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धड़ाधड़ बंद होते छत्तीसगढ़ के मिनी स्टील प्लांट

आलोक प्रकाश पुतुल रायपुर से, बीबीसी हिंदी डॉट कॉम के लिए दुनिया भर से स्टील के आयात के कारण मंदी की मार झेल रहा छत्तीसगढ़ का स्टील उद्योग अब बिजली की बढ़ी हुई क़ीमतों का झटका झेल रहा है. देश का 38 प्रतिशत स्टील उत्पादन करने वाले छत्तीसगढ़ में पिछले साल तक 196 मिनी स्टील […]

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दुनिया भर से स्टील के आयात के कारण मंदी की मार झेल रहा छत्तीसगढ़ का स्टील उद्योग अब बिजली की बढ़ी हुई क़ीमतों का झटका झेल रहा है.

देश का 38 प्रतिशत स्टील उत्पादन करने वाले छत्तीसगढ़ में पिछले साल तक 196 मिनी स्टील प्लांट थे. लेकिन मंदी के कारण इनमें से 60 प्लांट बंद हो गए.

अब बिजली की बढ़ी हुई क़ीमतों के कारण पिछले 10 दिनों से 80 मिनी स्टील प्लांटों में तालाबंदी हो गई है. इस तालाबंदी से इन मिनी स्टील प्लांटों से जुड़े कम से कम 50 हज़ार मज़दूर सड़कों पर आ गए हैं. निर्माण समेत दूसरे उद्योग भी इस तालाबंदी के कारण मुश्किल में हैं.

राज्य के उद्योग मंत्री अमर अग्रवाल का कहना है कि राज्य में औद्योगिक वातावरण को और बेहतर करने की दिशा में सरकार लगातार प्रयास कर रही है.

अमर अग्रवाल ने कहा, "दूसरे राज्यों की तुलना में छत्तीसगढ़ में बिजली की क़ीमतें सबसे कम हैं. लेकिन इसके बाद भी अगर किसी तरह की कोई समस्या है तो बातचीत के माध्यम से उसे सुलझा लिया जाएगा."

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लेकिन मिनी स्टील प्लांट एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक सुराना का कहना है कि एक टन कच्चा स्टील बनाने में लगभग एक हज़ार यूनिट बिजली लगती है और इसके लिए उद्योगों को 6.19 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली विभाग को भुगतान करना पड़ता है. लेकिन इसके उलट पड़ोसी राज्यों झारखंड में 3.18 रुपये, ओडिशा में 5.63 रुपये, विदर्भ में 4.60 रुपये, पश्चिम बंगाल में 4.64 रुपये और उत्तराखंड में 4.15 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली का भुगतान करना पड़ता है.

अशोक सुराना कहते हैं, "हमारी कुल लागत का 40 फ़ीसदी हिस्सा बिजली का होता है. लेकिन पिछले दो सालों में राज्य सरकार ने बिजली की क़ीमतों में 47 फ़ीसदी की बढ़ोत्तरी कर दी है. इसके कारण हमारे लिए स्टील उद्योग चला पाना मुश्किल हो गया. यह तब है, जब छत्तीसगढ़ बिजली के मामले में सरप्लस है."

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सुराना का कहना है कि मिनी स्टील प्लांटों को 4 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली की आपूर्ति की जानी चाहिए.

लेकिन छत्तीसगढ़ में बिजली की क़ीमत तय करने वाली छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत नियामक आयोग के सचिव पीएन सिंह का कहना है कि छत्तीसगढ़ में बिजली की लागत 6.4 रुपये है. ऐसे में इससे कम क़ीमत पर बिजली दिया जाना संभव नहीं है.

पीएन सिंह कहते हैं, "यह भ्रम है कि सरप्लस होने से बिजली सस्ती होनी चाहिए. हक़ीकत ये है कि अगर बिजली सरप्लस है तो अनुपयोगी बिजली की लागत का घाटा भी आपको उठाना पड़ेगा. मतलब साफ़ है कि अगर बिजली सरप्लस है तो उसकी क़ीमत और अधिक हो जाएगी."

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