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आज़म ख़ान
उत्तर प्रदेश में सत्ताधारी समाजवादी पार्टी में आए राजनीतिक संकट में अनिश्चय की स्थिति बनी हुई है.
पार्टी के कद्दावर नेता और पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह के भाई शिवपाल यादव के कैबिनेट और प्रदेश अध्यक्ष के पद से इस्तीफ़े ने समाजवादी पार्टी में अंदरूनी संकट को गहरा दिया है.
स्थानीय पत्रकार समीरात्मज मिश्र का कहना है कि शिवपाल यादव के घर के बाहर उनके समर्थक और 20 से ज्यादा विधायक जमा हैं. सबकी निगाहें मुलायम सिंह यादव के अगले क़दम पर हैं.
मंगलवार को मुलायम सिंह यादव के हस्ताक्षर वाला एक पत्र मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के पास पहुंचा था जिसमें उनकी जगह उनके चाचा शिवपाल यादव को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की बात लिखी थी.
देर शाम पलटवार करते हुए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शिवपाल यादव से सिंचाई, लोकनिर्माण, सहकारिता और राजस्व विभाग वापस ले लिए थे.
इससे चाचा-भतीजे के बीच पार्टी के अंदर टकराव खुलकर सामने आ गया.
समाजवादी पार्टी में चाचा-भतीजे की इस तकरार को लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेता आज़म ख़ान ने बीबीसी संवाददाता वात्सल्य राय के साथ बातचीत में कहा, "आपसी रिश्तों या परिवार में छोटी-छोटी बातें हो जाती हैं. लेकिन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने साफ़ तौर पर कहा था कि यह सरकारी झगड़ा है पारिवारिक नहीं. और अगर पारिवारिक झगड़ा है भी तो यह बाहरी लोगों का कारनामा है."
उनका कहना था- "अगर बिच्छू का काम डंक मारना है तो वो डंक मारेगा ही. भले आप कितना ही समझा लीजिए. अगर सांप का काम डसना है तो आप लाख दूध पिला लीजिए वो डसेगा ही. ये तो उसकी फितरत होती है. मेरा इशारा जिस बाहरी की ओर है वो आप समझ ही रहे होंगे. मैं उनको इस काबिल नहीं समझता कि उनका नाम लूं. इसलिए नाम नहीं ले रहा हूं."
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आज़म ख़ान ने आगे कहा- "मेरा मुलायम सिंह के परिवार से खून का रिश्ता तो नहीं है, लेकिन मुझे भी उस परिवार का एक हिस्सा समझा जाता है. हम लोग जो कुछ भी पार्टी के अंदर हो रहा है, उसे लेकर फिक्रमंद हैं. और मायावती जो कह रही हैं कि मुलायम सिंह यादव को सन्यास ले लेना चाहिए तो मैं यह कहूंगा कि जनता ने साढ़े चार साल पहले जो उन्हें सन्यास दिया है, उस पर उन्हें विचार करना चाहिए."
मायावती का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि मायावती के करीबी लोगों ने जिस तरह से उन पर इल्जाम लगाते हुए अपना नाता तोड़ा है उससे उन्हें थोड़े दिन शर्मिंदगी में गुजारना चाहिए.
मुख्यमंत्री के अधिकार में है कि वो किसे मंत्री रखें किसे ना रखें. और जहां तक मुलायम सिंह यादव की बात है तो उनका आदेश तो सभी मानेंगे. यह तो सवाल ही नहीं उठता कि वो कुछ कह दें और उस पर अमल ना हो.
उन्होंने अब तक कुछ नहीं कहा है. जो वो कहेंगे वही होगा. शुक्रवार को सारे अटकलबाजियों पर विराम लग जाएगा.
(समाजवादी पार्टी के नेता आज़म ख़ान से बीबीसी संवाददाता वात्सल्य राय की बातचीत पर आधारित)
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