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सर्जिकल स्ट्राइक छोटी कार्रवाई, बड़ी कामयाबी

भारतीय सेना द्वारा जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा के उस पार जाकर पाक-अधिकृत कश्मीर में स्थित आतंकवादी शिविरों को निशाना बनाया गया है. ऐसी सीमित सैन्य कार्रवाई को ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ या ‘सर्जिकल ऑपरेशन’ कहा जाता है. एक पूर्ण युद्ध या व्यापक रूप से हमले करने की जगह ऐसे अभियान सिर्फ लक्ष्य को निशाना बनाने तक सीमित […]

भारतीय सेना द्वारा जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा के उस पार जाकर पाक-अधिकृत कश्मीर में स्थित आतंकवादी शिविरों को निशाना बनाया गया है. ऐसी सीमित सैन्य कार्रवाई को ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ या ‘सर्जिकल ऑपरेशन’ कहा जाता है. एक पूर्ण युद्ध या व्यापक रूप से हमले करने की जगह ऐसे अभियान सिर्फ लक्ष्य को निशाना बनाने तक सीमित होते हैं. ‘हॉट परसूट’, ‘कमांडो कार्रवाई’ और घात लगा कर हमले करना भी ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ के रूप माने जाते हैं. ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ के इन अलग-अलग रूपों तथा इनसे जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों के साथ ही ऐसी कार्रवाइयों के कुछ प्रमुख वैश्विक उदाहरणों पर आधारित है आज का विशेष पेज…

सर्जिकल स्ट्राइक एक ऐसी सैन्य कार्रवाई है, जिसमें सिर्फ कुछ वैध लक्ष्यों को निशाना बनाया जाता है. कोशिश होती है कि इसमें जान-माल का या अन्य नुकसान कम-से-कम या नहीं के बराबर हो. ऐसी कार्रवाई में निशाने पर बम गिराना या मिसाइल दागना या गोलीबारी शामिल होती है. ऐसी कार्रवाई पूर्ण युद्ध से बिल्कुल उलट होती है. पूर्ण युद्ध में बड़ी संख्या में लोग मारे जा सकते हैं और भारी मात्रा में तबाही होती है. वर्ष 2003 में अमेरिकी सेना द्वारा बगदाद के सरकारी और सैनिक ठिकानों पर हमला ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ का बड़ा उदाहरण है. इस तरह के हमलों का मुख्य उद्देश्य लक्षित दुश्मन को पंगु बना देना होता है.

‘हॉट परसूट’ और

उसकी वैधानिकता

समुद्र में : पीछा करते हुए किसी दूसरे देश की सीमा या खुले समुद्र में शत्रु के गुट को तबाह करने की क्रिया ‘हॉट परसूट’ कही जाती है. इसकी शुरुआत सामुद्रिक गतिविधियों से संबंधित कानूनों से होती है. लूट या तस्करी में शामिल जहाजों का पीछा करते हुए कोई तटीय देश अंतरराष्ट्रीय समुद्र में कार्रवाई कर सकता है, हालांकि खुले समुद्र में किसी भी जहाज को स्वतंत्र रूप से चलने का अधिकार होता है. इस व्यवस्था का उद्देश्य यह है कि कोई भी आपराधिक जहाज स्वतंत्र परिचालन का बेजा लाभ न उठा सके. लंबे समय तक पारंपरिक रूप से चले आ रहे इस कानून को कन्वेंशन ऑफ हाइ सी, 1958 के अनुच्छेद 23 तथा संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन ऑफ द लॉ ऑफ हाइ सी, 1982 के अनुच्छेद 111 में संहिताबद्ध किया गया है. लेकिन, इस कानून में स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि ‘हॉट परसूट’ का अधिकार तब तुरंत समाप्त हो जाता है जब वह जहाज अपने देश या किसी तीसरे देश की समुद्री सीमा में प्रवेश कर जाता है, ताकि दूसरे देश की संप्रभुता का उल्लंघन न हो.

जमीन पर : जमीन पर ‘हॉट परसूट’ के नियमन के लिए कोई कानून नहीं है. हालांकि कई मौकों पर विभिन्न देशों ने आतंकवादियों या अपराधियों का पीछा करते हुए आत्मरक्षा का हवाला देकर दूसरे देशों की सीमा में प्रवेश किया है. देशों की जवाबदेही को लेकर जो अंतरराष्ट्रीय नियमन हैं और 9/11 के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने प्रस्ताव संख्या 1373 पारित किया है, उनके अनुसार संप्रभुता में किसी देश द्वारा अपने भौगोलिक क्षेत्र को नियंत्रित करने का कर्तव्य निहित है. कोई भी देश अपने पड़ोसी देश के खिलाफ कार्रवाई करनेवाले गैर-राजकीय या आतंकी तत्वों को अपनी जमीन के इस्तेमाल की छूट नहीं दे सकता है. संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के अनुच्छेद 51 में आत्मरक्षा को परिभाषित किया गया है. देश की भौगोलिक अखंडता और राजनीतिक स्वतंत्रता को बचाने के लिए यह एक आवश्यक कार्रवाई है.

अमेरिका में हुए 9/11 की घटना के बाद कई देश जमीन पर पीछा करने के प्रयास में किसी परिभाषित कानून के अभाव में ऊपर उल्लिखित कानूनों के तहत आत्मरक्षा के सिद्धांत का दायरा लगातार बढ़ाते रहे हैं. इसे पूर्ण युद्ध से अधिक प्रभावी और कम विनाशक माना जाता है, लेकिन ‘हॉट परसूट’ की कार्रवाई पूर्ण युद्ध के लिए परिस्थितियां पैदा कर सकती है.

‘हॉट परसूट’ की

कुछ कार्रवाइयां

À वर्ष 1970 में दक्षिण अफ्रीका ने अंगोला में अनेक कार्रवाइयों को सही ठहराने के लिए इस अवधारणा का हवाला दिया. इन कार्रवाइयों का निशाना नामीबिया की आजादी के लिए लड़ रहे छापामार थे. नामीबिया उन दिनों दक्षिण अफ्रीका के कब्जे में था.

