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हेमंत सोरेन ने कहा, पैसे के अभाव में अब मौत नहीं होगी

रांची: झारखंड में पैसे के अभाव में इलाजरत लोगों की मौत नहीं होगी. अगले वित्तीय वर्ष से किसी के इलाज में आनेवाले खर्च का वहन करने के लिए सरकार अलग से फंड की व्यवस्था करेगी. फंड का उपयोग रांची पुलिस भी दुर्घटना में घायल लोगों के इलाज में कर सकती है. यह बातें शनिवार को […]

रांची: झारखंड में पैसे के अभाव में इलाजरत लोगों की मौत नहीं होगी. अगले वित्तीय वर्ष से किसी के इलाज में आनेवाले खर्च का वहन करने के लिए सरकार अलग से फंड की व्यवस्था करेगी. फंड का उपयोग रांची पुलिस भी दुर्घटना में घायल लोगों के इलाज में कर सकती है.

यह बातें शनिवार को पुलिस कंट्रोल रूम परिसर में गोल्डेन ऑवर सिस्टम का उदघाटन करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कही. मुख्यमंत्री ने कहा जल्द गोल्डेन ऑवर सिस्टम की शुरुआत पूरे झारखंड में होगी. इसके तहत शुरुआत में रांची में चयनित 25 में चार अस्पताल, जिनके पास एंबुलेंस नहीं है, उन्हें सरकार एंबुलेंस देगी. ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवा बेहतर करने का प्रयास किया जायेगा. साथ ही झारखंड में 108 डायल एंबुलेंस सेवा की शुरुआत होगी.

कार्यक्रम में विधानसभा अध्यक्ष शशांक शेखर भोक्ता, गृह सचिव एनएन पांडेय, डीजीपी राजीव कुमार, एडीजी रेजी डुंगडुंग, विधायक सीपी सिंह, एसएसपी भीम सेन टूटी, ग्रामीण एसपी एसके झा, चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष विकास सिंह, डिप्टी मेयर संजीव विजय वर्गीय, मुकेश कुमार, डॉक्टर संजय कुमार सहित अन्य लोग उपस्थित थे.

विधायक सीपी सिंह ने कहा कि दुर्घटना में किसी की जान जा सकती है. पुलिस कर्मी भी हेलमेट नहीं पहनते हैं. उनके वाहनों की जांच भी होनी चाहिए. विधानसभा अध्यक्ष शशांक शेखर भोक्ता ने कहा पुलिस पदाधिकारियों को भी शीट बेल्ट का प्रयोग करना चाहिए. डीजीपी राजीव कुमार ने कहा कि मानव सेवा सबसे बड़ा धर्म है. गोल्डेन आवर सिस्टम के माध्यम से पुलिस घायल लोगों की जान बचा पाती है, तो यह बड़ी बात होगी. डीजीपी ने जल्द हजारीबाग, धनबाद और जमशेदपुर में गोल्डेन सिस्टम आवर सेवा की शुरुआत की जायेगी.

कैसे काम करेगा सिस्टम
ट्रैफिक एसपी राजीव रंजन सिंह ने कहा कि पुलिस कंट्रोल रूम में एक रजिस्टर रखा गया है. इसमें गोल्डेन ऑवर सिस्टम के तहत सभी अस्पतालों के नाम और नंबर हैं. दुर्घटना की सूचना मिलते कंट्रोल रूम घटनास्थल से नजदीक के अस्पताल को इसकी सूचना देगा. अस्पताल द्वारा वहां तुरंत एंबुलेस भेजी जायेगी. इसके बाद घायल का इलाज शुरू होगा. वर्ष 2013 में रांची में 885 दुर्घटनाएं हुई. इसमें 513 लोग घायल हुए. 381 लोगों की मौत हो गयी. किसी भी सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्ति के जीवन का अगला एक घंटा का समय उसके जीवन का स्वर्णिम काल होता है. इस एक घंटे के अंदर अगर घायल का समुचित इलाज हो, तो उसके बचने की संभावना बढ़ जाती है. इसलिए इस सिस्टम का नाम गोल्डेन ऑवर सिस्टम का नाम दिया गया है.

सिस्टम से जुड़े रांची के 25 अस्पताल
गोल्डेन ऑवर सिस्टम के तहत राजधानी के 25 प्रमुख ऐसे अस्पतालों को शामिल किया गया है, जिनके पास ट्रॉमा सेंटर व 24 घंटे इमरजेंसी की सुविधा है. इन अस्पतालों को उनके आसपास के इलाकों की जिम्मेवारी दी गयी है, ताकि उस क्षेत्र में कोई भी दुर्घटना होने पर पुलिस मुख्यालय या किसी आम आदमी द्वारा भी सूचना मिलने पर अस्पताल में दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति का तत्काल नि:शुल्क प्राथमिक उपचार हो सके. ये अस्पताल हैं : राज हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, नागरमल मोदी सेवा सदन, अपोलो हॉस्पिटल, आरपी ऑर्थोपेडिक एंड ट्रामा सेंटर,अंजुमन इसलामिया हॉस्पिटल, राज ट्रस्ट हॉस्पिटल, समर हाउस नर्सिग होम, हरमू हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, केसी रॉय मेमोरियल हॉस्पिटल, देवकमल हॉस्पिटल, रानी हॉस्पिटल, चौधरी नर्सिग होम, आलम हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, रिंची ट्रस्ट हॉस्पिटल, गुरु नानक हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, ऑर्किड मेडिकल सेंटर, सेंटेविटा हॉस्पिटल, लक्ष्मी नर्सिग होम, सीसीएल हॉस्पिटल, संत बरनवास हॉस्पिटल, सदर अस्पताल, एचइसी हॉस्पिटल, इएसआइ हॉस्पिटल, विनायका हॉस्पिटल व गुलमोहर अस्पताल.

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