निकलने के बाद स्वयं को कार्यो के लिए महत्वपूर्ण बताते हुए संबंधित विभाग से एक पत्र निकलवा लेते हैं. उस पत्र के आधार पर मनपसंद पद पर काबिज रहते हैं.
मंत्री अन्नपूर्णा देवी से सीधी बात
जल संसाधन विभाग के अभियंता तबादला होने पर भी योगदान नहीं करते. उन पर क्या हो रहा है?
पता चला है. इस बारे में आदेश जारी किया गया है. इंजीनियरों की अद्यतन स्थिति पता कर कार्यवाही की जा रही है. उनको आदेश के मुताबिक योगदान करना ही होगा. इसके लिए जो हो सकता है, करेंगे. जो हमसे नहीं होगा, वह सीएम से करायेंगे.
इंजीनियर सरकार का ही आदेश नहीं मानते. क्या इंजीनियर सरकार पर भारी हैं ?
ऐसा नहीं है. इंजीनियर सरकार के अधीन हैं. उन्हें सरकार का आदेश मानना ही होगा. जो नहीं मानेंगे, उन पर कार्रवाई होगी.
आपके विभाग के 16 इंजीनियर तबादले के बाद भी एक साल से अधिक समय से मनपसंद पोस्ट पर जमे हैं. उन पर तो अब तक कार्रवाई नहीं हुई?
हमने ही सचिव को समीक्षा करने का आदेश दिया था. सूची तैयार करायी गयी है. कार्रवाई हो रही है. सरकार का आदेश नहीं माननेवालों को जरूर दंडित किया जायेगा.
इंजीनियर मनपसंद विभाग से आवश्यकता का हवाला देकर चिट्ठी निकलवा लेते हैं. यह सही है ?
बिल्कुल नहीं. सिस्टम किसी एक व्यक्ति पर निर्भर नहीं है. संबंधित विभाग को भी यह सोचना चाहिए. गलत काम नहीं होने चाहिए. अगर होते हैं, तो बंद होना ही चाहिए.
चिट्ठी निकालने के लिए इंजीनियर पैरवी कराते हैं. पानी की तरह पैसा बहाते हैं. इसे सही मानती हैं ?
इस बारे में कुछ नहीं कहना चाहिए. पर, इतना जरूर कहूंगी कि तबादला होने के बाद भी इंजीनियर को रोकने के लिए चिट्ठी निकालनेवाले विभाग को सोचना चाहिए. उनको नियम से बाहर जाकर काम करने का अधिकार नहीं है.
-विवेक चंद्र-