À वर्ष 1949 में यूनान में गृह युद्ध के बाद अनेक कम्युनिस्ट अलबानिया भाग गये थे. तत्कालीन ग्रीक सरकार ने अलबानिया को ‘हॉट परसूट’ की धमकी दी थी. वर्ष 1984 में सोवियत संघ और अफगानिस्तान ने पाकिस्तान में ऐसी कार्रवाई की धमकी दी थी और उससे मुजाहिदीनों को समर्थन नहीं देने को कहा था. इसी तरह अंगोला ने 1984 में कॉन्गो को यूनिटा विद्रोहियों को पनाह देने से मना किया था. इसके दबाव में कॉन्गो के तत्कालीन राष्ट्रपति मोबुतु सेसे सेको को अंगोला द्वारा दिये गये सबूतों की जांच के लिए मजबूर होना पड़ा था.

À ‘हॉट परसूट’ के व्यापक भू-राजनीतिक परिणाम हो सकते हैं और ऐसी कार्रवाई में एक से अधिक देश शामिल हो सकते हैं.

À वर्ष 1956 में जब हंगरी की सेनाओं ने कुछ समय के लिए ऑस्ट्रिया की सीमा में प्रवेश किया था,

तब उसे सोवियत संघ का समर्थन हासिल था. इस घटना ने पूरे इलाके में तनाव व्याप्त हो गया था.

किसी अंतरराष्ट्रीय कानून की अनुपस्थिति में कुछ देशों ने एक-दूसरे की सीमा के भीतर कार्रवाई करने के लिए द्विपक्षीय समझौते किये हैं.

À1980 के दशक में इराक और तुर्की ने सीमा पर कुछ मीलों का दायरा निर्धारित किया था, जहां दोनों देशों की सेनाएं कार्रवाई कर सकती थीं. नशीले पदार्थों की तस्करी पर लगाम के लिए अमेरिका और मेक्सिको के बीच इस तरह का समझौता है.

À भारत और म्यांमार के बीच में भी उग्रवादियों के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए ऐसी संधि है. लेकिन, आम तौर पर ऐसी व्यवस्थाएं गिनी-चुनी ही हैं.

Á बे ऑफ पिग्स हमला यानी ऑपरेशन प्लूटो

क्यूबा पर इस हमले की योजना अमेरिकी राष्ट्रपति आइजनहावर के कार्यकाल में बनायी गयी थी, पर इस पर अमल जेएफ केनेडी के शासनकाल के प्रारंभिक दिनों में किया गया. इसमें सीआइए द्वारा प्रशिक्षित क्यूबाई विद्रोहियों द्वारा दक्षिणी क्यूबा में हमला कराना था. षड्यंत्रकारियों को उम्मीद थी कि हमले के बाद क्यूबा में फिडेल कास्त्रो सरकार के विरुद्ध जन-विद्रोह हो जायेगा. उसके बाद अमेरिकी वायु सेना द्वारा विद्रोहियों को मदद दिये जाने की योजना थी. पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ और पूरी योजना विफल हो गयी. इस असफलता के बाद केनेडी ने सीआइए के तत्कालीन प्रमुख एलेन डुलेस को बर्खास्त कर दिया था.

Á ऑपरेशन ईके

द्वितीय विश्वयुद्ध में मित्र राष्ट्रों द्वारा सिसिली पर हमले और इटली की सरकार के पतन के बाद सम्राट विक्टर इमैनुएल ने मुसोलिनी को गिरफ्तार कर ग्रैन सासो के एक होटल में रखने का आदेश दिया था. हिटलर के आदेश पर जर्मन सैनिकों की एक टुकड़ी ने बिना एक भी गोली चलाये मुसोलिनी को रिहा करा लिया था. इस कार्रवाई को ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने ‘बहुत दुःसाहसी’ बताया था.

Á ऑपरेशन एंटेब्बे

इजरायली सुरक्षा बलों ने युगांडा के एंटेब्बे हवाई अड्डे पर फिलीस्तीनी उग्रवादियों द्वारा बंधक बनाये गये जहाज और यात्रियों को मुक्त कराने के लिए सैन्य कार्रवाई की थी. यह घटना चार जुलाई, 1976 को हुई थी. सौ इजरायली कमांडो की टीम ने 35 मिनटों में सात अपहरणकर्ताओं को मार गिराया था. इस ऑपरेशन में एक इजरायली कमांडो, 20 युगांडा के सैनिक तथा तीन अपहृत मारे गये थे.

Á ऑपरेशन वाल्काइरी

हिटलर के कुछ करीबी सैन्य अधिकारियों ने उसे मारने की असफल योजना बनायी थी. कर्नल वोन स्टौफेनबर्ग ने 20 जुलाई, 1944 को हिटलर के करीब एक ब्रीफकेस में बम रख दिया था और फोन के बहाने वहां से निकल गया था. उस ब्रीफकेस को एक अन्य अधिकारी ने कर्नल हींज ब्रांड्ट ने हिटलर के पास से खिसका कर दूर रख दिया. इस विस्फोट में हिटलर को चोट आयी, पर वह बच गया.

आधुनिक सैन्य इतिहास के

आठ गोपनीय अभियान

यूं तो आधुनिक सैन्य इतिहास में कई रोमांचक गोपनीय सैन्य कार्रवाइयां हुई हैं, लेकिन कुछ घटनाएं विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं-

ऑपरेशन पेपरक्लिप

द्वितीय विश्वयुद्ध में नाजी पराजय के बाद अमेरिका, ब्रिटेन और सोवियत संघ में बड़े नाजी वैज्ञानिकों और खुफिया एजेंटों को पकड़ने की होड़ शुरू हुई थी. इसमें अमेरिकी कार्रवाई का नाम ‘ऑपरेशन पेपरक्लिप’ रखा गया था, जिसके तहत कई महत्वपूर्ण वैज्ञानिक पकड़े गये. इनमें वेंहर वोन ब्राउन और आर्थर रुडोल्फ बहुत प्रसिद्ध हैं, जिन्होंने अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए रॉकेट विकसित किये और चांद पर उतरने के अभियान में प्रमुख भूमिका निभायी. रिनहार्ड गेहलन जैसे जासूस ने सोवियत संघ के विरुद्ध प्रभावी खुफिया तंत्र विकसित किया और इजरायल के विशेष सुरक्षा दस्ते मोसाद को प्रशिक्षित किया.

