29.2 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

पीएम बनना चाहते हैं अरविंद केजरीवाल

आम आदमी पार्टी के टिकट पर विधायक चुने गये विनोद कुमार बिन्नी, दिल्ली में पार्टी की सरकार के गठन के समय से ही चरचा के केंद्र में हैं. बिन्नी ने केजरीवाल सरकार पर दिल्ली की जनता से किये गये वादों को पूरा न करने का आरोप लगाया है. पार्टी नेतृत्व से मुखालफत करने के कारण […]

आम आदमी पार्टी के टिकट पर विधायक चुने गये विनोद कुमार बिन्नी, दिल्ली में पार्टी की सरकार के गठन के समय से ही चरचा के केंद्र में हैं. बिन्नी ने केजरीवाल सरकार पर दिल्ली की जनता से किये गये वादों को पूरा न करने का आरोप लगाया है. पार्टी नेतृत्व से मुखालफत करने के कारण उन्हें आम आदमी पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है. कभी केजरीवाल के चहेते रहे बिन्नी, उन पर महत्वाकांक्षी होने का आरोप लगाते हैं. विनोद कुमार बिन्नी से संतोष कुमार सिंह की बातचीत के मुख्य अंश.

चुनाव अभियान के दिनों में अरविंद केजरीवाल स्वराज और मोहल्ला सभा के लिए अकसर आपकी सराहना करते थे. अब आप ’आम आदमी पार्टी ’के साथ नहीं है. कैसे इस काम को आगे बढ़ायेंगे?
देखिए, यह उन दिनों की बात है जब मैं आम आदमी पार्टी के साथ जुड़े होने के बजाय निर्दलीय जीतकर जनप्रतिनिधि की हैसियत से काम कर रहा था. उस समय भी जब हमारे इलाके में जनता की भलाई के लिए नाली, गली, सड़क आदि बनाना होता था, या विकास का कोई अन्य काम करना होता था, मैं जनता की राय लेता था. आगे भी ऐसा करता रहूंगा. लेकिन राज्य स्तर पर या देश में इसे लागू करने के लिए योजना बनाने की जरूरत है. इसके लिए कानून बनाने की जरूरत होगी. इसमें राजनीतिक दलों की अहम भूमिका है. सैद्धांतिक तौर पर यह बिल्कुल सही है कि कहां किस मद में कितनी राशि खर्च की जानी चाहिए, इसका अधिकार ग्रामसभा और मुहल्ला सभा को दिया जाये.

ऐसा था तो आपने पार्टी क्यों छोड़ी? आप पार्टी में रह कर जनता की भलाई का काम बेहतर तरीके से कर सकते थे. कहा तो यह भी जा रहा है कि आपने पद के लालच में पार्टी के खिलाफ बयानबाजी करना शुरू किया?
लोकतांत्रिक व्यवस्था में पार्टी का अपना महत्व होता है. लेकिन एक जनप्रतिनिधि की हैसियत से चुने हुए प्रतिनिधि की अपने क्षेत्र की जनता के प्रति भी बड़ी जिम्मेवारी है. मैंने पार्टी नहीं छोड़ी है, मुङो पार्टी से निकाला गया है. ऐसा फैसला इसलिए किया गया ताकि मैं जनता के मुद्दे न उठाऊं. अन्य विधायकों की तरह ही किसी व्यक्ति को मुख्यमंत्री या मंत्री बनाये रखने के लिए चुप्पी साध लूं.

मैंने दिल्ली की जनता के हित में कुछ मुद्दे उठाये. पार्टी नेताओं का ध्यान उन मुद्दों की ओर दिलाया जिसका वादा उन्होंने दिल्ली की जनता से किया था. पार्टी ने वादा किया था कि हर घर को 700 लीटर नि:शुल्क स्वच्छ पानी दिया जायेगा. आंदोलन के दौरान कहा गया था कि लोग बिजली का बिल नहीं जमा कराएं, पार्टी जब सत्ता में आयेगी तो उनका बिल माफ किया जायेगा. कनेक्शन जोड़े जायेंगे. लेकिन सत्ता में आने पर यह सब भुला दिया गया. इन सवालों पर जब मैंने आवाज उठायी, तो मुङो बागी कहा गया, पार्टी से निकाल दिया गया. यह काम वही व्यक्ति कर सकता है जिसे जनता की फिक्र न हो. हमारे लिए दिल्ली की जनता के मुद्दे महत्वपूर्ण हैं, व्यक्ति विशेष नहीं. जहां तक पार्टी से निकलने का सवाल है, मैं खुद नहीं निकला मुङो निकाला गया है. वो भी अरविंद केजरीवाल और उनके विशिष्ट सहयोगियों द्वारा जो बात-बात पर जनता की राय लेते हैं,लेकिन इस मसले पर चंद लोगों ने मिल कर सबकुछ तय कर लिया. जहां तक पदलोलुप होने का सवाल है, इसका जवाब केजरीवाल ही बेहतर दे सकते हैं क्योंकि उन्होंने खुद कहा था कि मुङो किसी पद का लालच नहीं है. मैं अभी भी नहीं चाहता कि आम आदमी पार्टी की सरकार गिर जाये. मैं बस यह चाहता हूं कि सरकार पर दबाव बनाया जाए ताकि वह सही तरीके से काम करे.

