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महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर भारत
इस वर्ष हम अपना 70वां स्वतंत्रता दिवस मना रहें है. अकसर ऐसे मौकों पर हमारी नजर अपनी कमियों पर जाती है, लेकिन क्या हमने कभी सोचा है कि आजादी के बाद से हमारे देश ने क्या-क्या हासिल किया है. आजादी मिलने के 69 वर्ष बाद आज जब हम पीछे पलट कर देखते हैं, तो पाते […]
इस वर्ष हम अपना 70वां स्वतंत्रता दिवस मना रहें है. अकसर ऐसे मौकों पर हमारी नजर अपनी कमियों पर जाती है, लेकिन क्या हमने कभी सोचा है कि आजादी के बाद से हमारे देश ने क्या-क्या हासिल किया है.
आजादी मिलने के 69 वर्ष बाद आज जब हम पीछे पलट कर देखते हैं, तो पाते हैं कि इन वर्षों में भारत ने बहुत अधिक आर्थिक और तकनीकी तरक्की की है. आज दुनिया के बीच हमारे देश की छवि एक सशक्त देश के रूप में उभरी है. हालांकि आर्थिक तरक्की का फल अबतक सभी को नहीं मिल पाया है, लेकिन भारतीयों के मन में सुरक्षा का भाव जागा है. इन 69 वर्षों में भारत ने विश्व में आत्मनिर्भर, सक्षम, स्वाभिमानी और सशक्त देश के रूप में अपनी जगह बनायी है. तमाम समस्याओं के बावजूद दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र दुनिया के अन्य विकासशील देशों के लिए एक मिसाल बन कर उभरा है. तुम्हें जान कर आश्चर्य होगा कि आजादी के साथ-साथ बंटवारे का दंश झेलने के बाद भी देश के लोगों ने अपनी मेहनत से देश को गौरव के पल दिये हैं.
भारत में आयी आइटी क्रांति
तुम कल्पना नहीं कर सकते हो कि आज आइटी उद्योग ने भारतीयों के लिए सर्वाधिक रोजगार के अवसर पैदा किये हैं. सीधे तौर पर इस क्षेत्र में 28 लाख से ज्यादा भारतीय काम कर रहे हैं, जो भारत की आइटी क्रांति का सबसे बड़ा सबूत है. मल्टीनेशनल आइटी कंपनियों के भारतीय सीइओ व सीओओ इस तरक्की का दूसरा बड़ा चेहरा हैं.
सॉफ्टवेयर व आइटी उत्पाद बनाने में भारतीय दिमाग का लोहा पूरी दुनिया मानती है. आज आइटी सिटी बेंगलुरु, हैदराबाद, पुणे, नोएडा और गुड़गांव में ही नहीं, बल्कि छोटे-छोटे शहरों में भी आइटी कंपनियां तकनीक का विकास करने में जुटी हैं. टीसीएस, इन्फोसिस, विप्रो, एचसीएल टेक्नॉलाजी, कोग्नीजेंट जैसी देसी कंपनियां भारत की आइटी क्रांति के ध्वजवाहक हैं. एक अनुमान के मुताबिक भारत में आइटी उद्योग लगभग 120 अरब डॉलर तक पहुंच गया है. दुनिया के बड़े देशों के आइटी सेक्टर में भी भारतीय प्रतिभाओं का दबदबा है.
टेली कम्यूनिकेशन ने खोलीं नयी राहें
दूर संचार क्रांति भी भारत की आइटी क्रांति के साथ ही जुड़ी हुई है. 2जी, 3जी के बाद अब भारत 4जी के दौर तक पहुंच चुका है. आज देश के हर छोटे-बड़े शख्स के पास स्मार्ट फोन नजर आता है. दूरसंचार क्षेत्र में भारत की तरक्की का सबसे बड़ा सबूत यह है कि साल 2015 के आंकड़ों के मुताबिक यह उद्योग लगभग 4 लाख करोड़ तक पहुंच चुका है. मोबाइल कनेक्शन के मामले में चीन के बाद भारत दूसरे नंबर पर है. यह माना जा रहा है कि भारत के दूरसंचार उद्योग का दुनिया में सबसे तेजी से विकास हो रहा है. बुनियादी ढांचे में भी यह तरक्की दिखाई देती है. सड़कें, एयरपोर्ट, मेट्रो रेल मिल कर एक नये भारत का निर्माण कर रहे हैं.