ऑपरेशन एमकेयूएलटीआरए

उत्तर कोरिया के ब्रेनवाशिंग कार्यक्रम से प्रभावित होकर अमेरिका खुफिया संस्था सीआइए ने दिमाग को नियंत्रित करने के लिए प्रयोग शुरू किये थे. सम्मोहन और बुद्धिमत्ता परीक्षण के साथ इस काम में अमेरिकी लोगों को एलएसडी और अन्य नशीली दवाएं भी दी गयीं. इस अभियान में स्कॉटिश वैज्ञानिक डोनल इवेन कैमरुन मी शामिल थे. इस प्रयोग में व्यक्ति को कई हफ्तों तक नशे के असर में रखा जाता था और शोर-शराबे के टेप बजाये जाते थे तथा एक ही बयान को कई बार दोहराया जाता था. इन उपायों से याद्दाश्त और दिमाग को प्रभावित करने की कोशिश की जाती थी.

ऑपरेशन एंठ्रोपॉयड

इस ऑपरेशन के तहत 1942 में वरिष्ठ नाजी अधिकारी रिनहार्ड हेड्रिच को मारने की योजना बनायी गयी थी. ब्रिटेन में स्थित चेकोस्लावाकिया के दो सैनिकों- जोसेफ गैबसिक और जान क्यूबिस- को यह काम सौंपा गया. हेड्रिच पर 27 मई, 1942 को हमला किया गया और कुछ दिनों बाद अस्पताल में उसकी मौत हो गयी.

ऑपरेशन रेथ ऑफ गॉड

सितंबर, 1972 के म्यूनिख ओलंपिक में फिलीस्तीन उग्रवादियों द्वारा 11 इजरायली एथलीटों के अपहरण और हत्या का बदला लेने के लिए इजरायल की खुफिया संस्था मोसाद ने इस ऑपरेशन की योजना बनायी थी. आगामी कुछ वर्षों में यूरोप के अलग-अलग शहरों में दर्जनों लोगों की रहस्यमय तरीके से हत्या हुई, जिन पर इजरायल को म्यूनिख की घटना में किसी भी रूप में शामिल होने का संदेह था.

पाकिस्तान में छिपे संदिग्ध आतंकियों पर हमले के लिए ड्रोन का इस्तेमाल

भारतीय सेना म्यांमार में कर चुकी है सफल सर्जिकल स्ट्राइक

4 जून, 2015 को मणिपुर में एनएससीएन (के) और केवाइकेएल के आतंकवादियों ने भारतीय सेना पर हमला किया था. इसमें सेना के 18 जवान शहीद, जबकि 11 अन्य गंभीर रूप से घायल हो गये थे. इसके जवाब में सेना ने 9 जून, 2015 को म्यांमार की सीमा में घुस कर सर्जिकल स्ट्राइक किया, जिसमें दो आतंकी कैंपों को तबाह करते हुए 38 आतंकवादियों को मार गिराया गया था. इस ऑपरेशन में सात से अधिक घायल हो गये थे.

असॉल्ट राइफल्स, रॉकेट लांचर, ग्रेनेड और नाइट विजन गॉगल्स से लैस कमांडो दो समूहों में ध्रुव हेलीकॉप्टर की मदद से म्यांमार सीमा में दाखिल हुए थे.

भारतीय सेना के स्पेशल कमांडो ने घने जंगलों से होते हुए सीमा से पांच किलोमीटर अंदर जाकर सेना पर हमले के दोषी एनएससीएन (के) और केवाइकेएल आतंकवादियों के दो ट्रेनिंग कैंपों को तबाह कर दिया था.

रिपोर्टों के अनुसार ऑपरेशन की निगरानी के लिए थर्मल इमेजरी का इस्तेमाल किया गया था. ऑपरेशन में शामिल 70 कमांडो ने कैंपों में मौजूद आतंकवादियों को मारने के लिए रॉकेट लांचर की भी मदद ली थी. हालांकि, सर्तकता बरतते हुए कमांडो को निकालने के लिए भारतीय वायुसेना के एमआइ-17 हेलीकॉप्टर को तैयार रखा गया था.

À ऑपरेशन को आसान बनाने के लिए दोनों टीमों को दो अन्य छोटे समूहों में बांटा गया था. मात्र 40 मिनट के ऑपरेशन में सेना के कमांडो ने आतंकी कैंपों को तबाह कर दिया था.

मेरिका 2001 से ही संदिग्ध आतंकवादियों पर हमले के लिए ड्रोन का सहारा ले रहा है. मानव रहित होने के कारण ड्रोन से बेहद प्रतिकूल परिस्थितियों में हमला किया जा सकता है. आंकड़े बताते हैं कि पाकिस्तान के विषम जनजातीय क्षेत्रों उत्तरी और दक्षिणी वजीरिस्तान में चरमपंथी कैंपों को तबाह करने के लिए अमेरिका ने कई सफल ड्रोन हमले किये हैं.

ड्रोन की सबसे बड़ी खूबी है कि इससे पायलटयुक्त एयरक्राफ्ट के मुकाबले कई घंटों तक ऑपरेशन चलाया जा सकता है. इसकी लागत पायलटयुक्त एफ-16 एयरक्राफ्ट से मात्र 5 से 10 प्रतिशत तक ही होती है. रीपर यूएवी लगातार 25 घंटे तक उड़ सकता है, जो मानवयुक्त एयरक्राफ्ट से चार गुना अधिक है.

