इराक़ युद्ध में एक बच्चे को कथित रूप से जबरन नहर में धकेलने और फिर डूबने देनेवाले चार ब्रितानी सैनिकों का मामला ब्रिटेन में सुर्खियों में है.
इस मामले की जांच कर रहे जज ने अपनी रिपोर्ट में घटना की निंदा की है.
15 साल के अहमद जब्बार करीम अली की मई 2003 में बसरा में मौत हो गई थी. उन्हें लूटपाट करने के संदेह में हिरासत में लिया गया था.

जज की रिपोर्ट में कहा गया है कि अहमद को हिरासत में नहीं लिया जाना चाहिए था, या फिर उन्हें नहर में जबरन नहीं उतारा जाना था और जब वो डूब रहे थे, तो उन्हें बचाया जाना चाहिए था.
रक्षा मंत्रालय ने इस पूरे मामले पर खेद व्यक्त किया है.
अहमद लूटपाट के आरोप में पकड़े गए चार संदिग्धों में शामिल थे जिन्हें शात अल बसरा नहर में जबरन पानी में उतरने को कहा गया था.

मामले की जांच कर रहे पूर्व हाईकोर्ट जज सर जॉर्ज न्यूमैन ने अपनी रिपोर्ट में सैनिकों के व्यवहार को गैरजिम्मेदाराना करार दिया है.
जज ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, "बच्चे की मौत इसलिए हुई क्योंकि सैनिकों ने उसे नहर में प्रवेश करने को मजबूर किया. वे उसे डूबते हुए देखते रहे और बचाने का प्रयास नहीं किया."
मामले में शामिल चार सैनिकों को साल 2006 में हुए कोर्ट मार्शल में हत्या के आरोप से बरी कर दिया गया था.
इराक युद्ध में सद्दाम हुसैन को अमरीकी नेतृत्व वाली गठबंधन सेना ने राष्ट्रपति पद से अपदस्थ कर दिया था. इस लड़ाई में कम से कम डेढ़ लाख इराकी मारे गए थे जबकि दस लाख से ज्यादा इराकी नागरिक विस्थापित हो गए थे.
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