
केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि कश्मीर के हालात से केंद्र सरकार, संसद और देश की जनता ख़ुश नहीं है.
राजनाथ सिंह सोमवार को श्रीनगर में पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे. गृहमंत्री जम्मू कश्मीर गए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं.
उन्होंने बताया कि सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल से अबतक क़रीब तीन सौ लोगों ने मुलाकात की है. इसमें आम लोगों के अलावा, विश्वविद्यालय के अध्यापक, छात्र, बुद्धिजीवी और फल उत्पादक शामिल हैं.
गृहमंत्री ने बताया कि प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल, मुख्यमंत्री और राज्य सरकार के अधिकारियों से भी बातचीत की और सब लोग चाहते हैं कि कश्मीर में शांति बहाल हो.
उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर पहले भी भारत का अभिन्न अंग था और आगे भी रहेगा.

उन्होंन कहा कि प्रतिनिधिमंडल में शामिल कुछ नेता निजी हैसियत से हुर्रियत नेताओं से मिलने गए थे. लेकिन उनके साथ जो व्यवहार किया गया वो न तो कश्मीरियत था और न हीं इंसानियत. उन्होंने हुर्रियत नेताओं को लोकतंत्र विरोधी बताया.
उन्होंने कहा कि राज्य की महबूबा मुफ्ती की सरकार हालात को सामान्य बनाने के प्रयास कर रही है.
केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा, ” हम उन सभी पक्षों से बातचीत करना चाहते हैं, जो राज्य में हालात के सामान्य बनाना चाहते हैं.इसके लिए मेरे घर के दरवाजों के साथ-साथ रोशनदान भी खुले हैं.”
इससे पहले एनसीपी नेता तारिक अनवर ने बीबीसी से कहा था कि कश्मीर में हालात से नियंत्रण से बाहर हो गए हैं.
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के सांसद तारिक अनवर नेबीबीसी संवाददाता वात्सल्य राय से कहा कि कश्मीर के लोगों से बातचीत के बाद लगा कि मामला बहुत गंभीर है.

उन्होंने कहा कि कश्मीरियों को लगता है कि केंद्र सरकार ने पहलकदमी करने में बहुत देर कर दी है.
एनसीपी नेता ने बताया कि प्रतिनिधिमंडल के क़रीब सभी नेताओं का मानना है कि आंदोलनकारियों को काबू करना बहुत मुश्किल होगा.
लेकिन सभी नेता इस बात पर एकमत हैं कि अब जब संसदीय प्रतिनिधिमंडल आया है तो उन्हें कोई ठोस प्रस्ताव भी देना चाहिए. सरकार को कुछ ऐसे फैसले लेने होंगे जिससे वे कश्मीरियों की भावनाओं को छू सकें.
जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने अलगाववादियों को वार्ता का निमंत्रण दिया था. लेकिन केंद्र सरकार का रुख इसके पक्ष में नहीं लगा.
दिल्ली में जब कश्मीर आने से पहले गृहमंत्री की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक हुई तो हमारा सुझाव था कि सरकार को हुर्रियत के नेताओं से मिलने जाना चाहिए.

हालांकि सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में शामिल कुछ नेता हुर्रियत के नेताओं से मिलने गए. लेकिन ये उनकी निजी पहल थी.
2009 या 2010 में भी इसी तरह सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल गया था. उस वक्त भी कुछ नेताओं ने व्यक्तिगत रूप से पहलकदमी की थी और अलग से जाकर मुलाकात की थी. किसी को रोका नहीं गया था.
कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए में शामिल दलों ने तय किया कि हम व्यक्तिगत रूप से मिलने नहीं जाएंगे. समिति कहेगी तभी जाएंगे.
लेकिन लेफ्ट फ्रंट के नेताओं ने हुर्रियत के नेताओं से मिलने की कोशिश की. लेकिन नाकाम रहे.

अलगाववादी हुर्रियत कॉन्फ़्रेस के नेताओं ने भले ही मुलाकात न की हो. लेकिन इतना जरूर हुआ कि कश्मीर में बातचीत का सिलसिला शुरू हो गया है.
जम्मू कश्मीर के राजनीतिक दलों और राष्ट्रीय पार्टियों के नेताओं के बीच बातचीत शुरू हुई है.
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