हमलों में बढ़ रहा है ड्रोन का इस्तेमाल

विवादित क्षेत्रों में हमलों के लिए मानव रहित विमानों (अनमैन्ड एरियल व्हिकल या यूएवी) का इस्तेमाल हाल के वर्षों में तेजी से बढ़ा है. सामान्य बोलचाल में यूएवी को ड्रोन कहा जाता है. हाल के वर्षों में अमेरिका ही नहीं, कई अन्य देशों ने भी अपने लक्ष्य को भेदने के लिए अनमैन्ड एरियल व्हिकल और प्रिसिजन वीपन का इस्तेमाल बढ़ाया है. हालांकि ड्रोन हमलों को लेकर दुनियाभर में राजनेताओं, सरकारी अधिकारियों और विशेषज्ञों की अलग-अलग राय रही है. यूएवी हमलों के पीछे अमेरिकी सरकार का अक्सर तर्क होता है कि ऐसे हमले अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों को दायरे में ही होते हैं.

यूएस मिलिट्री के ‘ज्वाइंट विजन 2010’ के अनुसार, ऐसी तकनीकी दक्षता बढ़ने से युद्ध के समय निर्णय लेने में असानी होती है. तकनीकों से मिलिट्री को सटीक जानकारियां मिलती हैं, जिससे हमले के समय आम नागरिकों और दुश्मनों के बीच आसानी से अंतर किया जा सकता है.

पाकिस्तान में 2004 से 2011 के

बीच ड्रोन हमले और मौतें

वर्ष ड्रोन हमले मरनेवालों की संख्या

2004-07 9 89-112

2008 33 274-314

2009 53 369-724

2010 118 607-993

2011 70 (15 नवंबर,2011 तक) 328-470

स्रोत : न्यू अमेरिका फाउंडेशन

एबटाबाद में अमेरिका ने मार गिराया था ओसामा बिन लादेन को

अमेरिकी नौसेना के स्पेशल वारफेयर डेवलपमेंट ग्रुप के यूएस नेवी सील ने अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान में 2 मई, 2011 को मध्य रात्रि में एक ऑपरेशन में मार गिराया था. यूएस नेवी सील के कमांडो हेलीकॉप्टर से रात्रि 12.30 बजे पाकिस्तान के एबटाबाद परिसर में दाखिल हुए. कमांडो तीन दीवारों को तोड़ते हुए मुख्य बिल्डिंग के पास पहुंच गये.

जवाबी फायरिंग हुई, लेकिन कमांडो ने तीन पुरुषों और एक महिला को मौके पर ही मार दिया था. दूसरी मंजिल पर ओसामा पत्नी के साथ रहता था. कमांडो ने ओसामा को मारने के बाद लाश और कंप्यूटर हार्डवेयर सहित अन्य सबूतों को अपने कब्जे में ले लिया था. अलकायदा ने चार दिन बाद ओसामा की मौत की पुष्टि कर दी. पाकिस्तान में आतंकी समूहों के साथ पाकिस्तानी जनता ने इस हमले का बड़े स्तर पर विरोध जताया था.

आलोचना से बचने के लिए पाक सेना कर रही इनकार

भारत की तरफ से पाक अधिकृत कश्मीर में किया गया सर्जिकल स्ट्राइक पाकिस्तान को एक चेतावनी है. भारत के नजरिये से इसे एक बहुत जरूर कदम माना जा सकता है. बीते 25 वर्षों से सीमा पर जिस तरह से पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को शह दिया जा रहा है, वह हमारे लिए बेहद गंभीर मसला है. भारतीय सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक कर संकेत दे दिया कि अगर पाकिस्तान नहीं सुधरा, तो ऐसे स्ट्राइक आगे भी होंगे. सिंधु जल संधि में अभी क्या कुछ होगा, मुझे पता नहीं है. पाकिस्तान में होनेवाले सार्क सम्मलेन में शामिल होने से भारत पहले ही इनकार कर चुका है. अब इस सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम देकर भारत ने दोनों तरफ से पाकिस्तान को शिकस्त देने की अच्छी कोशिश की है. भारत को भविष्य में भी ऐसे सख्त कदमों को उठाते रहने की जरूरत है.

जवाबदेही से बचने का उपाय ढूंढ रहा है पाकिस्तान

हालांकि, पाकिस्तान यह कभी नहीं मान सकता कि यह सर्जिकल स्ट्राइक था, इसलिए उसने कहा है कि यह भारतीय सेना द्वारा किया गया उस पर एक हमला था. दरअसल, पाकिस्तानी सेना यह नहीं कह सकती है कि भारतीय सेना सर्जिकल स्ट्राइक करके निकल गयी और वह कुछ कर नहीं पायी. क्योंकि ऐसा कहना पाकिस्तान के लिए एक हार की तरह होगा.

दूसरी बात, पाकिस्तान के कुल रक्षा बजट का लगभग 50 प्रतिशत हिस्सा पाकिस्तानी सेना को मिलता है और पाकिस्तानी सेना इससे भी ज्यादा बजट की मांग करती है. अगर इतना बजट पाने के बाद भी पाकिस्तानी सेना भारत के खिलाफ कुछ नहीं कर पायेगी, तो फिर पाकिस्तान में उसकी आलोचना होगी. इस आलोचना से बचने के लिए ही पाकिस्तानी सेना ने इसे सर्जिकल स्ट्राइक मानने से इनकार कर दिया है.

