
हिज़बुल मुजाहिदीन ‘कमांडर’ बुहरहान वानी की मूठभेड़ में हुई मौत को बुधवार को दो माह हो गए और उसके बाद कश्मीर में हिंसा का जो दौर शुरु हुआ है वो थमने का नाम नहीं ले रहा.
अबतक 70 से अधिक मौतें हो चुकी हैं और हज़ारों शहरी और सुरक्षा बलों के जवान घायल हुए हैं.
बुधवार को भी कुलगाम, पुलवामा और शोपियां में चार बड़े विरोध–प्रदर्शन हुए जिस दौरान सुरक्षा बलों के साथ हुई झड़पों में 60 से अधिक लोग घायल हो गए.

60 दिनों से अधिक से कर्फ़्यू जारी है और लोग घरों में बंद हैं.
पुलिस के एक प्रवक्ता के मुताबिक़ प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव किया और कुलगाम में नवोदय विद्यालय में आग लगा दी. श्रीनगर में भी सुरक्षा बलों के साथ झड़पें हुईं.
राजधानी श्रीनगर समेत घाटी के सभी बड़े क़स्बों में सुरक्षा बलों की भारी मौजूदगी है. घाटी के स्कूल-कॉलेज, दुकानें और पेट्रोल पंप अभी भी बंद हैं. इससे आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित है.
समाचार एंजेंसी पीटीआई के मुताबिक़ स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि आंसू गैस का गोला फटने के बाद दिल का दौरा पड़ने से कुलगाम के चावलगाम निवासी 72 साल के ज़हूर अब्बास की मौत हो गई.

सीपीएम नेता सीताराम येचुरी भी सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में शामिल थे.
कश्मीर वानी के मौत के बाद से ही घाटी अशांत है. प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच हुई झड़पों के बाद घाटी में कर्फ़्यू लगा दिया गया, जो कई इलाक़ों में अबतक जारी है. हालांकि इस बीच एक-दो बार कर्फ़्यू हटाया भी गया. लेकिन हालात ख़राब होने पर फिर लगा दिया गया.
केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह श्रीनगर का तीन बार दौरा कर चुके हैं हालांकि उनके कोई नतीजे नहीं निकल सके. बल्कि सामाजिक संगठनों और यहां तक के व्यापार मंडल के लोगों तक ने उनसे मिलने से मना कर दिया.
भारतीय गृहमंत्री की अगुआई में एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने भी श्रीनगर का दौरा किया जिसने 300 से अधिक लोगों से मुलाक़ात की.

प्रतिनिधिमंडल में शामिल कुछ नेताओं ने निजी तौर पर अलगाववादी हुर्रियत कांफ्रेंस के नेताओं से मिलने की कोशिश की. लेकिन अधिकांश हुर्रियत नेताओं ने उनसे मिलने से इनकार कर दिया.
प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को राजनाथ सिंह के साथ दिल्ली में एक बार फिर बैठक की. इसमें तय किया गया कि कश्मीर पर बात तो होगी लेकिन संप्रभुता के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा.
बैठक में लिए गए फ़ैसलों का जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने स्वागत किया. वहीं पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इसे नीरस प्रयास बताया है.
कश्मीर के हालात पर बीबीसी उर्दू के हारून रशीद कहते हैं कि भारत और पाकिस्तान कश्मीर का राजनयिक फ़ायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं.

बुरहान वानी की मूठभेड़ 8 जुलाई को हुआ और दूसरे दिन से ही घाटी में हिंसा शुरू हो गई.
पाकिस्तान सेना के प्रमुख जनरल राहिल शरीफ़ ने दो दिनों पहले ही कश्मीर को जीने-मरने का सवाल बताया था. इस पर रशीद कहते हैं कि जनरल शरीफ़ का बयान कोई नया नहीं है. पाकिस्तान में दशकों से इस तरह की बात की जा रही है.
उन्होंने कहा कि कश्मीर को लेकर भारत-पाकिस्तान का रवैया अड़ियल है. कोई भी लचिला रुख नहीं अपना रहा है. इसे देखते हुए बात के आगे बढ़ने की कोई उम्मीद नज़र नहीं आ रही है.
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