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भोजन व शिक्षा को बनाया रोजगार का आधार
रिंकु झा काम कोई भी छोटा या बड़ा नहीं होता. महिलाओं के जीवन में किचन और खान-पान का विशेष महत्व है़ आज की स्टोरी यह बताती है कि किस तरह एक महिला अपने हाथों के स्वाद को कमाई का आधार बना कर अपना जीवन संवार सकती है. कोई भी काम क्रियेटिव हो सकता है. किसी […]
रिंकु झा
काम कोई भी छोटा या बड़ा नहीं होता. महिलाओं के जीवन में किचन और खान-पान का विशेष महत्व है़ आज की स्टोरी यह बताती है कि किस तरह एक महिला अपने हाथों के स्वाद को कमाई का आधार बना कर अपना जीवन संवार सकती है.
कोई भी काम क्रियेटिव हो सकता है. किसी भी काम को रोजगार का माध्यम बनाया जा सकता है. इसके लिए जरूरत है, तो बस सही सोच और सही दिशा में पहल करने की. कुछ ऐसी ही पहल पटना के रामनगरी मोड़, आशियाना में रहनेवाली पूनम आनंद ने भी की. घर पर रहते हुए टिफिन सर्विस देने का बिजनेस शुरू किया. बेहद छोटे स्तर से अपने रोजगार की शुरुआत करके आज वह हर महीने 20 से 25 हजार रुपये तक कमा लेती हैं. अपनी कमाई के पैसों से परिवार की आर्थिक मदद तो करती ही हैं, जरूरतमंद लोगों को भी आर्थिक व शैक्षणिक सहायता प्रदान करती हैं.
किचन कौशल को बनाया कमाई का जरिया
इंटर करते ही पूनम की शादी हो गयी थी. फिर कई साल घर-गृहस्थी और बच्चों की देखभाल में बीत गये. हालांकि कुछ अपना करने की ख्वाहिश शुरू से थी, लेकिन केवल इंटर पास होने की वजह से बाहर ढंग की नौकरी नहीं मिलती. इग्नू से ‘फूड एंड न्यूट्रिशियन’ का कोर्स भी कर रखा था, तो टिफिन सर्विस शुरू करने का ख्याल आया. आसपास के स्कूल, कॉलेज और ऑफिस के बारे में पता लगाया. फिर जल्दी ही इस आइडिया को बिजनेस का रूप दे डाला. शुरुआत अकेले ही की. जब डिमांड बढ़ी, तो अन्य लोगों को भी साथ जोड़ लिया. पूनम बताती हैं ‘आज मेरे साथ 15-20 अन्य महिलाएं भी इस रोजगार जुड़ कर अच्छी कमाई कर रही हैं. इसमें आने से पहले मैं उन महिलाओं को ट्रेनिंग के लिए भेजती हैं, ताकि वे लोग इस प्रोफेशन में हाइजीन व न्यूट्रिशन की की जरूरत को बेहतर तरीके से समझ सके.’
जरूरतमंदों को रोजगार व शिक्षा की सहायता
टिफिन सर्विस प्रोवाइड करने के अलावा पूनम आनंद ऑफिस, स्कूल, कॉलेज, होटल आदि में साफ-सफाई करने वाले लोगों को उपलब्ध करवाने का काम भी करती हैं. इसके लिए पहले वह यह पता लगाती हैं कि किन जगहों पर सफाईकर्मियों की जरूरत है. इसके बाद वह ऐसे लोगों से संपर्क करती हैं. फिर संस्था की डिमांड के अनुसार सफाईकर्मियों को वहां भेजती हैं. इसके लिए पूनम को ऐसे लोगों से संपर्क रखने की जरूरत पड़ती है, जो इस तरह का काम करते हैं.
शिक्षा व कौशल विकास की देती हैं सीख
पूनम आनंद के अनुसार शिक्षा सभी के लिए बेहद जरूरी है. शिक्षित लोगों का दिमाग क्रियेटिव होता है. शादी के बाद उन्होंने पत्राचार माध्यम से अपनी पढ़ाई पूरी की. नालंदा यूनिवर्सिटी से हिंदी और भोजपुरी में डबल एमए की डिग्री ली. खुद शिक्षित होने के होने के बाद समाज के निचले तबके को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया़ इस दौरान आकाशवाणी के कई कार्यक्रमों का प्रस्तुतिकरण भी किया. फिलहाल वह अपने आस-पास झुग्गी-झाेपड़ियों में रहनेवालों को उनकी आम जरूरतों से संबंधित अक्षर ज्ञान देती हैं जैसे बैंक में खाता खोलना, छोटे-मोटे हिसाब करना, चिट्ठी, आवेदन आदि लिखना़. इसके लिए वह कोई फीस नहीं वसूलती. स्टेशनरी आदि का सारा खर्च स्वयं वहन करती हैं.
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