आतंकी हमलों से पहले अब सोचेगा पाकिस्तान

भारत के लिए यह महत्वपूर्ण नहीं है कि पाकिस्तान इसे सर्जिकल स्ट्राइक माने या न माने, महत्वपूर्ण यह है कि पाकिस्तान अब कुछ डरेगा. हालांकि, यदि इसकी भी संभावना नजर नहीं आये, तो भी यह कहा जा सकता है कि अब पाकिस्तान कुछ हिचकेगा. अब वह सोचेगा कि अगर भारत में फिर उड़ी जैसा कोई आतंकी हमला होता है, तो भारतीय सेना पीओके में घुस कर फिर से सर्जिकल स्ट्राइक करेगी और शायद अगली बार का सर्जिकल स्ट्राइक इस बार से कहीं ज्यादा बड़ा भी हो सकता है. उड़ी हमले के सप्ताह बीत जाने के बाद भारत ने बहुत संयम रखा और उसकी रणनीति यह रही कि कब-कहां-क्या करना है, यह सब जल्दबाजी में तय नहीं हो सकता. इस ऐतबार से इस सर्जिकल स्ट्राइक की टाइमिंग बहुत अच्छी रही.

पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक का नहीं लगाया होगा अनुमान

उड़ी हमले के बाद से पाकिस्तान इस बात के लिए जरूर तैयार रहा होगा कि भारतीय सेना चुप नहीं बैठ सकती है. जब भी भारत-पाक के बीच युद्ध जैसी स्थिति बनती है, तो इसके लिए भारत पंजाब के क्षेत्र में अपना सैन्य मोर्चा खोलता है, जबकि पाकिस्तान कश्मीर के क्षेत्र में अपना सैन्य मोर्चा खोलता है. ऐसे में पाकिस्तान की सेना ने यह सोचा होगा कि शायद इस बार भी यही होगा और भारत पंजाब की ओर से मोर्चा खोलेगा, कश्मीर की ओर से नहीं. इसके लिए पाकिस्तानी सेना की तैयारी पंजाब क्षेत्र की ओर ज्यादा रही होगी और कश्मीर क्षेत्र को लेकर उसने यह सोचा ही नहीं होगा कि सर्जिकल स्ट्राइज जैसा भी कुछ होगा. लेकिन, भारतीय सेना ने प्राप्त सूचनाओं के आधार पर अपनी अच्छी रणनीति अपनायी और उसने कश्मीर की ओर से मोर्चा खोलते हुए पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में घुस कर इस स्ट्राइक को अंजाम दिया. पाकिस्तान के पास अपने बचाव के लिए कोई बड़ा रास्ता नहीं निकल पाया और इसलिए वह अब इसे महज एक सैन्य हमला मान रहा है.

धैर्य पूर्वक काम कर रही है हमारी सरकार और सेना

यह खबर आ रही है कि साल 2003 में हुए पाकिस्तान के साथ सीजफायर समझौते को भारत तोड़ सकता है. यह खबर कितनी पुख्ता है, मालूम नहीं, लेकिन इतना जरूर है कि सीजफायर दोनों देशों के लिए फायदेमंद है. जिस तरह से पाकिस्तान सीजफायर का बार-बार उल्लंघन करता रहा है, अगर भारत यह समझौता तोड़ता है, तो इससे सीमा पर माहौल बिगड़ सकता है. जाहिर है कि अब ऐसा नहीं हो सकता कि पाकिस्तान बार-बार सीजफायर का उल्लंघन करते हुए आतंकवाद को शह देता रहे और भारत सीजफायर समझौते पर संयम बरतता रहे. बहरहाल, अभी इस पर कुछ कहना उचित नहीं, क्योंकि हमारी सरकार और सेना दोनों संयतरूप से अपना काम कर रही हैं.

(वसीम अकरम से बातचीत पर आधारित)

डॉ स्मृति पटनायक

इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस

सात दिन की तैयारी, चार घंटे ऑपरेशन

उड़ी हमले का बदला भारतीय जवानों ने पूरी पुख्ता तैयारी से लिया. आधी रात को पाक अधिकृत कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक हुआ और पाकिस्तान के सैनिकों को इसकी कानो-कान खबर तक न हुई. पाकिस्तान की सेना जब तक सचेत होती, तब तक तो ऑपरेशन पूरा हो गया. बुधवार की देर रात भारतीय सेना के विशेष पैरा कमांडो ने पीओके में घुस कर सात आतंकी कैंप को ध्वस्त कर िदया और करीब 38 आतंकियों को मार गिराया. बीच-बचाव करने आये पाकिस्तान रेंजर्स भी इस कार्रवाई में मारे गये. इस कार्रवाई का पूरा देश को समर्थन मिला है. सेना ने पूरी कार्रवाई का वीडियो भी तैयार किया.

नेशनल कंटेंट सेल

उड़ी हमले के 11 दिन बाद बुधवार की रात करीब 12:30 बजे भारतीय सेना के विशेष पैरा कमांडोज ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में घुस कर सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया. जिस तरह जवानों ने महज चार घंटे के ऑपरेशन में बिना कोई नुकसान उठाये सात आतंकी कैंपों को ध्वस्त किया, उससे पता चलता है कि भारतीय सेना की तैयारी कितनी पुख्ता थी.

सूत्रों के मुताबिक, इस ऑपरेशन को लेकर बेहद खुफिया तरीके से सात दिनों तक प्लानिंग की गयी. सीमा पर हर एक्टिविटी पर करीब से नजर रखी गयी. एलओसी के पार आतंकी लॉन्चिंग पैड्स और आतंकी प्रशिक्षण शिविरों पर कार्रवाई के लिए विशेष कमांडो कार्रवाई के साथ हवाई हमलों की भी तैयारी को अंतिम रूप तीन दिन पहले दिया गया. केंद्र सरकार से कार्रवाई की हरी झंडी मिलते ही भारतीय सेना पीओके में आतंकी कैंपों पर हमला बोल दिया.

पाकिस्तानी सेना द्वारा संभावित किसी बड़ी जवाबी कार्रवाई के मद्देनजर श्रीनगर वायुसेना एयरपोर्ट पर सुखोई विमानों को भी तैयार रखा गया था. सेना को बोफोर्स से हमलों के लिए भी तैयार रहने को कहा गया था. भारतीय सेना और खुफिया एजेंसियों के पास इस बात की पक्की सूचना थी कि आतंकियों के लॉन्चिंग पैड कहां हैं और आतंकी किन-किन हथियारों से लैस हैं.