हमारी इकोनॉमी
आजादी के बाद से साल 1991 तक हम आर्थिक तौर पर बुरे तरीके से जूझ रहे थे. सही मायने में तब हम गरीब देश के रूप में जाने जाते थे. लेकिन 1991 के आर्थिक सुधार के बाद अर्थव्यवस्था ग्लोबलाइज हो गयी. यह विश्व के लिए एक अहम बदलाव था. भारत में अवसरों के द्वार खोले गये. आर्थिक सुधार की दिशा में यह बहुत बड़ा कदम था. इस फैसले के बाद से देश में नये-नये उद्योगपति उभरने शुरू हो गये. देखते-देखते वे दुनिया के गिने-चुने अमीर लोगों में भारतीय शामिल होने लगे. इससे विश्व के समक्ष भारत की एक ऐसी छवि उभरी, जिसमें दुनिया भर के उत्पादों को खरीदने की ताकत थी. भारत का फॉरेन रिजर्व भी काफी तेजी से बढ़ा.
ऊर्जा क्षेत्र में हम हुए आगे
एक समय तक भारत के गांवों के हिस्से बिजली नहीं थी. अब हम ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो रहे हैं. यह सही है कि जितनी तेजी से देश का विकास होगा ऊर्जा की जरूरत उतनी ही ज्यादा बढ़ जायेगी. इसमें कोई शक नहीं रहा है कि धीरे-धीरे भारत दुनिया के सबसे ज्यादा ऊर्जा खपतवाले देश में बदल रहा है. भारत एशिया का तीसरा सबसे बड़ा बिजली उत्पादक है. अब ताप विद्युत और पन बिजली परियोजनाओं के साथ-साथ परमाणु बिजली सयंत्र लगाये जा चुके हैं. यही नहीं तेल की जरूरत के मामले में भी 2017-18 तक भारत 71 फीसदी तक जरूरत खुद से पूरा करने की तरफ तेजी से बढ़ रहा है. अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में भी भारत ने बड़े कदम उठाये हैं.
बेस्ट है इंडियन डिफेंस
किसी भी देश की ताकत उसकी आर्थिक और सैन्य क्षमताओं में होती है. सैन्य शक्ति के मामले में भी भारत सुपर पावर बनने की तरफ तेजी से बढ़ रहा है. दुनिया भर के डिफेंस पर नजर रखनेवाली एक संस्था ग्लोबल फायर के मुताबिक भारत दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी सैन्य शक्ति है. ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय के अध्ययन के मुताबिक साल 2045 तक भारत ग्लोबल मिलिट्री पावर में शुमार होने लगेगा. थल, जल और वायु तीनों क्षेत्र में हमारी शक्ति पिछले कुछ वर्षों में कई गुणा मजबूत हुई है.
अंतरिक्ष क्षेत्र में नयी राह
एक समय था जब देश को अंतरिक्ष से जुड़े परीक्षण और नये प्रयोग के लिए अमेरिका और रूस के आगे हाथ फैलाना पड़ता था, लेकिन अमेरिका कभी भी भारत को तवज्जो नहीं देता था. 15 अगस्त, 1969 को अपनी स्थापना के बाद से इसरो ने कभी भी पीछे मुड़ कर नहीं देखा, सीमित संसाधनों के बाद भी सफलता की बुलंदियों पर लगातार चढ़ता गया. आज यह उपग्रह लॉचिंग करनेवाला दुनिया का सबसे सस्ता संगठन बनने की ओर बढ़ रहा है. हाल ही में इसरो ने सिंगल मिशन में एक साथ 20 सेटेलाइट को प्रक्षेपित कर दुनिया को अपनी शक्ति का एहसास कराया है. इसरो की यही रफ्तार रही, तो जल्द कई और उपलब्धियां हमारे नाम होंगी.
हमारे सामने हैं ये लक्ष्य : भारत ने आजादी के बाद जहां कई क्षेत्रों में नयी मिसाल कायम की है, वहीं कुछ क्षेत्र ऐसे भी हैं, जिन पर भारत को काफी तेजी से काम करने की आवश्यकता है. जहां हम सॉफ्टवेयर तकनीक में अव्वल हैं, वहीं हार्डवेयर के मामले में चीन, जापान और कोरिया जैसे देशों से अभी बहुत पीछे हैं. प्राथमिक शिक्षा देश की बुनियाद तय करती है.
असमान प्राथमिक शिक्षा की वजह से देश में असमानता का अनुपात बढ़ रहा है. स्वास्थ्य के क्षेत्र में हमने काफी तरक्की की है. पोलियो जैसी महामारी को जड़ से उखाड़ फेंकने में हम कामयाब हुए हैं, लेकिन देश के गांव आज भी बेहतर स्वास्थ्य सुविधा से महरूम हैं. कृषि क्षेत्र में भी भारत ने तरक्की की है, लेकिन कृषि में उन्नत और नये तकनीकों के इस्तेमाल के मामले में हम अब भी बहुत पीछे हैं.
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