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नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड में गेस्ट टीचर्स की नियुक्ति के राज्य सरकार के फ़ैसले को निरस्त कर दिया है.
इसका असर 6,214 गेस्ट टीचर्स पर पड़ेगा.
राज्य सरकार ने 25 मई, 2016 को एक शासनादेश जारी किया था, जिसके अनुसार वर्ष 2015-16 में नियुक्त गेस्ट टीचर्स को 2016-17 के अकादमिक सत्र के लिए भी जारी रखा गया था.
नैनीताल की ममता पंत, उत्तरकाशी के आलोक परमार और देहरादून के दर्शन सिंह ने इस प्रक्रिया को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी.
याचिकाकर्ता ममता पंत के वकील विवेक कुमार के अनुसार न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की एकल पीठ ने इस मामले पर फ़ैसला सुनाते हुए कहा कि गेस्ट टीचर्स की नियुक्ति के सभी सरकारी आदेश ख़ारिज किए जाते हैं.
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अदालत ने जनहित में इन गेस्ट टीचर्स को 31 मार्च, 2017 तक काम जारी रखने की अनुमति दी है.
न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया ने सरकार को जल्द से जल्द स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू करने का भी आदेश दिया.
अदालत ने यह भी कहा कि चूंकि गेस्ट टीचर्स की नियुक्ति ही संविधान के विरुद्ध है इसलिए 31 मार्च के बाद के अकादमिक सत्र के लिए सरकार को आवश्यक लगे तो वह रिटायर्ड शिक्षकों की सेवाएं ले सकती है.
सरकार ने इस मामले पर फ़िलहाल कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है.
मुख्यमंत्री के मीडिया प्रबंधक सुरेंद्र कुमार अग्रवाल ने कहा कि फ़ैसले का अध्ययन करने के बाद ही इस पर आगे की कार्रवाई के बारे में निर्णय लिया जाएगा.
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