इसकी पूरी जानकारी थी.

तब पीएम ने कहा था दोषियों को बख्शेंगे नहीं

ऐसी कायराना घटना को अंजाम देने वालों को बख्शा नहीं जायेगा. वीर सपूतों की शहादत सिर्फ उन परिवारों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्र की क्षति है. सेना बोलती नहीं, बल्कि पराक्रम दिखाने में विश्वास रखती है. यह कायरतापूर्ण कृत्य पूरे देश को झकझोरने के लिए काफी था. इसको लेकर देश में शोक और आक्रोश दोनों है. हमें अपनी सेना पर गर्व है. लोगों और नेताओं को बोलने के अवसर मिलते हैं, और वे ऐसा करते भी हैं. परंतु सेना बोलती नहीं है. सेना अपना पराक्रम दिखाती है.

25 सितंबर (मन की बात)

हम उड़ी में हुए कायराना हमले की कड़ी आलोचना करते हैं. मैं राष्ट्र को भरोसा देता हूं कि इस कायरतापूर्ण हमले के पीछे जो लोग हैं, उन्हें सजा जरूर मिलेगी. हम उड़ी में शहीद होने वालों को सलाम करते हैं. राष्ट्र के प्रति उनकी सेवा को हमेशा याद रखा जायेगा. मेरी संवेदनाएं प्रभावित परिवारों के साथ हैं.

18 सितंबर (ट्विट कर कहा)

हेलीकॉप्टर से एलओसी पर उतरे पैरा कमांडोज

बुधवार की रात करीब 12:30 बजे कश्मीर के पुंछ से एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर ध्रुव पर चार और नौ पैरा के 29 कमांडो सवार होकर पीओके में दाखिल हुए. नियंत्रण रेखा के पार हेलीकॉप्टर ने इन जवानों को एक सुनसान जगह पर उतार दिया.

तीन किमी चले पैदल

एलओसी के पास से भारतीय सेना के जवान करीब दो से तीन किमी तक पैदल चल कर पीओके के अंदर घुसे. खतरों के बीच इन जवानों ने एक साथ भिंबेर, केल, लीपा व टट्टापानी में बने आतंकियों के लॉन्च पैड्स को टारगेट पर लिया.

ग्रेनेड से किया हमला

पलक झपकते ही पैरा कमांडोज ने आतंकियों के सात कैंप को ध्वस्त कर दिया. सबसे पहले जवानों ने आतंकियों पर ग्रेनेड से हमला किया. अफरा-तफरी फैलते ही स्मोक ग्रेनेड के साथ ताबड़तोड़ फायरिंग की. करीब चार घंटे तक चले इस ऑपरेशन में दर्जनों आतंकी मारे गये. इस बीच, आतंकियों के बीच-बचाव के लिए आये पाकिस्तानी रेंजर्स भी इस ऑपरेशन में मारे गये हैं.

सुबह 4:30 बजे लौट गये

ऑपरेशन को अंजाम देने के बाद पैरा कमांडो के जवान सुरक्षित गुरुवार की सुबह 4:30 बजे वापस लौट आये. इस ऑपरेशन के दौरान भारतीय जवानों को मामूली खरोंचें आयी हैं. पहली बार भारतीय सेना ने इस तरह के ऑपरेशन में वायुसेना की मदद नहीं ली है.

रेंजर्स को खबर नहीं

पाकिस्तान रेंजर्स को भारत के इस कदम का कोई आभास नहीं हुआ. अपनी नाकामी को छुपाने लिए गुरुवार को पाकिस्तान की सेना ने भारत द्वारा किये गये सर्जिकल स्ट्राइक से इनकार कर दिया. जबकि, आइएसपीआर ने दो जवानों के मारे जाने की बात कही है.

दिल्ली में बना खाका

दिल्ली में इस ऑपरेशन की तैयारी सेना मुख्यालय में बुधवार की रात शुरू हो गयी थी. राजधानी में बुधवार शाम कोस्टगार्ड कमांडर कॉफ्रेंस का डिनर रखा गया था. इसमें रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर, एनएसए अजित डोभाल और सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग को जाना था. डिनर में जाने की बजाय यह तीनों वार रूम पहुंचे और ऑपरेशन को अंजाम दिया.

ऑपरेशन के तीन नायक

मनोहर पर्रीकर

पीएम से हरी झंडी मिलने के बाद रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर ने ऑपरेशन की मॉनिटरिंग की कमान संभाली. दिल्ली में उन्होंने पीएम को पूरा खाका बताया था. उड़ी हमले के बाद पर्रीकर ने कहा था कि दोषियों को बख्शा नहीं जायेगा. आतंकियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जायेगी.

अजीत डोभाल

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल (1968 के केरल बैच के आइपीएस) छह साल पाकिस्तान में अंडरकवर एजेंट के रूप में काम कर चुके हैं. माना जा रहा है कि पूरी प्लानिंग उन्हीं की थी, क्योंकि वह पाक को अच्छी तरह जानते हैं. आतंकियों के प्रति सख्त हैं.

जनरल सुहाग

भारतीय थल सेना के थलसेना प्रमुख हैं. उनका जन्म हरियाणा के झज्जर जिले के बिशन गांव में जाट समुदाय के एक परिवार में हुआ है. ऑपरेशन पवन को इन्होंने अंजाम दिया था. इन्हें ऑपरेशन को जमीन पर उतारने की जिम्मेवारी दी गयी थी. इसे उन्होंने बखूबी अंजाम दिया.

20 बार की घुसपैठ 150 आतंकी ढेर

भारत में आतंकवाद फैलाने के लिए जम्मू-कश्मीर में सीमा पार से घुसपैठ की कोशिश तेज हो गयी है. 2016 में भारतीय सेना ने घुसपैठ की 20 कोशिशों को नाकाम किया. इस दौरान 150 से अधिक आतंकी मारे गये हैं. वहीं, आधा दर्जन से अधिक जिंदा आतंकी पकड़े गये हैं.

