22.3 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

शराबबंदी है तो फिर कैसे मरे लोग?

मनीष शांडिल्य गोपालगंज से, बीबीसी हिन्दी डॉट कॉम के लिए बिहार के गोपालगंज ज़िले में बीते मंगलवार कथित रूप से ज़हरीली शराब पीने से मरने वालों की संख्या बढ़कर 16 हो गई है. पीड़ित परिवार मृतकों के शराब पीने की बात दोहराने के साथ-साथ घटना के बाद इलाज में लापरवाही बरते जाने का आरोप भी […]

Undefined
शराबबंदी है तो फिर कैसे मरे लोग? 5

बिहार के गोपालगंज ज़िले में बीते मंगलवार कथित रूप से ज़हरीली शराब पीने से मरने वालों की संख्या बढ़कर 16 हो गई है.

पीड़ित परिवार मृतकों के शराब पीने की बात दोहराने के साथ-साथ घटना के बाद इलाज में लापरवाही बरते जाने का आरोप भी लगा रहे हैं.

साथ ही वे ये सवाल भी कर रहे हैं कि पूर्ण शराबबंदी के चार महीने बाद भी इलाके में शराब कैसे मिल रही थी?

मृतकों में करीब आधा दर्जन लोग नोनिया टोली के हैं. विजय कुमार चौहान के 28 साल के जवान बेटे शशिकांत चौहान की भी मौत मंगलवार रात को हुई थी.

उस रात की घटना के बारे में विजय बताते हैं, "शशि के मुंह से शराब की गंध आ रही थी. पेट दर्द की शिकायत के बाद उसे उल्टियां होने लगीं. सदर अस्पताल में थोड़े इलाज के बाद उसे रेफर कर दिया गया. इस बीच अस्पताल में ही उसकी मौत हो गई."

Undefined
शराबबंदी है तो फिर कैसे मरे लोग? 6

शशिकांत घटना के दिन अपने ननिहाल में थे. तबीयत बिगड़ने के बाद उनकी मामी नैना देवी भी उनके साथ अस्पताल गई थीं.

नैना आरोप लगाती हैं कि उनके बार-बार कहने के बावजूद सरकारी अस्पताल में डॉक्टरों ने शशि का इलाज़ ज़हरीली शराब से पीड़ित मरीज के तौर पर नहीं किया.

स्थानीय मीडिया में भी ऐसी खबरें आई हैं कि अस्पताल प्रबंधन ने पहले मामले को दबाने की कोशिश की थी.

नोनिया टोली की तरह ही शहर के वार्ड नंबर 27 और हरखुआ मोहल्ले के भी लोग इस घटना के शिकार हुए हैं.

वार्ड नंबर 27 में तो बंधु राम के घर में दो लोग इस घटना के शिकार हुए हैं. बंधु राम का इलाज चल रहा है, वहीं उनके रिश्तेदार अनिल राम की मौत हो चुकी है.

Undefined
शराबबंदी है तो फिर कैसे मरे लोग? 7

वार्ड नंबर 27 के ही रामू राम की मौत बुधवार की सुबह हुई. 35 साल के रामू के भाई प्रदीप का कहना है, "शराब कहां बंद था. शराबबंदी रहती तो क्या ये लोग शराब पी के मरे होते. इलाके में शराब आसानी से मिल रही थी. पुलिस सजग रहती तो क्या इतनी बड़ी घटना घटती?"

कहा जा रहा है कि मृतकों ने शहर के रेलवे लाइन के बगल में स्थित खजूरबनी में शराब पी थी. गोपालगंज ज़िला पुलिस ने घटना के बाद वहां छापेमारी कर बड़ी मात्रा में देसी शराब भी ज़ब्त की थी.

छापेमारी के चार दिन बाद खजूरबनी में देसी शराब की महक अब भी मौजूद है. साथ ही वे गड्ढे भी साफ-साफ दिखाई देते हैं जिनमें शराब छुपा कर रखी गई थी.

इलाके में रहने वाले राम प्रसाद शर्मा बताते हैं, "शराबबंदी के बाद भी यहां शराब बनाने और पिलाने का सिलसिला जारी रहा. हमारी कई बार शिकायतों का भी कोई खास असर नहीं पड़ा. पुलिस का रवैया भी मामले को टालने वाला रहा."

Undefined
शराबबंदी है तो फिर कैसे मरे लोग? 8

वहीं जिला प्रशासन इलाज में लापरवाही सहित तमाम आरापों से इंकार कर रहा है. गोपालगंज जिलाधिकारी राहुल कुमार का कहना है कि प्रशासन ने समय-समय पर शराबबंदी सुनिश्चित करने के लिए कार्रवाई की है.

जिलाधिकारी राहुल कुमार कहते हैं, "खजूरबनी के इलाके के बारे में जब भी हमें इनपुट मिला, तब-तब हमने कार्रवाई की. घटना के पहले सात अगस्त को भी छापेमारी की गई थी. गिरफ्तारियां भी हुईं."

जिलाधिकारी के मुताबिक़ आने वाले दिनों में नए उत्पाद क़ानून के तहत उत्पाद विभाग के साथ मिलकर और पूरे ज़िले में कार्रवाई की जाएगीं.

इस घटनाक्रम में चार लोगों का इलाज अभी पटना में चल रहा है. इनमें से दो लोगों की आंखों की रोशनी चले जाने की भी ख़बरें हैं.

इस मामले में कुल 14 लोग अभियुक्त बनाए गए हैं जिनमें से मुख्य अभियुक्त सहित सात लोग अभी भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं.

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें