कौशलेंद्र रमण
अनिर्णय की स्थिति बहुत खराब होती है. इससे समय बरबाद होता है और कुछ समय बाद मनुष्य अपने आप को कोसने लगता है. इस तरह की स्थिति से बहुत से लोगों को गुजरते हुए देखा है.
आजकल अनिर्णय की स्थिति से हमारे एक मित्र गुजर रहे हैं. उनके बारे में पहले जान लें. वह बहुत प्रतिभावान हैं. जहां वह नौकरी करते हैं, वहां उनके जैसा दूसरा कोई नहीं है. अपने फन के उस्ताद. इसके अलावा भी ऊपर वाले ने उन्हें कई तरह के हुनर से नवाजा है. अपने सभी हुनर को उन्होंने अपना शौक बना लिया है, लेकिन पिछले दो-तीन साल में अपने किसी एक शौक को पूरा करने के लिए उन्होंने एक कदम भी नहीं बढ़ाया है.
एक दिन मैंने उनसे पूछा – आपकाे इतनी चीजें आती हैं. किसी एक या सबको थोड़ा-थोड़ा समय क्यों नहीं देते हैं. उन्होंने कहा – जब सुबह उठता हूं तो सोचता हूं कि आज क्या किया जाये. यही सोचते-सोचते दफ्तर जाने का समय हो जाता है. एक दिन पता चला कि मित्र के जितने शौक हैं उनमें से एक में करियर बनाने का उनका इरादा था और आज भी है.
उसकी झलक उन्होंने हमें दिखायी. हमने कहा, देर क्यों कर रहे हैं. समय किसी के लिए रुकता नहीं है. थोड़ी मेहनत से आप इस लाइन में शिखर पर पहुंच सकते हैं. उन्होंने कहा, सोच तो हम भी रहे हैं, लेकिन आगे बढ़ने के बारे फैसला नहीं ले पा रहे हैं. मैने कहा – बचपन से आप इस क्षेत्र में आना चाहते हैं. आप में इस लाइन में आगे बढ़ने का हुनर है, तो समय बरबाद करने से क्या फायदा?
मित्र ने मेरे सवालाें का जवाब नहीं दिया, लेकिन उन्हें देखने से लगा कि वह फैसला नहीं कर पा रहे हैं.इस तरह की स्थिति में जो भी रहता है उसे दो तरह से नुकसान होता है. पहला, जो काम वह कर रहा होता है उसमें अपना सौ फीसदी नहीं दे पाता है. दूसरा, अपने सपने को पूरा नहीं कर पाने का मलाल उसे हमेशा रहता है. इसलिए, अनिर्णय की स्थिति को ज्यादा देर तक नहीं रहने देना चाहिए.
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