उड़ी हमले के बाद

20 सितंबर को पाकिस्तान की ओर से उड़ी और नौगाम में घुसपैठ की कोशिश. 10 आतंकी ढेर.

22 सितंबर को बांदीपोरा में घुसपैठ की कोशिश, एक आतंकी मारा गया.

23 सितंबर को अखनूर सेक्टर में पाक के सियालकोट निवासी संदिग्ध आतंकी पकड़ा गया.

भारत ने सीमा पर से एक संदिग्ध को पकड़ा.

सोशल साइट्स पर ‘वर्ड वॉर’

भारतीयों ने मनाया हमले का जश्न

#मोदी पनिशेस पाक

जैसे ही ये खबर फैली कि भारतीय सेना ने एलओसी पार जाकर आतंकी कैंपों को तबाह किया और 38 आतंकियाें को मार गिराया तो सोशल साइट ट‍ि्वटर और फेसबुक पर #ModiPunishesPak ट्रेंड चलने लगा. वहीं पाकिस्तान में # chakdeIndian के ट्रेंड से लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया दी. पाकिस्तान में सोशल साइट‍्स के माध्यम से कुछ लोगों ने भारत के इस कार्रवाई को झूठा बताया तो कुछ लोगों ने पाकिस्तानी हुक्मरानों को भारत पर हमला करने के लिए ललकारा.

पाकिस्तानियों ने अपने नेताओं को कोसा

#कप्तान तैयार शेर बीमार

भारत की सर्जिकल स्ट्राइक ने पाकिस्तान में राजनीतिक हलचलें बढ़ा दी हैं. पाकिस्तानी यूजर्स इसे पीएम नवाज शरीफ को भी कोस रहे हैं. ट्विटर पर #kaptantayyarsherbemar (कप्तान तैयार शेर बीमार) ट्रेंड कर रहा है़ एक यूजर ने लिखा कि भारत सीमा पर दबाव बढ़ा रहा है और इमरान खान को पीएम न बन पाने का गम सताये जा रहा है. एक अन्य यूजर ने लिखा कि एलओसी और पूर्वी बॉर्डर पर तनाव बढ़ रहा है और पीएम नवाज लंदन में हॉलिडे और शॉपिंग में मशगूल हैं.

सेना को मिला समर्थन

आतंकवाद एवं जो लोग इसका समर्थन करते हैं और इसे प्रायोजित करते हैं, उनके खिलाफ हम सब दृढ़ता से एकजुट हैं. कांग्रेस पार्टी और मैं अपने देश एवं अपने लोगों की रक्षा के लिए भारतीय सेना तथा अपने जवानों की बहादुरी के लिए उन्हें सलाम करता हूं.

राहुल गांधी, कांग्रेस उपाध्यक्ष

हम सभी जिसका इंतजार कर रहे थे, वह अब हुआ है. हमारी ओर से उन सभी, जिन्हें बधाई देने की जरूरत है, की भूरि भूरि प्रशंसा. मैं बधाई दोहराता हूं.

मोहन भागवत, संघ प्रमुख

हम अपने सशस्त्र बलों के साथ हैं. एमआइएम पार्टी पूरे देश एवं सशस्त्र बलों के साथ पूरी तरह से एकजुट है. हम किसी भी तरह के आतंकवाद के खिलाफ हैं.

असदुद्दीन ओवैसी, अध्यक्ष एआइएमआइएम

भारत को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ आगे भी कड़ी कार्रवाई की जायेगी. पूरा देश सेना के साथ है. ऐसी कार्रवाई जरूरी थी.

राममाधव, भाजपा के जम्मू-कश्मीर प्रभारी

यह आतंकियों के लिए सबक है, आत्मसुरक्षा हमारा अधिकार है.

शाहनवाज हुसैन, भाजपा नेता

भारत माता की जय. पूरा देश भारतीय सेना के साथ है.

अरविंद केजरीवाल, मुख्यमंत्री, दिल्ली

सर्जिकल स्ट्राइक के लिए सेना के जवानों को बधाई दी. देश की सुरक्षा के मुद्दे पर सरकार को समर्थन है.

एके एंटनी, पूर्व रक्षामंत्री

टेरर लॉन्च पैड्स पर हमारी सेना द्वारा वीरतापूर्ण हमले पर गर्व है. यह कार्रवाई आतंक पर कार्रवाई को लेकर भारत की इच्छाशक्ति दर्शाती है.

रविशंकर प्रसाद, केंद्रीय मंत्री

सेना ने कहा था जगह व समय हम तय करेंगे

उड़ी में तलाशी अभियान पूरा हो गया है. मारे गये आतंकियों के पास से पाकिस्तान में बने सामान और हथियार मिले. 2016 में एलओसी के पार से 17 बार घुसपैठ की कोशिश की गयी. सेना ने इन सभी कोशिशों को नाकाम कर दिया. घुसपैठ की इन घटनाओं में 110 आतंकी मारे गये हैं. इनमें से 31 को एलओसी पार करने की कोशिश के दौरान मारा गया. अब हम तय करेंगे कि कैसे जवाब देना है और इस जवाब का वक्त और जगह हम तय करेंगे. हमारे पास पूरी क्षमता है.

– लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह, डीजीएमओ (20 सितंबर)

पाक का दावा

आठ को मारा, भारत ने कहा बकवास

नयी दिल्ली/इसलामाबाद. भारत ने पाक मीडिया के इस दावे का खंडन किया है कि एलओसी पर कार्रवाई के दौरान उसके आठ सैनिक मारे गये. पाकिस्तान के प्रमुख चैनल जिओ टीवी ने दावा किया है कि पाकिस्तानी सेना ने जवाबी कार्रवाई में भारत के आठ जवानों को न सिर्फ मारा, बल्कि एक सेना को गिरफ्तार भी किया है. चैनल ने पकड़े गये जवान की पहचान बशान चौहान के 22 वर्षीय पुत्र चंदू बाबूलाल चौहान के रूप में की है. उधर, भारत ने कहा है क एक जवान गलती से एलओसी पार कर गया. उसकी सकुशल रिहाई के प्रयास किये जा रहेहैं. पाकिस्तान के इंटर सर्विस पब्लिक रिलेशन के निदेशक जनरल लेफ्टिनेंट जनरल असीम सलीम बाजवा ने जियो न्यूज के एक इंटरव्यू में कहा है कि भारत की कार्रवाई हमें उकसानेवाली है और इसका माकूल जवाब देंगे़ भारत की ओर से गुरुवार सुबह की गयी गोलीबारी में हमारे दो जवान शहीद हुए हैं.