आपके दफ्तर के बोर्ड पर अभी भी आपकी तसवीर के साथ केजरीवाल की तसवीर लगी हुई है. इसका मतलब तो यही है कि पार्टी से निष्कासित होने के बावजूद अभी भी आपका मन आम आदमी पार्टी के साथ ही है?
पार्टी तो हमारी ही है. मैं आम आदमी पार्टी से उस समय से जुड़ा हुआ हूं, जब कोई नहीं था. पार्टी की दुकानदारी चल जाने के बाद कुछ स्वार्थी लोग इसमें शामिल हो गये जो किसी भी कीमत पर वैसे लोगों को पार्टी से बाहर निकालना चाहते हैं, जो सवाल खड़ा कर सकते हैं. मेरी विचारधारा वही है. सिर्फ केजरीवाल ही नहीं बल्कि पार्टी से जुड़ी शहीद संतोष कोली की तसवीर भी हमारे दफ्तर में है. आम आदमी पार्टी से अपने निष्कासन के सवाल पर मैं कानूनी सलाह ले रहा हूं. लोगों ने अपनी मूलभूत सुविधाओं के लिए इस पार्टी को खड़ा किया है, जब तक पार्टी इन मुद्दों पर काम करेगी तब तक इसकी स्थिति ठीक रहेगी. आजादी के बाद से ही दिल्ली में भाजपा, कांग्रेस के अलावा कई दलों ने अपनी जड़ जमाने की कोशिश की, लेकिन जनता ने हमारी बातों, हमारे मुद्दों को समर्थन दिया. अगर हम भी केवल वोट वैंक की राजनीति के लिए जनता को गुमराह करेंगे, तो पार्टी को समाप्त होने से कोई नहीं रोक सकता.

लेकिन केजरीवाल तो कहते हैं कि उन्हें पद का कोई लालच नहीं है. उन्हें जब लगेगा कि उनके पास बहुमत नहीं है, तो वे इस्तीफा दे देंगे.

केजरीवाल चाहे जो भी बहाना बनाएं, लेकिन सच्चई यही है कि वे चाहते हैं कि सरकार किसी भी तरह अल्पमत में आ जाये और उन्हें सरकार गिराने का बहाना मिल जाये. उन्होंने दिल्ली की जनता को सुहाने सपने दिखाये और जीत हासिल की. जब उन्हें यह लगने लगा कि वे इन सपनों को हकीकत में नहीं बदल सकते तो भागने का बहाना ढूंढ़ रहे है. उनकी नजर लोकसभा चुनाव पर है. उनकी नजर प्रधानमंत्री की कुर्सी पर है. उन्हें लगता है किसी भी तरह सरकार गिरे और उन्हें शहीद का दर्जा प्राप्त हो और वे लोकसभा चुनाव में जाकर, अधिक से अधिक सीटें जीत कर प्रधानमंत्री बनें. केजरीवाल के अधिकांश विधायक ऐसे हैं जिनको राजनीति की समझ नहीं है. वे कुर्सी से चिपके रहना चाहते हैं. इसलिए केजरीवाल के डर से सही मुद्दों पर भी मुंह नहीं खोलते.

कहा तो यह जा रहा है कि आप लोकसभा चुनाव के टिकट के लिए नाराज हैं. अन्य दल भी आपको लोकसभा चुनाव लड़ाना चाहते है, क्या आप लड़ेंगे?
केजरीवाल ने मुझ पर आरोप लगाया था कि मैं लोकसभा चुनाव का टिकट मांग रहा था, इसके साथ ही उन्होंने यह तर्क दिया था कि पार्टी ने निर्णय लिया है कि किसी भी विधायक को लोकसभा में टिकट नहीं दिया जायेगा. यह तर्क तो उन पर भी लागू होता है. ऐसे में अगर केजरीवाल दिल्ली के किसी भी लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ते हैं, तो मैं उनके खिलाफ चुनाव लड़ने के विषय में सोच सकता हूं. दिल्ली से बाहर जाकर चुनाव लड़ने का मेरा कोई इरादा नहीं है. लेकिन मैं किसी भी कीमत पर भाजपा या कांग्रेस में नहीं जाऊंगा और न ही उनके समर्थन या टिकट पर चुनाव लड़ूंगा. लोग विचारधारा का इस्तेमाल अपने फायदे लिए करते हैं. मैं जनता के हित को ही जनप्रतिनिधि की विचारधारा मानता हूं. मैं दिल्ली की जनता से भी कहना चाहूंगा कि किसी के लुभावने वादों पर यकीन कर मत न दें. सोच विचार कर ही अपने मताधिकार का इस्तेमाल करें.

पिछले दिनों आपने जंतर-मंतर पर अनशन पर बैठे. लेकिन चंद घंटे बाद ही आप अनशन छोड़ कर उठ गये. कोई खास वजह?
देखिए, मैं पूरी तैयारी के साथ अनशन पर गया था. अभी भी मैंने अनशन को कुछ दिनों के लिए ही स्थगित किया है. अन्ना के कार्यकर्ताओं और कुछ और साथियों ने मुझसे आग्रह किया कि सरकार को जनलोकपाल के सवाल पर कुछ दिनों का और वक्त दिया जाना चाहिए. मुङो भी उनकी बात उचित लगी. मैं सरकार को अपने काम से भागने का कोई मौका नहीं देना चाहता. सरकार ने कहा है कि लोकपाल बिल पास करेंगे. यह बिल पास होगा कि नहीं यह आनेवाले दिनों में पता चलेगा. अगर सरकार बिल पास कराने के लिए आगे बढ़ती है, तो हमारा पूरा सहयोग होगा. क्योंकि हमने जनलोकपाल के सवाल पर लंबी लड़ाई लड़ी है. इसी मुद्दे पर दिल्ली सहित देश की जनता ने सड़क पर उतर कर अन्ना को सहयोग दिया था. अगर आम आदमी पार्टी इस दिशा में कोई भी प्रयास करती है, तो मैं पीछे नहीं हटूंगा.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें