
सरकार ने छोटे शहरों को हवाई यात्रा से जोड़ने के लिए "उड़ान योजना" तैयार की है जिसके मुताबिक़ छोट शहरों के बीच एक घंटे की उड़ान के लिए टिकट की क़ीमत 2500 रूपये से अधिक नहीं होगी.
उड़ान यानि "उड़े देश का आम नागरिक" योजना जनवरी से शुरू होने की उम्मीद है.
इस योजना के तहत एयरलाइन कंपनियां सीटों की सब्सिडी के लिए बोली लगाएंगी. योजना के बारे में विस्तार से बताया है ‘द हिंदुस्तान टाइम्स’ ने.
अभी तक जिन रास्तों पर उड़ान सेवाएं नहीं हैं उन पर एयरलाइंस उडा़न शुरू कराने का प्रस्ताव दें सकती हैं. नीलामी जैसी व्यवस्था के ज़रिए जिसकी बोली प्रति सीट सबसे कम होगी उसे उस रूट पर सेवा देने का मौक़ा मिलेगा.

‘जनसत्ता’ में छपी एक ख़बर में कहा गया है कि छात्रों पर दवाब कम करने के उद्देश्य से ख़त्म की गई सीबीएसई की 10वीं की बोर्ड परीक्षा को फिर से शुरू किए जाने की संभावना है.
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने संवाददाताओं से कहा है कि इस नीति पर समीक्षा की जा रही है पर इस पर अभी फ़ैसला नहीं हुआ है.
उन्होंने कहा है कि 5 राज्यों के मंत्रियों और बोर्ड के छात्रों के अभिवावकों की एक समिति ने शिक्षा के स्तर में गिरावट पर चिंता जताते हुए इसे दोबारा शुरू करने की मांग की थी.

फ़ाइल फ़ोटो
‘इंडियन एक्सप्रेस’ के अनुसार शिमला के एक अस्पताल में पांच महीने पहले दो नवजात शिशुओं की अदला-बदली हो गई थी और वो अलग-अलग माता पिता को दे दिए गए थे.
अब एक पुलिस रिपोर्ट और डीएनए जांच के बाद हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने कहा है कि इस मामले में दोनों परिवारों को मिल कर मामला सुलझा लेना चाहिए.
अगले सप्ताह ये दोनों बच्चे अपने असली माता पिता को मिलेंगे.
इसके बाद शीतल और अनिल ठाकुर को अपना बेटा वापस मिल जाएगा जो कि अंजना के पास था. और अंजना को उनकी बेटी मिल जाएगी जो शीतल और अनिल के पास थी.

इसी अख़बार में छपी एक अन्य ख़बर के अनुसार उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर के एक किसान की बेटी का नामकरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया है.
भरत और उनकी पत्नी विभा ने 13 अगस्त को प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखी और अपनी बेटी का नाम रखने की गुज़ारिश की जो उसी दिन पैदा हुई थी.
20 अगस्त को प्रधानमंत्री ने फ़ोन कर भरत से बेटी का नाम वैभवी रखने के लिए कहा क्योंकि इस नाम में पति पत्नी दोनों के नाम के अक्षर थे. बाद में भरत को प्रधानमंत्री के हस्ताक्षर वाला एक पत्र भी मिला.
अख़बार के अनुसार प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस पत्र की पुष्टि की है.

‘दैनिक जागरण’ में छपी एक ख़बर के अनुसार कुतुब मीनार की आधी ऊंचाई पार कर चुके राजधानी दिल्ली के कूड़े के पहाड़ पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई है और इसे ख़तरनाक़ स्थिति बताई है.
दिल्ली के छह लैंडफिल में से तीन – ओखला मंडी, गाज़ीपुर और भलस्वा में कुड़े के ढेर की ऊंचाई 45 मीटर (तीनों की अलग-अलग) पहुंच गई है.
उन्होंने राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए इसके निस्तारण की योजना के बारे में पूछा है.
कोर्ट ने कहा कि कूड़ा निस्तारण का काम स्थानीय निकायों पर न मढ़ें, विधायक जनता के चुने हुए प्रतिनिधि हैं और उन्हें लोगों को जागरूक करना चाहिए.
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