विदेशी मीिडया से

अधिकतर ने माना भारत की कार्रवाई

भारतीय सेना के सर्जिकल स्ट्राइक को अन्य देशों की मीडिया ने भी प्रमुखता से लिया है. हालांकि पाक मीडिया इसकी सत्यता पर सवाल खड़े कर रहा है. पाकिस्तान के अखबार द डॉन और द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने इस कार्रवाई को झूठा बताया और अपने आॅनलाइन समाचार पोर्टल पर लिखा है कि सर्जिकल स्ट्राइक के नाम पर भारत बकवास कर रहा है . सीएनएन ने पाकिस्तानी सेना के हवाले से लिखा है कि भारत और पाक के बीच हुई गोलाबारी में पाक के दो जवान मारे गये हैं, जबकि भारतीय सेना इसे सर्जिकल स्ट्राइक बता रही है. बीबीसी ने इस खबर की पुष्टि की है कि भारतीय सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक कर पीओके में कई आतंकियों को मार गिराया. भारतीय सेना की ये जवाबी कार्रवाई है. द न्यूयॉर्क टाइम्स ने भारतीय मीडिया के हवाले से लिखा है कि ये कार्रवाई 29 सितंबर की सुबह लगभग 5:30 पर की गयी, जिसमें कुछ लोगों की जान भी गयी है.

युद्ध की आशंका से खाली होने लगे सीमा से सटे गांव

जम्मू\चंडीगढ़: पाक की ओर से संभावित कार्रवाई के मद्देनजर जम्मू कश्मीर और पंजाब में पाकिस्तान से लगती सीमा के 10 किलोमीटर के दायरे में रहने वाले लोगों से वहां से हट कर सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए कहा गया है. स्कूलों को अगले आदेश तक बंद रहने का आदेश दिया गया है. पंजाब में भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे जिलों में गुरूद्वारों से अपील की जा रही है कि लोग सीमावर्ती इलाकों से दूर किसी सुरक्षित इलाके में चले जाएं. अटारी-वाघा सीमा पर होने वाला बीटिंग रिट्रीट समारोह भी गुरुवार को आम जनता के लिए बंद कर दिया गया.

जम्मू के उपायुक्त सिमरनदीप सिंह ने कहा, ‘हमने भारत-पाकिस्तान सीमा से सात से आठ किलोमीटर के दायरे में रहने वाले लोगों से सुरक्षित स्थानों पर जाने को कहा है तथा 10 किलोमीटर के दायरे वाले स्कूलों को अगले आदेश तक बंद रखने का आदेश दिया गया है.’ ये निर्देश जम्मू, सांबा और कठुआ जिलों में अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगे क्षेत्रों तथा रजौरी और पुंछ में नियंत्रण रेखा से लगे क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को जारी किये गये हैं. रजौरी के नौशेरा बेल्ट में आसपास के क्षेत्रों से लोगों को हटाना शुरू कर दिया है.

इधर, पंजाब में भी अंंतरराष्ट्रीय सीमा से 10 किलोमीटर के दायरे में आने वाले गांवों से लोगों से सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए कहा गया है. पंजाब के छह जिलों की सीमाएं पाकिस्तान से लगती हैं. केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने पंजाब के सीएम बादल से फोन पर बात की और उनसे तनावपूर्ण स्थिति के मद्देनजर अंंतरराष्ट्रीय सीमा से 10 किलोमीटर के दायरे में आने वाले गांवों से लोगों को हटाने की प्रक्रिया तत्काल शुरु करने का अनुरोध किया.

फिरोजपुर, फाजिल्का, अमृतसर, तरण तारन, गुरदासपुर और पठानकोट में लोगों को हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. उन्हें शिविरों में रखा जायेगा. मुख्यमंत्री ने साथ ही मुख्य सचिव को यह भी निर्देश दिया कि छह सीमांत जिलों के सभी उपायुक्तों को एक-एक करोड़ रुपये की राशि तत्काल जारी करने को कहा है.

छुट्टियां रद्द, फौजियों का सीमाओं की ओर कूच

श्रीनगर: पीओके में भारतीय सेना द्वारा की गयी सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान की ओर से संभावित कार्रवाई के मद्देनजर एहतियात बरती जा रहा है. भारतीय सैनिकों की छुट्टियां रद्द कर दी गयी हैं. छुट्टी पर गये सैकड़ों सैनिकों को ड्यूटी पर वापस लौटने की इतला दे दी गयी है. इस बीच, जवान सीमाओं की ओर कूच कर गये हैं. रक्षा सूत्रों के अनुसार, छुट्टी पर गये हुए सभी जवानों को तत्काल ड्यूटी पर लौटने के आदेश जारी किये गये हैं. छुट्टी पर जानेवाले सैकड़ों जवानों को तार तथा अन्य संचार साधनों से सूचित किया गया है. उन्हें यह निर्देश दिये गये हैं कि वे अपनी-अपनी तैनाती के स्थान पर लौटने के लिए उन सुविधाओं का तत्काल इस्तेमाल करें, जिनकी व्यवस्था स्थानीय यूनिटों तथा राज्य सरकारों को करने के लिए कहा गया है. विशेष रेलगाड़ियों को इस कार्य में लगाया जा रहा है, ताकि फौजियों को गंतव्य तक पहुंचाया जा सके.

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