नयी दिल्ली : एक नए अध्ययन में पाया गया है कि यदि आप बच्चों के सामने जोर जोर से पढते हैं तो इससे आप छोटी उम्र से ही उनमें किताबों के प्रति लगाव पैदा कर सकते हैं. आपकी यह कोशिश उनमें किताबें पढने की आदत विकसित करेगी.
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जानिये, कैसे डाल सकते हैं बच्चों में पढ़ने की आदत
नयी दिल्ली : एक नए अध्ययन में पाया गया है कि यदि आप बच्चों के सामने जोर जोर से पढते हैं तो इससे आप छोटी उम्र से ही उनमें किताबों के प्रति लगाव पैदा कर सकते हैं. आपकी यह कोशिश उनमें किताबें पढने की आदत विकसित करेगी. यह सर्वेक्षण बच्चों के लिए किताबें प्रकाशित करने […]
यह सर्वेक्षण बच्चों के लिए किताबें प्रकाशित करने वाले प्रकाशन घर स्कोलेस्टिक इंडिया की ओर से कराया गया . इसमेंदेशभर के कुल 1752 माता-पिता और विभिन्न आयुवर्ग के बच्चों को शामिल किया गया.इस अध्ययन के अनुसार, माता-पिता द्वारा सप्ताह में पांच-सात दिन तक पढाया जाना छह साल से 17 साल की उम्र के बच्चों में पढने की आदत का सबसे प्रभावी संकेतक है. इसके पीछे की मूल वजह ‘‘माता-पिता के साथ खास समय” है.
इसमें कहा गया, ‘‘सभी उम्र समूहों के बच्चों में से 85 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं, जिन्हें किसी के द्वारा बोल-बोलकर पढाया जाना पसंद है. छह से 11 साल के जिन बच्चों के माता-पिता ने अब ऐसा करना छोड दिया है, उनमें से आधे से ज्यादा बच्चे चाहते हैं कि उनके माता-पिता फिर से ऐसा करना शुरु करें.माता-पिता का मानना है कि ऐसा करने से बच्चों की शब्दावली और भाषाई कौशल का विकास होता है.
स्कॉलेस्टिक इंडिया के प्रबंध निदेशक नीरज जैन ने कहा, ‘‘पढने का लगाव किसी बच्चे की सफल होने की संभावनाओं को बढा सकता है और यह रिपोर्ट आनंद के लिए पढाई के महत्व को रेखांकित करती है. यह रिपोर्ट इस बात को भी बताती है कि हम किस तरह ज्यादा से ज्यादा बच्चों को ज्यादा से ज्यादा पढने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं?” इस रिपोर्ट में एक अन्य निष्कर्ष यह है कि जब बच्चे खुद अपनी किताबें चुनते हैं तो उनके पढने की संभावना बढ जाती है.
अध्ययन के अनुसार, ‘‘छह से 17 साल के उम्र समूह के 86 प्रतिशत बच्चों का कहना है कि उनकी पसंदीदा किताबें वे हैं, जिन्हें उन्होंने खुद चुना है और अगर उन्हें वैसी और ज्यादा किताबें मिलती हैं तो वे उन्हें पढना पसंद करेंगे.” अध्ययन में इस बात पर भी चर्चा की गई कि कैसे ई-बुक्स तक पहुंच आसान होने के बावजूद मुद्रित किताबों के प्रति रुझान बरकरार है. यह अध्ययन कहता है, ‘‘छह से 17 साल के उम्र समूह के 80 प्रतिशत बच्चे इस बात पर सहमत हैं कि उन्हें हमेशा मुद्रित किताबें पढना पसंद हैं.”
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